फरीदाबाद में ही दो घटनाएं कल ऐसी घटित हुईं जिनसे वर्तमान समाज में संबंधों का खोखलापन जाहिर हो जाता है। समाज में भले ही ऊपर चमक-दमक दिखाई पड़ती हो, लेकिन भीतर ही भीतर समाज में अनैतिकता, संबंधों का क्षरण और पारस्परिक प्रेम का अभाव साफ दिखाई देने लगा है। पति-पत्नी, माता-पिता और भाई-बहन जैसे संबंधों में दरार बढ़ती जा रही है।
फरीदाबाद के ही कृष्णानगर की घटना बताती है कि समाज में अनैतिकता किस कदर हावी हो रही है। ऐसी घटनाएं बहुतायत में समाचार पत्र में कहीं न कहीं पढ़ने को मिल जाती हैं। कृष्णानगर निवासी अरुण एक निजी अस्पताल में सफाई कर्मी का काम करता था। कुछ दिनों पहले उसे उसे बुखार आ रहा था। इलाज कराने के बाद भी जब बुखार ठीक नहीं हुआ, तो उसकी पत्नी उसे अपने मायके एनआईटी पांच में लेकर चली गई। दवा खाने के बाद जब वह सो रहा था, तो उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की गला घोटकर हत्या कर दी।
अरुण के परिवार वालों ने जब गले पर बेल्ट का निशान देखा, तो वह पुलिस के पास पहुंचे और मामले का खुलासा हुआ। दूसरी घटना में सोनू नामक युवक ने पत्नी और ससुराल वालों के व्यवहार से आजिज आकर तेजाब पीकर आत्महत्या कर ली। तीन साल पहले सोनू और आरती की शादी हुई थी। तीन साल बाद भी जब कोई संतान नहीं हुई, तो इसका दोष आरती सोनू पर मढ़ने लगी। वह इस मामले को लेकर सोनू को भला-बुरा कहती थी। सोनू की ससुराल वाले भी उसका मजाक उड़ाते थे और कड़वी बातें कहते थे। गुरुवार को काम से आने पर सोनू से उसकी पत्नी लड़ बैठी।
उसने सोनू को ही नहीं, सोनू के परिवार वालों को भी काफी भला-बुरा कहा। इससे नाराज सोनू ने टायलेट में रखा तेजाब पी लिया। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन एक दिन बाद उसकी मौत हो गई। दरअसल, यह कोई अकेली घटना नहीं है। यह तो बानगी है। ऐसी घटनाएं देश में हर जगह आए दिन घटित होती रहती हैं। इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि समाज में अनैतिकता, कटुता और आपसी वैमनस्य बढ़ रहा है। समाज में जब से खुलापन आया है, यौनिक दुराचार बढ़ता जा रहा है। कहीं पतिअपनी पत्नी से बेवफाई कर रहा है, तो कहीं पत्नी अपने पति को धोखा दे रही है।
सामाजिक रिश्तों में विश्वसनीयता का अभाव दिखाई देने लगा है। देश की एक बहुसंख्यक आबादी एक तनाव में जी रही है। कहीं बेरोजगारी मुद्दा है, तो कहीं अत्यधिक खुलापन परिवार को नुकसान पहुंचा रहा है। आर्थिक स्थिति भी समाज में विघटन का कारण बन रहा है। महंगाई ने कई परिवारों की चैन छीन ली है। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। इससे हर आदमी त्रस्त है। ऐसी हालत में वह गलत रास्ता अख्तियार कर रहा है। इसके चलते कहीं कोई आत्महत्या कर रहा है, तो कोई फ्रस्टेशन में बेबात किसी से झगड़ा कर रहा है।
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