Monday, March 16, 2009

व्यंग्य


1 comment:

  1. भाई, टीवी चैनलों की कारगुजारी का बड़ा अच्छा चित्र खींचा है. इतना ज्यादा क्षेत्रीय होना फिर भी ठीक है, लेकिन कई चैनल तो खबर पैदा (सृजित) करने के लिए अ-संवेदना की हदें पार कर देते है. कभी अपनी लेखनी से इस पर भी कटाक्ष करें.

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