Tuesday, November 11, 2025

हरियाणा में प्रदूषण से घुटने लगा लोगों का दम, प्रशासन बेपरवाह

अशोक मिश्र 
दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ पूरे हरियाणा की हवा लोगों का दम घोटने लगी है। सांस, हृदय और त्वचा रोग से पीड़ित बहुतायत में अस्पतालों में पहुंचने लगे हैं। पूरे प्रदेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक ढाई सौ से तीन से बीच पिछले काफी दिनों से है। कई बार तो यह तीन सौ से पार भी गई है। अगर हाल की बात जाए, तो रोहतक इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित शहर रहा। रोहतक का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 374 रहा। प्रदेश में शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) काफी ज्यादा बढ़ रहा है। अधिकतर शहरों का एक्यूआई 200 पार है। रोहतक की हवा सबसे ज्यादा खराब रही। 
उसके अलावा बहादुरगढ़ और चरखी दादरी का एक्यूआई भी 300 को पार कर गया है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार हरियाणा में मौसम आमतौर पर 13 नवंबर तक खुश्क रहने की आशंका है। दिल्ली एनसीआर में तो एक पखवाड़ा पहले ग्रेप लागू कर दिया गया था। लेकिन इसका पालन सख्ती से नहीं हो रहा है। दिल्ली में हरियाणा के पुराने डीजल वाहनों का प्रवेश भी वर्जित किया था, लेकिन इस मामले में भी दिल्ली सरकार ने लापरवाही बरती और बेरोकटोक पुराने डीजल वाहन आते-जाते रहे हैं। 
हरियाणा सरकार ने भी इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि पूरे प्रदेश की हवा खराब हो गई। प्रदेश में ग्रेप लागू होने के बाद भी कई जिलों में खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है। भवन निर्माण भी अबाधित रूप से हो रहा है। प्रदेश में हवा की इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पलवल में स्थित एनएच 19 के पास स्थित बघौला गांव में रविवार को खुलेआम कूड़ा जलाया गया, लेकिन किसी ने कूड़ा जलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। 
ऐसा भी देखने में आया है कि अनाज मंडियों और सरकारी कार्यालयों के बाहर सफाई कर्मी खुलेआम कूड़ा इकट्ठा करके जलाते देखे गए हैं। यदि स्थानीय नागरिक इसकी शिकायत करने जाते हैं, तो स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के कर्मचारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यदि ऐसी हालत रही, तो निकट भविष्य में प्रदेश की हवा और भी खराब होगी। वैसे तो प्रदेश में किसानों के पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है। सरकार ने हर गांव में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है ताकि पराली को जलाने से रोका जा सके। 
यदि कोई पराली जलाता पाया जाए, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। लेकिन इसके बावजूद छिटपुट घटनाएं जरूर सामने आई हैं। वैसे पराली जलाने के मामले रुकने से राहत तो है, लेकिन कूड़ा जलाने आदि की घटनाएं सारे किए धरे पर पानी फेर रही हैं। स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को इस मामले में ध्यान देना चाहिए।

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