Tuesday, June 4, 2013

फटे पायजामे में टांग क्यों अड़ाऊं?

-अशोक मिश्र
कल शाम को मैं उस्ताद गुनहगार से मिलने उनके घर गया। काफी देर गुफ्तगू के बाद वहां से निकला और अपने घर की राह ली। गुनहगार ने बहुत कहा कि मैं पीएमओ की मदद करूं। यह राष्ट्र सेवा है। गुनहगार ने काफी चिरौरी की, लेकिन मैंने कह दिया, मुझसे यह नहीं होगा। ...मुझे क्या पड़ी है किसी के फटे में टांग अड़ाने की। बचपन में कई बार दूसरों के फटे में टांग अड़ाने के चलते भैया से पिटा, जिसके फटे पायजामे में टांग अड़ाई, उसने पीटा। होता यह था कि मेरे दसवीं-बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले दोस्त बड़ी मुश्किल से किसी कन्या को अपने प्रेमपाश में फांसते थे और मैं अपना नैतिक और पुनीत कर्तव्य समझकर उस कन्या के पिता या भाई को जाकर चेता देता था। जब मेरे दोस्त कन्या के भाइयों या पिता से पिट-पिटाकर आते तो वे मेरी उससे कहीं ज्यादा खातिरदारी किया करते थे, जितनी उनकी हुई होती थी। वे घर में आकर भैया से भी मेरी करतूत बता जाते थे। बस फिर क्या था? भैया भी जमकर पीट देते थे। कई बार तो ऐसे हालात पैदा हुए कि अगर बीवी कुलवंती, शीलवंती और पति को परमेश्वर मानने की परंपरा वाली न होती, तो मेरा पिटना निश्चित था। एक बार तो आजिज आकर घरैतिन ने कसम दे दी कि खबरदार...आज के बाद किसी के मामले में टांग अड़ाई तो? कसम की लाज बचाने की खातिर मैंने वह काम कर दिखाया, जो भैया और दोस्तों की पिटाई भी नहीं करवा पाई थी। मैंने दूसरों के  फटे में टांग अड़ाना छोड़ दिया। अब जब शरीफ हो गया हू, तो मैं किसी की चाहूं, तो भी मदद नहीं कर सकता। वरना...जिस बात को लेकर पिछले बहत्तर घंटे से पीएमओ में हड़कंप मचा हुआ है, मैं उस मामले को चुटकियों में सुलझा सकता हूं।
आप अगर किसी से यह बात न बताने का वायदा करें, तो मैं आपको असली बात बता सकता हूं। हुआ क्या कि गुजरात के एक वैज्ञानिक को कोई साल भर पहले आणंद में खुदाई करते समय एक कंकाल मिला था। कार्बन डेटिंग और डीएनए परीक्षण में यह साबित हुआ कि यह सदाचार का कंकाल है। किसी ने अकेले-दुकेले पाकर सदाचार को लूटने के बाद उसकी हत्या कर दी थी और लाश को वहीं दफना दिया था। सदाचार की हत्या होने के बाद से ही देश में भ्रष्टाचारियों, बलात्कारियों, धोखेबाजों, लंपटों का बोलबाला होने लगा। उस वैज्ञानिक ने दावा किया था कि वह इस कंकाल के डीएनए से हजारों-लाखों सदाचारियों को पैदा कर सकता है। इन सदाचारियों को अगर चुनाव लड़वाया जाए, तो ये चुनाव जीतकर देश और समाज में सदाचार का विस्तार कर सकते हैं। इससे भ्रष्टाचारियों को प्रश्रय देने, उन्हें टिकट देकर जितवाने और भ्रष्ट सरकार के मुखिया होने का उन पर लग रहा आरोप धुल जाएगा और यूपीए हैट्रिक भी मार लेगी। प्रधानमंत्री ने उस वैज्ञानिक को हरी झंडी दिखाते हुए इस योजना को गुप्त रखने को कहा था। उन्होंने सोचा था कि आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस इन्हीं सदाचारियों को टिकट देकर विपक्षियों को चारों खाने चित कर देगी, लेकिन होनी तो कुछ और ही थी। उस वैज्ञानिक ने प्रधानमंत्री कार्यालय को यह कहते हुए कंकाल सौंप दिया था कि मैं लैब-सैब की व्यवस्था करके आता हूं, फिर ‘प्रोजेक्ट सदाचार’ में लगूंगा। विशेष सुरक्षा में रखा गया वह कंकाल पिछले बहत्तर घंटों से गायब है। पीएमओ में कार्यरत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के होश फाख्ता हैं। वे एक- दूसरे को शक की निगाहों से देख रहे हैं। एक अधिकारी ने अपने एक वरिष्ठ पर आरोप लगाते हुए यहां तक कहा कि  हो न हो, कंकाल गायब करने में सिन्हा जी का हाथ है। पिछले कुछ दिनों से वे बार-बार उस कंकाल को हसरत भरी निगाहों से देख रहे थे। उस्ताद गुनहगार बता रहे थे कि लापरवाही बरतने के आरोप में कुछ कर्मचारी और अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। इस मामले की गुप्त रूप से जांच खुफिया एजेंसियों को सौंपी जा चुकी है।
अब आप कहेंगे कि पीएमओ के इस फटे पायजामे में मैं कैसे टांग अड़ा सकता हूं। बात दरअसल यह है कि जिस समय एक व्यक्ति कपड़े में लपेटकर उस कंकाल को लेकर जा रहा था, मैं सुबह-सुबह हवाखोरी के लिए उधर गया था। मैंने चेहरे पर कपड़ा लपेटे उस व्यक्ति का उत्सुकतावश पीछा किया। उस आदमी ने उस कंकाल को दिल्ली के ही एक इलाके में दफना दिया है। मैं वह स्थान जानता हूं। यह बात उस्ताद गुनहगार को पता चली, तो वे प्रधानमंत्री कार्यालय से कंकाल खोज निकालने का बयाना ले बैठे। अब बयाना लिया है, वे झेलें। मैं क्यों जहमत उठाऊं। और फिर कहीं...देश में सदाचार का बोलबाला हो गया, तो? सारे भ्रष्टाचारी मुझे ही कोसेंगे न! बेचारे भ्रष्टाचारियों की हाय क्यों मोल लूं। कितनी मेहनत करते हैं, तब कहीं जाकर हजार-दो हजार करोड़ रुपये कमा पाते हैं। मैं नहीं पड़ने वाला इस पचड़े में। अच्छा आप ही बताएं, मैं किसी की फटी पैंट में टांग क्यों अड़ाऊं। आखिर मैंने अपनी पत्नी को वचन दिया है। आप पूछेंगे, तो भी कंकाल का पता नहीं बताऊंगा।

No comments:

Post a Comment