Monday, March 10, 2014

राखी सावंत से एक हसीन मुलाकात

-अशोक मिश्र
अखबारों के ये संपादक भी न... एकदम खड़ूस होते हैं। हिटलरी मानसिकता के प्रतीक, अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ दादागीरी करने वाले। अब आज का ही किस्सा लीजिए। मैं जैसे ही ऑफिस पहुंचा, संपादक जी का बुलावा आ गया। मैंने उनके दरबार में पहुंचकर कोर्निश बजाई, तो उन्होंने जिल्ले सुभहानी मुगल शहंशाह जलालुद्दीन अकबर की तरह फरमान जारी कर दिया, 'सुनो! आज शाम तक सनी लियोनी, मल्लिका सहरावत, राखी सावंत, पूनम पांडेय आदि...आदि... में से किसी एक का इंटरव्यू चाहिए। इंटरव्यू ऐसा होना चाहिए जिसको पढ़कर फागुनी बयार में बौराये महारे पाठकों का दिल फड़क उठे, धड़क उठे। शाम तक इंटरव्यू मेरी टेबल तक नहीं पहुंचा, तो समझो खल्लास। नौकरी से खल्लास। इसलिए अपने हाथ-पांव हिलाओ, अपनी नौकरी बचाओ।Ó मैं कुछ कहता, इससे पहले उन्होने चपरासी को बुलाने के लिए घंटी बजाते हुए कहा, 'अभी तक तुम सिर पर सवार हो, दफा हो जाओ मेरे सामने से।Ó
अब संपादक जी को कौन समझाए। आप इंग्लैण्ड की महारानी से जब चाहें, मुलाकात कर सकते हैं। बराक ओबामा, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी से मिलकर उनका हालचाल पूछ सकते हैं, लेकिन इन हीरोइनों का इंटरव्यू....असंभव मैं मन ही मन अपनी किस्मत को कोसता अपनी सीट पर आकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद नौकरी बजाने के लिए हाथ-पैर सचमुच हिलाना पड़ा। ऐसे में जा पहुंचा भारतीयता की प्रतीक, इक्कीसवीं सदी की लड़कियों की रोल मॉडल राखी सावंत के घर। वहां एक अलग ही नजारा था। फिल्म जगत की महान खलनायक हस्तियां और बोल्ड आइटम गल्र्स होली के हुड़दंग में डूबी हुई थीं। शक्ति कपूर, आशुतोष राणा, परेश रावल जैसी शख्सियतें मल्लिका सहरावत, सनी लियोनी से हंसी-ठिठोली कर रही थीं। सनी लिओनी के साथ 'पप्पियां-झप्पियांÓ देने और लेने की होड़ लगी हुई थी। सबके सब बस लियोनी के साथ झप्पियां लेने को बेताब नजर आ रहे थे। एमएमएस बनवाने और लीक करने में माहिर पूनम पांडेय, 'कामसूत्रÓ की साकार प्रतिमूर्ति शर्लिन चोपड़ा एक ओर खड़ी अपनी उपेक्षा पर टसुए बहा रही थीं। हेराफेरी मास्टर परेश रावल सबको समझा रहे थे, 'देवा रे देवा...यहां तो अंधेर मची हुई है। सारे के सारे सनी लियोनी बेबी से लिपटने-चिपटने को मरे जा रहे हैं। नहीं...नहीं... यह गलत है। सनी लियोनी की एक पप्पी शक्ति कपूर लेगा, तो एक पप्पी का हकदार आशुतोष राणा भी होगा। गाल पर एक चुटकी मैं काटूंगा, तो दूसरे गाल पर गुलशन ग्रोवर का चुटकी काटना बनता है। और फिर... अंत में हम सब मिलकर होली के इस मौके पर सनी लियोनी की बैंड बजाएंगे।Ó
राखी सावंत किसी क्रोधित शेरनी की तरह कमरे में गोल-गोल चक्कर काट रही थीं। अचानक वे वाहर निकलीं, तो मैं झट से उनके सामने नमूदार हो गया। मैंने खींसे निपोरते हुए कहा, 'मैं दैनिक झमाझम टाइम्स का टुटपुंजिया टाइप का पत्रकार और चिरकुट किस्म का व्यंग्यकार हूं। मेरे संपादक का कहना है कि मेरा अपर चैंबर (दिमाग) बिल्कुल खाली है। मैं उसे आपके इंटरव्यू से भरना चाहता हूं।Ó अपने ही घर में उपेक्षित-सी राखी सावंत इंटरव्यू की बात सुनकर प्रसन्न हो गई, 'नॉटी ब्वाय! तुम कोई ऐसी-वैसी बात तो नहीं पूछोगे?Ó मैंने एक बार फिर खींसे निपोरी, 'नो...नो नॉटी गर्ल! ऐसे-वैसे तो नहीं, लेकिन 'वैसे-ऐसेÓ सवाल जरूर पूछूंगा। एक बात बताइए, आप फाल्गुन के बारे में कितना जानती हैं? मेरा मतलब है... आपको फाल्गुन कैसा लगता है? मेरी बात सुनकर राखी सावंत ने शरमाने का अभिनय किया, 'फाल्गुन के बारे में सब कुछ जानती हूं। बहुत अच्छा ड्रेस डिजाइनर है फाल्गुन... फाल्गुन आहूजा। उसके द्वारा डिजाइन की गई ड्रेस किशोरों युवाओं अधेर और वृद्धों को बहुत पसंद आती हैं। वह क्या है कि फिल्मी दुनिया की ज्यादातर हीरोइनों, आइटम गल्र्स और डांसर गल्र्स की ड्रेस वही डिजाइन करता है। उसके द्वारा डिजाइन किए  गए कपड़ों को पहनने के बाद यही नहीं पता चलता है कि क्या छिप रहा है और क्या दिख रहा है। कपड़े पहनने के बावजूद न पहनने का एहसास होता है। वैसे एक बात बताऊं, फाल्गुन आहूजा दो साल पहले आयोजित 'राखी का स्वयंवरÓ का प्रतिभागी भी था। बेचारा... स्वयंवर नहीं रचा पाया, तो डिजाइनर बन गया।Ó
'अरे नहीं...राखी जी! मैं उस फाल्गुन की बात नहीं कर रहा हूं। मैं फाल्गुन महीने की बात कर रहा हूं। इस महीने में हर युवा का दिल जोर-शोर से धड़कता है, अंगड़ाइंयां लेने का मन करता है। एक अजीब सी मस्ती छा जाती है। लड़कियों के आंचल लहराने लगते हैं। इस मौसम में 'आमÓ ही नहीं, खास भी बौरा जाते हैं।Ó मैंने समझाने का प्रयास किया, तो राखी सावंत बोल उठीं, 'ओह...अच्छा वो...फाल्गुन। आप तो जानते ही हैं कि हम फिल्म वालों को पढ़ऩे का मौका कम ही मिलता है, फिर भी मैंने कहीं पढ़ा था कि फाल्गुन में ब्लड प्रेशर के रोगी बढ़ जाते हैं। एक सर्वे में बताया गया था कि पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण खूबसूरत और जवान लड़कियां होती हैं। लड़कियों को देखकर आहें भरने वाले लो ब्लड प्रेशर के रोगी तो ठीक हो जाते हैं, लेकिन नॉर्मल ब्लड प्रेशर बालों का ब्लड प्रेशर बिगड़ जाता है। ऐसा सबसे ज्यादा फाल्गुन महीने में होता है। जहां तक फाल्गुन में आहें भरने...सिसकियां भरने की बात है, तो यह फिल्मी दुनिया में बारहों महीने होता रहता है। अब देखो न! करीना दीदी ने 'अंगड़ाइयां लेती हूं जब जोर-शोर से... ऊह, आह की आवाज है आती हर ओर सेÓ आइटम सांग शूट करवाया था, तब भयंकर सर्दी पड़ रही थी। लेकिन लोग थे कि उस भयंकर सर्दी में भी बौराये जा रहे थे।Ó
राखी सावंत की बात सुनकर मैं चौंक गया, 'करीना दीदी... करीना आपकी दीदी कब से हो गईं?Ó मेरे चौंकने पर राखी मुस्कुराई, 'यह एक टॉप सिक्रेट है। लिखना नहीं... फिल्म इंडस्ट्री की हर एक्ट्रेस, आइटम और डांसर गल्र्स एक दूसरे की बहनें हैं। शार्लिन चोपड़ा, ऐश्वर्या राय बच्चन, पूनम पांडेय... कहने का मतलब यह है कि हम सब आपस में बहनाये की डोर से बंधी हैं, या फिर जीजू है। हां, अगर उनमें कोई जन्मत: संबंध नहीं है तो। ईशा और सनी देओल भाई-बहन थे, भाई-बहन हैं और भाई-बहन रहेंगे।Óं
'अच्छा छोडि़ए इस बात को। यह बताइए कि फाल्गुन में बाबा देवर क्यों लगने लगते हैं?Ó मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक टीस उभर आई। गुमसुम सी आवाज में उन्होंने जवाब दिया, 'फाल्गुन में बाबा देवर नहीं, स्वामी लगने लगते हैं। तुम तो जानते ही हो, इस देश में एक बाबा हैं, एक स्वामी हैं, गुरु हैं, भले ही योग के हों। मैंने तो उनके सामने शादी का प्रस्ताव भी रखा था। इस दुनिया में तो बस वही एक मर्द है, बाकी सब...। तुम समझ सकते हो, मैं क्या कहना चाहती हूं। सबके लिए वह मर्द पुरुष बाबा है, योग गुरु है, आध्यात्मिक संत है, लेकिन मेरे लिए स्वामी है। जब कोई महिला उन्हें स्वामी कहकर संबोधित करती है, तो मन होता है उस नासपीटी का मुंह नोच लूं। वे सिर्फ मेरे स्वामी हैं। इस जन्म में भी, अगले सौ जन्मों में भी।Ó
'हां...आपकी बात से याद आया। एक केन्द्रीय मंत्री ने इस देश के भावी प्रधानमंत्री को नपुंसक कहा है। आप इस बारे में कुछ कहना चाहेंगी?Ó राखी सावंत इस सवाल पर थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोली, 'मैं इस बारे में सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि हो सकता है, यह उस मंत्री का कोई निजी अनुभव हो। जहां तक मर्द होने की बात है, तो मेरी नजर में सिर्फ और सिर्फ एक ही मर्द है। और वह हैं सबके बाबा, मेरे स्वामी।
'चौरासी-पच्चासी साल की उम्र में तिवारी जी पिता बन गए। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है? आप इस बारे में क्या सोचती हैं?Ó मैंने इंटरव्यू को थोड़ा राजनीतिक बनाने की कोशिश की। राखी सावंत ने तपाक से जवाब दिया, 'हमारा देश महान है। इस देश की महान सभ्यता और संस्कृति के पुरोधा हैं तिवारी जी। उनकी उम्र पर मत जाइए। हमारे यहां 'साठा, तब पाठाÓ  की कहावत बहुत पुरानी है। बयासी-तिरासी साल की उम्र में रासलीला रचाने वाला बूढ़ा हो सकता है? इसी देश में कभी कान (कर्ण) से बच्चे पैदा होते थे। सूर्य, पवन, चंद्र, धर्मराज, यमराज का आह्वान करके स्त्रियां पुत्र रत्न प्राप्त करती रही हैं। बहुत महान है, इस देश की संस्कृति।Ó तभी अंदर से शोर उभरा। मैंने देखा कि पहले से ही न्यूनतम पहने गए वस्त्रों को संभालती बदहवास सी सनी लियोनी भागी चली आ रही हैं। उनके पीछे खलनायकों की टोली अबीर, गुलाल, काला पेंट लिए, दौड़ी आ रही है। सनी लियोनी ने मुझसे गुहार लगाई, 'इन मुस्टंडों से मुझे बचा लो। मैं पॉर्न फिल्म इंडस्ट्री की हीरोइन भले ही रही हूं, लेकिन ऐसा तो वहां भी नहीं होता। मुझे बचा लो। नहीं खेलनी मुझे इनके साथ होली। ये तो होली के बहाने चीर हरण पर उतारू हैं।Ó सनी लियोनी... मेरी स्वप्न सुंदरी...उसकी यह दशा। मुुझे ताव आ गया। मैंने आव देखा, न ताव। एक भरपूर लात भागे आ रहे एक फिल्मी कम वास्तविक विलेन के पेट पर मारी। मगर यह क्या? किसी स्त्री की बड़ी तेज चीख उभरी, 'हाय दइया..मार डाला इस नासपीटे ने...हाय राम... मर गई।Ó मैं समझ नहीं पाया, लात मारी विलेन को कैसे लग गई सनी लियोनी को। मैंने आंखे मली, तो पाया कि मैं राखी सावंत के घर नहीं, बल्कि अपने घर के बेड पर हूं। घरैतिन पेट पकड़ कर 'हाय-हायÓ कर रही है और मैं हवन्नकों की तरह उन्हें देख रहा हूं। दरअसल, मैं सपना देख रहा था। सच्चाई समझ में आते ही मैं घरैतिन के चरणों में लोट गया, 'देवी! माफ करो। मैंने जान बूझकर यह अपराध नहीं किया है।Ó इसके बाद क्या हुआ होगा, यह बताने की जरुरत है क्या?

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