अशोक मिश्र
आदरणीय पार्वती नंदन, सादर प्रणाम। मुझे विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि इस बार आप भूलोक पर दीपावली मनाने की सोच रहे हैं। तो भगवन! आपका दासानुदास होने के नाते सबसे पहली विनती तो यह है कि आप अपना यह कार्यक्रम तत्काल स्थगित कर दें। आपका भूलोक आना खतरे से खाली नहीं है। राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियां आपके आगमन के अनुकूल नहीं हैं। आप तो प्रथम पूज्य हैं, सर्वज्ञानी हैं, ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। आपको भूलोक आने की सलाह किस ने दी है। चलिए, थोड़ी देर के लिए मान लिया कि आप आ भी जाते हैं, तो क्या करेंगे? यहां इतना प्रदूषण है कि आपका सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। कहां कैलाश और स्वर्गलोक का प्रदूषणरहित वातावरण और कहां इतना प्रदूषित वातावरण कि सांस लेना भी मुश्किल। वह तो भगवन हम लोग हैं, जो इस प्रदूषण के आदी हो चुके हैं। अब तो अगर कभी भूल-चूक से ऐसी जगह पहुंच जाते हैं, जहां प्रदूषण का स्तर कम हो, तो बेचैनी सी होने लगती है। पूरे देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर दिल्ली में भी हमें कोई दिक्कत नहीं होती है। हां, यह सोचकर कभी-कभी मन घबरा जाता है कि यदि कल सरकार ने दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने की ठान ली, तो लाखों-करोड़ों लोग बिना प्रदूषण के वैसे ही मर जाएंगे।
भगवन! एक भक्त हूं और भक्त अपने भगवान को मुसीबत में देख सकता है भला! मान लिया कि आप मेरे घर आएं, मैं आपको आपका प्रिय मोदक भी तो नहीं खिला सकूंगा। मोदक के नाम पर जो कुछ बेचा जा रहा है, वह मोदक नहीं, कुछ और ही होता है। उसमें न चीनी होती है, न बेसन होता है, न घी या वनस्पति तेल होता है। सब कुछ सिंथेटिक होता है। गणेश जी! मुझे नहीं मालूम कि इससे पहले आप कब पृथ्वी पर आए थे, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि अब भारत में दूध-दही और घी की नदियां नहीं बहती है। यहां तो अमीर अपने खेतों में उगाई गई सब्जियां, अनाज, फल और अपने फार्म में पाली गई गाय-भैंसों का दूध, दही और घी उपयोग में लाते हैं। बाकी 98 प्रतिशत जनता तो सिंथेटिक का उपयोग करती हैं। सिंथेटिक दूध, सिंथेटिक दही, सिंथेटिक पनीर, सिंथेटिक घी। और तो और भगवन...अब तो चीन देश की कृपा से प्लास्टिक के चावल, गेहूं, दालें ही हमारा आहार हैं। सब्जियों और फलों का तो पूछिए नहीं। अब आप ही सोचिए, अगर आप भूले-चूके मुझ जैसे किसी गरीब की कुटिया में पहुंच गए और उसने अपना आतिथ्य धर्म निभाया, तो क्या होगा? यह सब चीजें खाने के बाद आपके पेट में जो परमाणु बम की तरह के 'गुडुम-गुडुम..ठुस्स..फुस्स' की आवाज करते हुए विस्फोट होंगे, उसको कितनी देर झेल पाएंगे?
और पार्वती नंदन, अगर आप इन स्थितियों से न भी गुजरें, तो दूसरे किस्म का खतरा आपके सिर पर मडंराएगा। आप देवाधिदेव भगवान शंकर के पुत्र हैं। आप 'श्री' यानी 'लक्ष्मी' जी के साथ दीपावली के दिन विराजते हैं। आप सिर से लेकर पांव तक आभूषण से लदे-फंदे रहते हैं। भगवान भला करे, अगर कहीं किसी पुलिसवाले से टकरा गए, तो सबसे पहले वह थाने ले जाएगा। कुछ पुरानी फाइलें तलाशी जाएंगी और उन फाइलों में चोरी गई जेवरात से आपके जेवर मिलाए जाएंगे और फिर..भगवन! आगे आप सोच सकते हैं। अगर इससे भी बच गए, तो तमाम लफड़े हैं। इनकम टैक्स, सेल्सटैक्स, ईडी, ऊडी जैसे न जाने कितने विभाग हैं, जिनकी गिरफ्त में एक बार आए, तो फिर भगवन ये आपका पीछा कैलाश तक नहीं छोडऩे वाले हैं। तो हे प्रथम पूज्य गौरी सुत गणेश! आपसे यही प्रार्थना है कि आप फिलहाल इस बार आना कैंसिल करें और अगर स्थितियां सामान्य होती हैं, तो फिर मैं पत्र लिखकर सूचित करूंगा। आपका परमभक्त और कृपाकांक्षी-उस्ताद गुनहगार।
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