| प्रतीकात्मक चित्र |
अशोक मिश्र
जो व्यक्ति जैसा होता है, वह अपने जैसा ही दूसरों का बनाने का प्रयास करता है। अच्छा व्यक्ति है, तो वह हमेशा चाहेगा कि पूरी दुनिया के लोग उसके जैसे हो जाएं। अगर व्यक्ति बेईमान या क्रूर है, तो वह अपना नायक बेईमान और क्रूर व्यक्ति को ही मानेगा।
किसी देश में एक बादशाह था। वह बड़ा भला मानुस था। वह अपनी प्रजा के सुख-दुख का ख्याल रखता था। वह बिल्कुल सादा जीवन जीता था। दूसरे देशों या राज्यों के बादशाहों की तरह वह अपना समय आमोद-प्रमोद या रंगरलियां मनाने में विश्वास नहीं करता था। वह अपने सहयोगियों और अन्य गणमान्य लोगों को भी प्रेरित करता रहता था कि वह भी सादगी भरा जीवन जियें और दूसरों का भला करते रहें। लोग उसकी बात मानते भी थे। वह खाली समय में विद्वानों की संगति करता था।
उस समय गुलाम रखने की प्रथा थी। परंपरा के अनुसार उन्होंने एक गुलाम खरीदा। जब गुलाम को बादशाह के सामने लाया गया, तो बादशाह ने उससे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? गुलाम ने कहा कि जिस नाम से आप पुकारना चाहें। गुलाम को नाम रखने का अधिकार कहां है? बादशाह ने फिर पूछा-तुम खाओगे क्या? गुलाम ने विनम्रता से जवाब दिया-जो आप खिलाना चाहें। गुलाम की बात सुनकर बादशाह को हैरत हुई। उन्होंने पूछा-तू कैसे कपड़े पहनेगा। गुलाम ने कहा कि जो आप पहनने को देंगे।
बादशाह बोले-तुम काम क्या करोगे? गुलाम ने सिर झुकाकर कहा कि जो आप करने को कहेंगे। बादशाह ने कहा कि तुम चाहते क्या हो? गुलाम ने जवाब दिया-गुलाम की कोई इच्छा होती है क्या? बादशाह उस गुलाम को गले से लगाते हुए कहा कि आज से तुम मेरे उस्ताद हो? आज तुमने मुझे बहुत बड़ी सीख दी।
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