Tuesday, May 5, 2009

व्यंग्य

2 comments:

  1. बेवजह परेशान हुए. उन्हें किसी एक यूनिवर्सिटी में चले जाना चाहिए था. वहां कई तरह के उल्लू इकट्ठे मिल जाते. बीजगणित के नियमानुसार वहां का एक उल्लू = अन्य जगहों के एक हज़ार उल्लू मान कर पूरे देश के उल्लू गिने बता देते.

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  2. भाई, उल्लू गिनने का काम मुझे भी देना. आजकल बेरोजगार हूँ. एक-एक उल्लू को चुन-चुन के गिनूंगा. उल्लुओं की पहचान में माहिर भी हूँ. कभी मैंने कहा था-
    चलो अखबार के दफ्तर,
    करोगे देखकर क्या जू.
    गधे ने टिप्पणी लिख दी,
    खबर अब लिख रहा उल्लू.

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