Saturday, February 28, 2015

फाल्गुन मायने 'जवानी है दिवानी'

अशोक मिश्र
मुंबई के वर्ली इलाके में 'एआईबी रोस्ट' शो का दूसरा एपीसोड फिल्माया जा रहा था। मैंं लोगों को धकियाकर अंदर जाने की कोशिश कर ही रहा था कि वहां तैनात मार्शलों ने यह कहते हुए रोक दिया, 'बच्चों और बूढ़ों के प्रवेश की अनुमति नहीं है।' मैंने उसे लाख समझाया कि मैं दिखता भले ही 45-46 साल का हूं, लेकिन यकीन मानो अभी कुछ ही दिन पहले जवान हुआ हूं। इधर मैं 'एआईबी रोस्ट' कार्यक्रम देखने पर आमादा था, तो उधर मार्शल मुझे हर हालत में अंदर घुसने से रोकने पर। तकरीबन दो घंटे की जद्दोजहद के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। मैंने निराश हो चला था, तभी दीपिका पादुकोण अंदर से निकलती दिखाई दीं। मैं लपककर उनके पास पहुंचा। उनसे संक्षिप्त इंटरव्यू की मांग की, तो उन्होंने इधर-उधर देखा और बोलीं, 'अच्छा चलो..सोनू टी स्टाल पर बैठकर बातचीत करते हैं।' पेश है उनसे हुई होलिकाना बातचीत के कुछ अंश।
यह 'एआईबी' क्या बला है? इसकी तो पूरे देश में धूम मचा हुई है। एआईबी शब्द का उच्चारण करते ही युवाओं के दिल धड़कने-फड़कने लगते हैं, वहीं बूढ़ों के दिल खड़कने लगते हैं। ऐसा क्यों? 
बगलोल...आल इंडिया बगलोल..यही फुलफार्म है एआईबी का। जिनके दिल हमारी बगलोलियत पर धड़क रहे हैं, फड़क रहे हैं, इसका मतलब है कि वे अभी जवान हैं। जवान ही बगलोल होता है। जो बगलोल नहीं है, वह जवान नहीं है, वह जिंदा नहीं है। और जो जिंदा नहीं है, उसकी बातों पर हम फिल्म इंडस्ट्री वाले ध्यान ही नहीं देते हैं।
फिर एआईबी के साथ 'रोस्ट' शब्द जोडऩे की क्या जरूरत आ पड़ी थी? पूरे कार्यक्रम का नाम तो 'एआईबी रोस्ट' था?
(हंसती हुई)..अब आपको रोस्ट शब्द का अर्थ भी बताना पड़ेगा? रोस्ट का मतलब होता है भुना हुआ। फाल्गुन में जितने लोग जवान होते हैं, वे मस्तियां करते हैं, अपने सहेलियों-सहेलाओं के साथ पप्पियां-जफ्फियां पाते हैं। एक दूसरे से छेड़छाड़ करते हैं। जो जवान नहीं होते, वे जवान होने की कोशिश करते हैं। जो इस कोशिश में भी फेल हो जाते हैं, वे जवानों को मस्ती करते देखकर जलते-भुनते रहते हैं। ऐसे ही लोगों को जलाने-भुनाने के लिए शो का नाम 'एआईबी रोस्ट' रखा गया यानी जो इस फाल्गुन में मस्ती नहीं कर सकता, वह या तो अपने आप जलता-भुनता रहे, वरना हम उसे जलाते-भुनाते रहेंगे।
लेकिन एआईबी रोस्ट शो में ऐसा हुआ क्या था जिसको लेकर जवान तो मगन हैं ही, बूढ़े भी 'फागुन में देवर लगने वाले बाबाओं' की तरह भकुआए घूम रहे हैं?
-कुछ नहीं जी..कुछ नहीं....बस धर्म-कर्म की बातें हो रही थीं। करन सर, अर्जुन कपूर और रणवीर सिंह हम सभी को..आई मीन..मुझे, आलिया को.. हम जैसी हजारों गल्र्स को.. हमारे धर्म के बारे में समझा रहे थे। वह यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि हमारा धर्म क्या है? हमारे कर्म क्या हैं? इसको कैसे निभाया जा सकता है?
धर्म-कर्म की बातों पर इतना हो हल्ला कि देश में कई जगहों पर एफआईआर भी दर्ज हो गया आप लोगों के खिलाफ? बात कुछ हजम नहीं हुई?
(कुछ गुस्से में) आप तो पूरे बगलोल लगते हैं। आप कहां थे अब तक? अगर पहले मिल जाते तो आपको ही आल इंडिया बगलोल रोस्ट का चीफ गेस्ट बना देते। अरे..आप इतना भी नहीं समझते? इस समय मैं क्या हूं?
(सकपकाते हुए) आप हीरोइन हैं? हमारे जैसे युवाओं के दिलों की धड़कन हैं।
हीरोइन तो हम बाद में हैं। जवान मैं पहले हूं। जवानों का धर्म क्या है? जवानों का मौलिक धर्म है, मौज-मस्ती करना। यौवन का आनंद उठाना। और फिर फाल्गुन के महीने में तो वैसे ही बदन टूटता है, एक खुमारी-सी छाई रहती है। जी करता है कि कहीं से कोई रोड रोलर आए और हमें पीस दे, ताकि इस निगोड़े बदन दर्द से छुटकारा मिल जाए। ऐसे में जो युवाओं का धर्म और कर्म है, वही हम सब 'आल इंडिया बगलोल रोस्ट' में कर रहे थे, समझ रहे थे। और फिर फाल्गुन का मतलब ही है कि जवानी है दिवानी। अब समझे कि नहीं, हम सभी युवा धर्म-कर्म की ही बातें कर रहे थे।
चलिए, धूल डालिए..आल इंडिया बगलोल रोस्ट पर। बात करते हैं फिल्म 'ये जवानी है दिवानी' के एक गीत की। 'हां जींस पहन के जो तूने मारा ठुमका, तो लट्टू पड़ोसन की भाभी हो गई' गीत की इस लाइन का अर्थ मेरी समझ में नहीं आया कि जींस पहनकर ठुमका मारते ही लट्टू पड़ोसन की भाभी कैसे हो गई?
(कुछ देर सोचने के बाद) देखो, इस गीत के मुताबिक, सीन में दो नायिकाएं हैं। इन दोनों नायिकाओं के घर के बीचोबीच नायक का घर है। ये दोनों नायिकाएं आपस में सहेलियां भी हैं और दोनों नायक को प्यार करती हैं। यहां लट्टू शब्द द्विअर्थी है। एक अर्थ के हिसाब से लट्टू नायिका का नाम ठहरता है, दूसरे अर्थ में दोनों नायिकाओं के नायक पर लट्टू (मोहित होने) का भाव दर्शाता है। अब इस पंक्ति का अर्थ ऐसे बनता है। किसी समारोह में नायिका लट्टू ने जींस पहनकर नायक के सामने ठुमका मारा, तो नायक ने तत्काल नायिका लट्टू से विवाह कर लिया। चूंकि दूसरी नायिका समाज को दिखाने के लिए नायक को भाई साहब कहती थी, इसलिए जब नायिका लट्टू और नायक का विवाह हो गया, तो नायिका लट्टू अपनी सहेली और नायक की पड़ोसन प्रेमिका की भाभी हुई कि नहीं।
आप इस बार होली कैसे मनाएंगी? कुछ बताइए हमें भी?
हां...राखी सांवत से होली पर छेड़छाड़ के टिप्स ले रही हंू। सनी लियोन और मल्लिका सहरावत की क्लास भी अटेंड कर रही हूं। इस बार धर्मेंद्र पाजी, बिग बी यानी अमिताभ बच्चन जी, मिथुन दा और कपिल शर्मा के विशेष रूप से रंगने का इरादा है। रणवीर सिंह और अर्जुन सिंह इसमें विशेष रूप से मदद करेंगे।
(इतना कहकर दीपिका पादुकोण उठी और अपनी गाड़ी पर बैठकर फुर्र हो गईं।)

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