Monday, February 27, 2012

माई नेम इज सनी...

अशोक मिश्र

इंद्रलोक में होलिकोत्सव की धूम मची हुई थी। ज्यादातर देवगण रंग और गुलाल से सराबोर थे। वातावरण में रंग, अबीर-गुलाल के साथ-साथ देव कन्याओं का यौवन भी छलका पड़ रहा था। इंद्रलोक में उपस्थित युवाओं के कदम ही नहीं, नेत्र भी बहक रहे थे। देव, गंधर्व, नाग और यक्ष कन्याओं को देख होरिहारों की टोली में से कोई मतवाला देव गा उठा, ‘नक्बेसर कागा ले भागा..अरे मोरा सैंया अभागा न जागा। उड़ि कागा मोरी बिंदिया पे बैठा..अरे बिंदिया पे बैठा। मोरे माथे का रस सब ले भागा...मोरा सैंया अभागा न जागा।’ मतवाले देव ने हाथ उठाकर कोरस गान के लिए भीड़ को ललकारा, लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया। पवन देव, अग्नि देव और कामदेव इस हुड़दंग से अलग एक कोने में खड़े किसी गुप्त मंत्रणा में लीन थे। कामदेव के पृथ्वीवासी एक अनन्य भक्त ने पिछले दिनों अमेरिकी सुरा की एक पेटी भेंट की थी। कामदेव ने कुछ बोतलें होलिकोत्सव के लिए बचा रखी थीं। उसी सुरा को तीन खाली बोतलों में सोडा और पानी मिलाकर कामदेव ने अपने दोनों मित्रों को दे दिया था जिसे इन तीनों ने अपने कुर्ते की जेब में छिपा लिया था।

ये तीनों होलिकोत्सव में उपस्थित हुड़दंगियों की निगाह बचाकर बीच-बीच में एकाध घूंट मार लेते थे। देवराज इंद्र पिचकारी लिए दबे पांव अपनी प्रिय नृत्यांगना रंभा के पास पहुंचे और उसकी चोली पर दे मारी पिचकारी की धार। रंभा ने कटाक्ष भरे नयनों से पहले देवराज को निहारा और ‘डर्टी पिक्चर’ की विद्या बालन की तरह मटकती हुई बोली, ‘क्या देवराज! आपको होली खेलने का शौक तो बहुत है, लेकिन आपकी ‘पिचकारी’ में रंग ही नहीं है। ‘दो बूंद जिंदगी की’ की तरह थोड़ा-सा रंग उड़ेल कर ही संतोष कर लिया? पिचकारी में कम से कम इतना रंग तो हो कि मेरी चोली भीग जाए।’ यह देख देवराज के पुत्र जयंत ने गब्बर सिंह वाली स्टाइल में रंभा से कहा, ‘अरी ओ छमिया! तुझे रंग खेलने का बहुत शौक है, तो मेरे पास आ। मेरी ‘पिचकारी’ में रंग भी है और दम भी।’ देवराज पर हुए कटाक्ष को सुनकर देवगण ठहाका लगाकर हंस पड़े। बूढ़े देवराज खिसिया गए। हुड़दंगियों की भीड़ से हटकर देवराज ने ताली बजाई। तभी पवन, अग्नि, कामदेव और अश्विनी कुमार के साथ देवराज का सारथी मातलि प्रकट हुए। सुरा और क्रोध के चलते देवराज की जुबान लड़खड़ा रही थी, वे बोल नहीं पा रहे थे।

कामदेव बोले, ‘यह रंभा अपने को समझती क्या है? मर्त्यलोक में तो एक से बढ़कर एक सुंदरियां हैं।वे अगर यहां आ जाएं, तो अप्सराएं ही नहीं, देवी शती और रति भी उनके सौंदर्य के आगे पानी भरने लगेंगी।’ पवन देव ने कहा, ‘अगर मर्त्यलोक से किसी को बुलाना ही है, मल्लिका शहरावत, विद्या बालन, कैटरीना कैफ, मलाइका अरोड़ा और पाकिस्तानी नायिका वीना मलिक को बुलाइए। मेरी तो मर्त्यलोक में काफी पहुंच है। पिछले दिनों मैंने अपने एक दूत से एक सीडी मंगवाई थी। कसम से! क्या गजब की सीडी थी। सीडी की हीरोइन राजस्थान में नर्स थी। यदि उसका पुनर्जन्म न हुआ हो, तो उसे भी बुलाया जा सकता है।’ देवराज या अन्य कोई कुछ कहता कि तभी वातावरण में खड़ताल के साथ आवाज गूंजी, ‘नारायण.......नारायण...आप लोग भारतवंशी ‘सनी लियोन’ को भूल ही गए। क्या गजब का फीगर है? एकदम मस्त। बुलाना है, तो उसे बुलाइए।’ हवा में कुछ बवंडर सा उठा और जब यह साफ हुआ, तो सबने देखा कि शरीर पर ढेर सारा पेंट, कालिख, रंग, अबीर-गुलाल और कीचड़ से सने देवर्षि नारद झूम रहे हैं।

उन्होंने झूमते और आंखें मिचमिचाते हुए कहा, ‘नारायण..नारायण..सनी लियोन तो एकदम पटाखा है, क्या माल है नारायण... एक खास इंडस्ट्री की सबसे महंगी हीरोइन है। नारायण..नारायण....अगर वह इंडस्ट्री यहां लग जाए, तो मजा आ जाए।’ देवराज इंद्र ने सनी लियोन को होलिकोत्सव में सदेह पेश किए जाने का आदेश दिया। कुछ ही देर बाद अपने नाज-ओ-अदा के साथ सनी लियोन होलिकोत्सव में पेश हुईं। सनी लियोन को देखते ही सारे देवगण होली खेलने को ‘जोगीरा सररररररर’ गाते हुए उसकी ओर लपके। वह कुछ देर सोचती रही और फिर गाने लगी, ‘माई नेम इज सनी..सनी की जवानी। इफ यू डू हैंडसम पेमेंट, तो तेरे हाथ भी आनी। माई नेम इज सनी...।’ यह बोल सुनते ही देवगण पगला गए। अपने हाथों में इंद्रलोक की करंसी, स्वर्णाभूषण और हीरे लेकर सनी लियोन पर लुटाने लगे। थोड़ी ही देर में वातावरण काफी गर्म हो उठा। अव्यवस्था फैलती देख देवराज ने होलिकोत्सव के समाप्त होने की घोषणा के साथ लियोन को निजी कक्ष में तत्काल उपस्थित होने का आदेश दिया। इससे देवगणों में अंसतोष फैल गया और वे देवराज इंद्र के महल के सामने उग्र प्रदर्शन करने लगे। अंतत: मजबूर होकर देवराज को लाठीचार्ज और पूरे देवलोक में कर्फ्यू लगाने का आदेश देना पड़ा।

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