Tuesday, July 10, 2012

सेकेंड हैंड जवानी


-अशोक मिश्र
मेरे पड़ोस में रहते हैं  चचा गबोधर। चचा गबोधर मेरे कोई सगे-संबंधी नहीं हैं। जब से इस मोहल्ले में आया हूं, उन्हें चचा कहता आ रहा हूं। मेरी पत्नी भी उन्हें चचा कहती है, मेरे बेटी-बेटा भी उन्हें चचा ही कहते हैं। खुदा न खास्ता, अगर आज मेरे मरहूम वालिद जन्नतनशीं न हुए होते, तो वे भी उन्हें चचा ही कहते। मेरे कहने का मतलब यह है कि वे मोहल्ले के ही नहीं, पूरे जिले के चचा हैं। कई बार तो मजा तब आता है, जब कब्र में पांव लटकाए पचहत्तर वर्षीया ‘युवा’ परदादी उन्हें चचा कहती हैं, तो वे बेचारे खिसिया जाते हैं। लेकिन यह खिसियाहट मात्र कुछ ही क्षण रहती है। वे पहले की तरह फिर सामान्य हो जाते हैं। चचा गबोधर हम युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। उनकी लोकप्रियता का कारण उनकी खुशमिजाजी और रसिकपना है। वे ऐसी-ऐसी रसीली बातें करते हैं कि उनके पास से उठने का मन ही नहीं करता है।
रविवार की शाम को मैं उनके घर में बैठा चाय सुड़कते हुए पकौड़े भकोस रहा था। चचा की बातें ‘चटनी’ का काम कर रही थीं। अपनी पड़ोसिन छबीली और रसीली को लेकर चचा गबोधर बड़े तरन्नुम में आलाप भर रहे थे। तभी उनके बारह वर्षीय बेटे ‘डमडम’ ने प्रवेश किया। डमडम को देखते ही चचा अपनी बात कहते-कहते रुक गए। चचा ने बेटे डमडम को प्रश्नवाचक निगाहों से देखा, तो बेटे ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘पापा! जुम्मन अंकल से एक सवाल पूछना था।’ मैंने अपने मुंहबोले ‘भाई कम भतीजे’ की मदद करने की नीयत से तपाक से कहा, ‘हां...हां बेटे! पूछो क्या पूछना है?’
‘अंकल! आज सुबह चैनल पर फिल्म ‘कॉकटेल’ का एक गाना आ रहा था। उस गाने में सैफ अंकल से साथ दीपिका आंटी और एक दूसरी आंटी (जिनका नाम मुझे नहीं मालूम है।) बड़ी लिपट-चिपटकर गाती हैं ‘नहीं चाहिए मुझको तेरी सेकेंड हैंड जवानी। उसके साथ ही तुक भिड़ाने को ‘ऐंड जवानी’, ‘तेरी बैंड जवानी’ जैसे शब्द आते हैं, मैं लाख सिर खपाने के बावजूद अब तक ‘सेकेंड हैंड जवानी’ का अर्थ नहीं जान पाया हूं। अंकल, आप मुझे क्या उदाहरण सहित इस सेकेंड हैंड जवानी का अर्थ समझा देंगे।’ डमडम का सवाल सुनते ही मेरे ही नहीं, चचा गबोधर के हाथ के तोते उड़ गए। तमतमा उठे चचा। वे बेटे को डांटने वाले ही थे कि मैंने उन्हें चुप रहने का इशारा करते हुए कहा, ‘बेटे! तुम अभी छोटे हो। तुम्हें इन सब गानों के चक्कर में पड़कर अपनी पढ़ाई बरबाद मत करो।’
‘नहीं अंकल! स्कूल में मेरी गर्लफ्रेंड शोशो है न, उसको भी इसका मतलब बताना है। कल उसी ने तो मुझसे पूछा था इसका मतलब।’ डमडम ने मासूमियत से सफाई दी। पता नहीं क्यों, मुझे लगा कि अगर अभी बच्चे की उत्सुकता शांत नहीं की गई, तो वह किसी और से पूछेगा। दूसरा उसको क्या बताएगा, इसकी क्या गारंटी है। मैंने समझाने वाले लहजे में कहा, ‘जब किसी व्यक्ति की शादी हो जाती है और बाद में वह किसी लड़की से इश्क या शादी करने की सोचता है, तो उस लड़की के लिए उस व्यक्ति की जवानी सेकेंड हैंड हो जाती है।’ मेरी बात सुनकर डमडम कुछ गंभीर हुआ। उसने अपनी नाक पर गिर आए चश्मे को दुरुस्त करते हुए कहा, ‘अंकल! मैं समझ गया। अब मैं शोशो को भी इसका अर्थ संदर्भ सहित बता सकता हूं।’
मैंने उत्सुकता जताई, ‘क्या समझ गए?’ उसने उत्साहपूर्वक कहा, ‘अब जैसे उस गाने में सैफ अंकल और दीपिका और दूसरी वाली आंटी का ही मामला लें। चूंकि सैफ अंकल की शादी अमृता आंटी से एक बार हो चुकी है, तो सैफ अंकल की जवानी दीपिका और दूसरी वाली आंटी के लिए फर्स्ट हैंड तो नहीं रही न। उन दोनों आंटियों के लिए सैफ अंकल तो सेकेंड हैंड ही हुए न। एक उदाहरण और बताऊं, अंकल! अभी थोड़ी देर पहले आप और पापा छबीली और रसीली आंटी के बारे में ‘गल्लां-बातां’ (बातचीत) कर रहे थे। छबीली और रसीली आंटी के लिए मैं तो फर्स्ट हैंड हूं और ये दोनों आंटियां मेरे लिए सेकेंड हैं, लेकिन आप दोनों वे दोनों और उन दोनों के लिए आप दोनों सेकेंड हैंड ही हैं।’ इतना कहकर डमडम मुस्कुराता हुआ कमरे से बाहर चला गया। उसके जाते ही चचा गबोधर फट पड़े, ‘मियां जुम्मन! यह नई पीढ़ी तो समझो, निकम्मी निकल गई। इस पीढ़ी से अब मुझे तो कोई उम्मीद रही नहीं, एकदम बेकार है यह नई पीढ़ी। इसके अभी से पर निकल आए हैं।’ चचा गबोधर लगभग आधे घंटे तक नई पीढ़ी को उपदेश देते रहे और मैं चुपचाप सुनता रहा।

No comments:

Post a Comment