अशोक मिश्र
सुकरात यूनान के महान दार्शनिकों में गिने जाते हैं। दुनिया के दस महान दार्शनिकों में सुकरात का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। सुकरात के विचारों को तत्कालीन शासन विरोधी माना गया था।
उन पर आरोप लगाया गया था कि वह युवाओं को शासन के खिलाफ भड़का रहे हैं। इसके लिए उन्हें मृत्यु दंड दिया गया था। तत्कालीन समाज में जब किसी को मृत्युदंड दिया जाता था, तो उसे जहर का प्याला पीने को दिया जाता था। एक बार की बात है। उनके पास एक व्यक्ति आया और उसने कहा कि मैं सफलता का रहस्य जानना चाहता हूं। कृपया, आप मुझे बताने का कष्ट करेंगे।
सुकरात ने उस व्यक्ति को बड़े गौर से देखा और कहा कि कल तुम नदी के किनारे मिलो, मैं तुम्हें सफलता का रहस्य जरूर बता दूंगा। वह व्यक्ति चला गया। अगले दिन जब वह व्यक्ति नदी के किनारे मिला, तो सुकरात ने उस व्यक्ति को नदी की गहराई मापने का आदेश दिया। वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया कि नदी की गहराई मापने से सफलता के रहस्य का क्या संबंध है।
इसके बावजूद वह चुपचाप नदी में उतर गया। जब उस व्यक्ति नाक नदी के पानी के लेवल तक पहुंच गई, तो सुकरात ने उस व्यक्ति का सिर पकड़कर नदी में डुबो दिया। उस आदमी ने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन सुकरात उससे बलशाली निकले। थोड़ी देर बाद उसके सिर को छोड़ा, तो वह बाहर आकर बड़ी तेजी से सांस लेने लगा।
सुकरात ने पूछा कि जब तुम्हारा दम घुट रहा था, तो तुम क्या सोच रहे थे। उस व्यक्ति ने कहा कि बस पानी से बाहर निकलना सूझ रहा था। सुकरात ने कहा कि यह सफलता का रहस्य है। जब तुम जिस काम में सफल होना चाहते हो, तो बस उस काम के बारे में ही सोचो। हर क्षेत्र में तुम्हें सफलता मिलेगी।
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