
-अशोक मिश्र
मुंबई में होली का हुड़दंग देख किसी का भी दिल ‘जिया धड़क धड़क...जिया धड़क धड़क...जाए’ की तर्ज पर उठक-बैठक लगाने पर मजबूर हो सकता था। होली की मस्ती और मुंबइया छिछोरापन देख मैं बिना पिए ही बहकने लगा। मेरे भी मन में ‘कुछ-कुछ’ होने लगा। मैंने एक बार अपने कुर्ते की जेब में रखी रंग, अबीर और गुलाल की थैली को बाहर से ही थपथपाया और कुछ करने पर ऊतारू हो गया। मैंने इधर-उधर नजर दौड़ाई। मेरे आगे-आगे एक तिहाई नंगी, एक तिहाई अधनंगी और बाकी एक तिहाई कपड़े पहने एक युवती इठलाती, कमर मटकाती चली जा रही थी। लड़की की देहयष्टि क्या थी! आप यों समझिए कि एकदम ‘कनक छरी’ (सोने की छड़ी) थी। मैं लपककर उसके पास पहुंचा। वह कुछ समझ पाती कि मैंने पीछे से लगभग उस पर लदते हुए उसके गालों पर गुलाल मल दिया। लड़की पहले तो अकबकाई और फिर मेरी ओर घूमी और लगी घूरने। मेरे पेशानी ने ढेर सारा पसीना उगल दिया। डर गया। पहली बार मुंबई गया था और अपनी नादानी से ‘सिर मुड़ाते ही ओले गिरने’ वाली कहावत चरितार्थ कर बैठा था। मैंने कंपकपाती आवाज में कहा, ‘सॉरी मैम...दरअसल क्या है कि पहली बार मुंबई आया हूं। मुझे लोगों ने बताया था कि मुंबई की लड़कियां बिंदास होती हैं, वे होली पर थोड़ी छेड़छाड़ का बुरा नहीं मानेंगी। सो, यह गलती कर बैठा। अब कान पकड़ता हूं, ऐसी गलती नहीं करूंगा।’ मैंने जल्दी से कान भी पकड़ लिए।
लड़की के पूरे शरीर पर कालिख, रंग और अबीर-गुलाल पुता हुआ था। लग रहा था कि वह बारी-बारी से सभी रंगों और कालिख के ड्रम में डुबकी लगाकर आई हो। मेरी बात सुनकर लड़की हंस पड़ी। मैं चौंक उठा, ‘अरे! यह तो स्वप्न सुंदरी मल्लिका शहरावत हैं।’ मैंने झेंपते हुए बोलना जारी रखा, ‘आप तो पहचान में ही नहीं आ रही हैं। अब तो मैं आपके साथ जमकर होली खेलूंगा।’ इतना कहकर उनकी ओर लपका। मल्लिका ने हाथ के इशारे से रुकने को कहा और बोली, ‘पास में ही मेरा घर है। आओ, वहां चलकर होली खेलते हैं।’ मैं उनके साथ हो लिया। मल्लिका के घर पहुंचा। सैकड़ों युवक-युवतियां मल्लिका की ही तरह न्यूनतम कपड़ों में होली के नाम पर हुड़दंग मचा रहे थे। युवकों ने आइटम सांग गाने की फरमाइश की, तो वे लगीं झूमकर गाने, ‘बीड़ी जलइले जिगर से पिया...जिगर मा बड़ी आग है...आग है, आग है।’ उनकी देखा-देखी बंगले में मौजूद भीड़ भी ‘कमर मटकाव, लात चलाव’ नृत्य करने लगी। भीड़ के साथ मैं भी नाच के नाम पर हाथ-पैर फेंकने लगा। इसी बीच पता नहीं किस नामाकूल को शरारत सूझी और उसने पिचकारी की धार ठीक सीने के बीचोबीच दे मारी। नागिन की तरह लहराती-बलखाती मल्लिका का थिरकना रुक गया। उस समय मुझे ऐसा लगा, जिगर से जिगर सटाकर युवाओं की बीड़ी जलाने की कोशिश कर रही मल्लिका के जिगर पर ढेर सारा पानी डालकर किसी ने जिगर की धधकती आग को ठंडा कर दिया हो। सारे युवा स्तब्ध से खड़े रहे। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें।
मैंने मल्लिका से कहा कि मैं बॉलीवुड की आइटम गर्ल्स के साथ होली खेलना चाहता हूं। आपसे तो खेल लिया, लेकिन बाकी और से मैं कहां मिल सकता हूं। मल्लिका ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर की ओर खींचते हुए कहा,‘चलो, मैं तुम्हें मलाइका अरोड़ा खान के बंगले पर छोड़ देता हूं। हां, मैं किसी के बंगले में नहीं जाऊंगी। बाहर खड़ी होकर मैं तुम्हारे वापस आने का इंतजार करूंगी।’ मलाइका के बंगले में भीड़ बिल्कुल नहीं थी। एकाध लोग ही हाथों में रंग, अबीर-गुलाल लिए लाइन में खड़े थे। आइटम गर्ल मलाइका जिसके सामने से गुजर जातीं, वह आहें भरने लगता। दूर से ही रंग आदि उछालने के बाद सीने पर हाथ रखकर धड़कन को नियंत्रित करने की जुगत में लग जाता। मैं चूंकि पहली बार मुंबई गया था। उत्साह की अधिकता में लपककर मलाइका के पास पहुंचा और मुट्ठी •भर गुलाल उनके चिकने गालों पर मलते हुए नारा जैसा लगाया, ‘भीगे चाहे तेरी चुनरिया...भीगे चाहे चोली, खेलेंगे हम होली।’ गुलाल मलना था कि एक तरफ से आवाज आई, ‘ओए..चुलबुल पांडे की भाभी पर रंग फेकने की जुर्रत तूने कैसे की?’ मैंने आवाज की ओर नजर दौड़ाई। देखा, हाथों में एक बड़ा-सा डंडा लिए ‘दबंग’ पुलिसिया दौड़ा चला आ रहा है। मै घबरा गया। रंग और गुलाल की थैली छोड़कर भागा, तो मल्लिका के पास ही जाकर रुका। मल्लिका ने मुस्कुराते हुए पूछा, ‘मुस्टंडा पुलिसवाला मारने दौड़ा था क्या?’ मेरे स्वीकारात्मक सिर हिलाने वह बोली, ‘जब से दबंग बना है, मलाइका के साथ जो भी बतियाता मिल जाता है, वह उसी के साथ दबंगई करता है। कल मलाइका मिली थी, कह रही थी कि इस दबंग जेठ ने होली का सारा मजा ही किरकिरा कर दिया है।’
मैंने मल्लिका के सामने ‘शीला’ के साथ हुड़दंग करने की इच्छा जाहिर की। ‘शीला’ के घर पहुंचा, तो पता लगा कि वे शक्ति कपूर के साथ ‘बिजी’ हैं। शक्ति कपूर पैग हाथ में लिए कैटरीना के साथ आइटम सांग ‘माई नेम इज शीला...शीला की जवानी’ के साथ मटक रहे हैं। वे मटकते-मटकते शीला के साथ उस हरकत पर उतर आए जिसके लिए वे विख्यात हैं। पहले तो शीला ने इसे सिर्फ होली का हुड़दंग समझा, लेकिन जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा, तो वे चिल्ला उठीं, ‘बचाओ...यह मुआ बुड्ढा रील लाइफ को रियल लाइफ में मिलाकर मेरी इज्जत लूटना चाहता है।’ अपनी प्रिय हीरोइन को संकट में देखकर मेरा गंवई जोश ठाठें मारने लगा। मैं लपककर शक्ति कपूर के पास पहुंचा और उन्हें जबरदस्त धक्का दिया। शक्ति कपूर धड़ाम से गिरे और हरकतहीन हो गए। मल्लिका और शीला ने समझा कि वे इस दुनिया से ‘गो, वेंट, गॉन’ हो गए हैं। वे चीखने लगीं, ‘हाय राम! इस आदमी ने शक्ति सर को मार डाला...दौड़ो...पकड़ो...मारो...।’ इन दोनों नाजनीनों को पाला बदलते और चीखते-चिल्लाते देखा, तो सिर पर पैर रखकर भागा। भागते-भागते पलटकर देखा, तो वे शीला और मल्लिका के साथ छिछोरी हरकत पर उतारू थे और दोनों खड़ी मस्तियाती जा रही थीं। राखी सावंत, पूनम पांडे के साथ होली खेलने की हिम्मत ही नहीं पड़ी।
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