Thursday, February 14, 2013

‎...गुड़ गोबर हो गया


-अशोक मिश्र
वेलेंटाइंस डे नजदीक आ रहा था। काफी ऊहापोह में था कि वेलेंटाइंस डे क्या करूं? किसको प्रपोज करूं? जिसको प्रपोज करूं, वह मानेगी भी या नहीं? कहीं रोज डे के दिन बड़े प्रेमभाव से लाया गया गुलाब मेरे ही मुंह पर तो नहीं फेंक दिया जाएगा? हग डे के दिन पिट तो नहीं जाऊंगा? कई बार हिंदूवादी संगठनों की तोड़फोड़ का भी खयाल आया। संभावनाओं और आशंकाओं पर काफी विचार-विमर्श किया। पहले सोचा कि ज्यादा पचड़े में कौन पड़े, पत्नी को ही ह्यरोज-सोजह्ण देकर और ह्यजफ्फिया-पप्पियांह्ण पाकर शगुन के तौर पर वेलेंटाइंस डे मना लिया जाए। इसमें पिटने का भी कोई चांस नहीं था, लेकिन फिर खयाल आया कि जब साठ-पैंसठ साल के बुड्ढे भी इस दिन नया गिटार बजाने की जुगत में रहते हैं, तो मैं ही पुराना गिटार क्यों बजाऊं? मैं तो अभी जवान हूं।
काफी सोच विचार के बाद मैंने अपने ज्योतिषी मित्र मुसद्दीलाल से सलाह लेने की सोची। एक दिन पहुंच गया सुबह-सुबह उनकी दुकान पर। वे मुझे देखते ही लपककर उठे और गले लगा लिया। बोले, ह्यजिस दिन तुम आ जाते हो, उस दिन तुम्हारे जैसे कई ह्यआंख के अंधे, गांठ के पूरेह्ण फंस जाते हैं।ह्ण मैंने आंखें तरेरी, ह्यक्या मतलब है तुम्हारा?ह्ण मुसद्दीलाल ने बात संभाली, ह्यअरे यार! मैं तो मजाक कर रहा था। तुम न आंख के अंधे हो और न तुम्हारी गांठ में पैसा है, जो तुम मुझे दोगे। हां...यह बताओ, किसी खास काम से आए हो?ह्ण मैंने कहा, ह्ययार! मैं इस बार वेलेंटाइंस डे धमाकेदार अंदाज में मनाना चाहता हूं। कोई धांसू आइडिया हो, तो अपने ज्योतिष के पिटारे से निकालो और पुडिया बनाकर दे दो।ह्ण मुसद्दीलाल मेरी बात सुनकर मूंछों में मुस्कुराए और बोले, ह्यअपनी कुंडली लाए हो?ह्ण मैंने जेब से अपने भाग्य की ही तरह मुड़ी-तुड़ी कुंडली निकाली और उन्हें थमा दी। वे काफी देर तक मेरी कुंडली को गौर से देखते रहे और फिर गहरी सांस लेकर बोले, ह्यतुम्हारे वेलेंटाइंस डे पर इस वर्ष ह्यउल्कापातह्ण योग भारी पड़ रहा है। हो सके, तो इस बार वेलेंटाइंस डे को बख्श दो। दूर रहो वेलेंटाइंस डे के झमेले से, इसी में तुम्हारी भलाई है।ह्ण मुसद्दीलाल की बात सुनकर मुझे ताव आ गया। मैंने झट से अपनी कुंडली उठाई और बिना कोई दक्षिणा दिए घर चला आया। मन खिन्न हो रहा था। सो, पेट में दर्द होने और आफिस न आ पाने की असमर्थता जताकर अपने संपादक से एक दिन की छुट्टी ली और फेसबुक पर वेलेंटाइन ढूंढने लगा।
मैंने अपने कई फेसबुकिया गर्ल फ्रेंड से चैट करके पूछा, ह्यक्या वे मेरी वेलेंटाइन बनेंगी?ह्ण सत्तर फीसदी लड़कियों ने तो घास नहीं डाली, बाइस फीसदी लड़कियों ने कहा कि वे शहर से बाहर हैं, वरना वे मुझे निराश नहीं करतीं। सिर्फ आठ फीसदी लड़कियां ही प्रपोज डे के दिन मिलने को राजी हुईं, लेकिन इन आठ फीसदी में से ज्यादातर लड़कियां फाइव स्टार होटल में ही मिलने को तैयार थीं। फाइव स्टार होटल में उन्हें ले जाने मेरे बूते की बात नहीं थी। सो, ऐसे प्रस्ताव पर मैंने धूल डाली और बाकियों के इरादे जानने में जुट गया। एकाध ने लांग ड्राइव पर जाने प्रस्ताव रखा, तो मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास कार तो है नहीं। हां, अगर साइकिल पर वे लांग ड्राइव पर जाना चाहें, तो उनका स्वागत है। मेरी यह दशा जानते ही उनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी लड़कियां तुरंत साइन आउट (फेसबुक बंद करना) हो गईं। अकेली बची लड़की की प्रोफाइल पर नजर डाली, तो दिल गार्डेन-गार्डेन हो गया। क्या, लल्लन टॉप जवान लड़की थी। फोटो देखते ही दिल पसली में धाड़-धाड़ करके धड़कने लगा। उससे गांधी पार्क में सुबह दस बजे मिलने का प्रोग्राम तय करके सो गया। दिन-रात सोने के बाद जब अगली सुबह उठा, तो काफी उल्लास में था। गाते-गुनगुनाते नहाया-धोया, खाना खाया और सज-धजकर तैयार हुआ। घर से निकलते समय घरैतिन ने तंज कसा, ह्यसज-धज तो ऐसे रहे हो, जैसे ससुराल जा रहे हो?ह्ण मैंने मुंह बिचकाते हुए कहा, ह्यऐसा ही समझ लो।ह्ण
गांधी पार्क पहुंचा, तो फेसबुक पर नियत किए गए स्थान पर गुलाब की टहनी लेकर खड़ा हो गया। काफी देर बाद बुर्के में लिपटी एक महिला आई और भर्राई हुई आवाज में बोली, ह्यदेर तो नहीं हुई?ह्ण मैंने वाणी में मिठास घोलते हुए कहा, ह्यनहीं जी...।ह्ण इतना कहकर मैंने एक घुटने को मोड़कर जमीन से टेकने के बाद गुलाब की टहनी पेश करते हुए कहा, ह्यजिस तरह यह गुलाब का फूल कांटों के बीच रहकर भी मुस्कुरा रहा है, उसी तरह कांटे रूपी पत्नी के होते हुए भी मेरा दिल सिर्फ आपके लिए धड़क रहा है। इसे स्वीकार कीजिए।ह्ण बुर्के में से आवाज आई, ह्यस्वीकार किया...।ह्ण आवाज सुनकर मैं चौंका, यह आवाज तो मेरी घरैतिन जैसी है। उसने बुर्का उतारते हुए कहा, ह्यमियां मंजनू..वेलेंटाइंस डे मुबारक।ह्ण और मैं बीवी का चेहरा देखकर होश खो बैठा। बाद में पता चला कि फेसबुक वाली लड़की मेरे मोहल्ले में रहती है और मेरी घरैतिन से अच्छी जान पहचान है। उसी ने मेरी कामनाओं पर उल्कापात करने की योजना बनाई थी। बुर्का भी उसी ने अरेंज किया था।

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