बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
जेस्टर हेयरस्टन को नीग्रो होने की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा। उनका जन्म अमेरिका में सन 1901 में हुआ था। हेयरस्टन में संगीत के प्रति रुचि अपनी दादी की वजह से पैदा हुई। दरअसल, बात यह है कि जब जेस्टर छोटा था, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मां काम पर जाती थी, तो वह अपना समय अपनी दादी के साथ बिताता था। दोपहर में उसकी दादी की सहेलियां उसके घर आ जाती थीं।
उनकी दादी अपनी सहेलियों के साथ गपशप करती और गीत गाती थीं। हेयरस्टन उनके गीत सुनता। उसे अच्छा लगता था। धीरे-धीरे उसकी रुचि गीतों में बढ़ती गई। उसने तय कर लिया कि वह आगे चलकर संगीतकार बनेगा। हेयरस्टन ने ट्फ्ट्स यूनिवर्सिटी से संगीत में स्नातक किया और बाद में जूलियार्ड स्कूल में भी संगीत की पढ़ाई की।
जब अपनी कला को हेयरस्टन ने व्यावसायिक रूप देना चाहा, तो नीग्रो होने की वजह से लोगों ने उसका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन हेयरस्टन ने हार नहीं मानी। वह अपने काम में लगा रहा। उसकी गायन कला पर एक दिन एक कंपनी की निगाह पड़ी और उसने हेयरस्टन को एक अवसर देने का फैसला किया।
बस यहीं से हेयरस्टन की जिंदगी बदल गई। उनके गीतों ने पूरी दुनिया पर जादू किया। दुनिया भर में उनके गीतों को सुना जाने लगा। उनके प्रसिद्ध होने के बाद लोगों का नजरिया बदला, लेकिन अब भी कुछ लोग नीग्रो होने की वजह से भेदभाव करते थे।
एक बार हेयरस्टन ने अपने साथ हुए भेदभाव की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि संगीत की कोई जाति नहीं होती है। जो उसे मन से अपनाता है, वह उसी का हो जाता है। 2000 में 98 साल की आयु में हेयरस्टन का देहांत हो गया।




