Tuesday, December 16, 2025

नासा के अंतरिक्ष अभियानों को दी नई दिशा

बोोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

एक सौ एक साल तक जिंदा रहने वाली क्रेओला कैथरीन जॉनसन की गणनाएं इतनी सटीक होती थीं कि अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री तब तक यात्रा के लिए तैयार नहीं होते थे, जब तक उन्हें विश्वास न हो जाए कि कैथरीन ने गणना कर ली है। 26 अगस्त 1918 को वेस्ट वर्जीनिया में जन्मी कैथरीन की गणित में बचपन से ही रुचि थी। वह जब पांचवीं कक्षा में थीं, तब वह हाईस्कूल स्तर के गणित के सवाल हल कर लेती थीं। 

बचपन से ही पढ़ने में तेज कैथरीन ने 14 साल की उम्र में ही हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी। उन्हें लोग बड़े आदर के साथ मानव कंप्यूटर कहा करते थे। चार भाई बहनों में सबसे छोटी कैथरीन की मां शिक्षिका थीं और उनके पिता एक लकड़हारा, किसान और कारीगर थे।  अश्वेत परिवार में जन्मी कैथरीन की मां शिक्षा का महत्व समझती थीं। यही वजह है कि तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने पर बहुत ध्यान दिया। अमेरिका में उन दिनों रंगभेद की भावना बहुत प्रबल थी। 

अमेरिका के श्वेत नस्ल के लोग अश्वेतों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया करते थे। इसका शिकार कैथरीन भी होती रहीं। उनके साथ भेदभाव किया जाता था, लेकिन वह रंगभेदी व्यवहार का मुकाबला बड़ी हिम्मत और अपनी विलक्षण प्रतिभा से देती रहीं। लैंगिक भेदभाव की भी शिकार हुईं। अपनी प्रतिभा के बल पर 1953 को उन्होंने नासा में ज्वाइन किया और अंतरिक्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण अभियानों में सराहनीय योगदान किया। 

उनकी सेवाओं के लिए 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जॉनसन को प्रेसिडेंशियल मेडल आॅफ फ्रीडम से सम्मानित किया। 2016 में उन्हें नासा के अंतरिक्ष यात्री लीलैंड डी. मेल्विन द्वारा सिल्वर स्नूपी अवार्ड और नासा ग्रुप अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 24 फरवरी 2020 में कैथरीन की मृत्यु हो गई।

प्रदूषण हो रहा जानलेवा, फिर भी पाबंदियों का हो रहा उल्लंघन


अशोक मिश्र

दिल्ली एनसीआर में ग्रैप चार की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों में रविवार को साढ़े चार सौ से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया था। यह स्थिति इंसानों के लिए काफी खतरनाक मानी जाती है। हवा में मौजूद कण धीरे-धीरे इंसान के लंग्स, हार्ट और ब्रेन पर असर डालते हैं। इसके शुरुआती संकेत अक्सर सामान्य थकान या सर्दी-खांसी जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें इग्नोर कर देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे यही प्रदूषक अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ा देते हैं। 

लोगों को पता भी नहीं चलता है। कई बार तो लोग इसे सामान्य मौसमी बीमारी समझकर टालते रहते हैं, लेकिन जब परेशानी बढ़ जाती है, तब उन्हें पता चलता है कि वह कितनी बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि वायु प्रदूषण को साइलेंट किलर कहा जाता है। दिल्ली एनसीआर सहित पूरे हरियाणा में वायु प्रदूषण काफी गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। ग्रैप चार की पाबंदियां लागू होने के बावजूद राज्य के कई शहरों में उल्लंघन किया जा रहा है। वैसे तो पूरे राज्य में भवन निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन कई शहरों में न केवल भवन निर्माण किए जा रहे हैं, बल्कि खुले में ही बालू, मौरंग और भवन निर्माण में काम आने वाली वस्तुएं रखी जा रही हैं। 

वैसे तो डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगा दी गई है, लेकिन सड़कों पर डीजल से चलने वाले वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। प्रदेश में पराली जलाने को लेकर पूरी तरह रोक है। खुशी की बात यह है कि पराली जलाने के मामले में काफी कमी आई है। वैसे भी अब खेतों में पराली रह भी नहीं गई है क्योंकि पराली का निस्तारण करके अब गेहूं की बुआई हो चुकी है, लेकिन इतना होने के बाद भी कभी-कभार पराली जलाने की घटनाएं प्रकाश में आ ही जाती हैं। सड़कों का कूड़ा जलाना हर मौसम में प्रतिबंधित रहा है, लेकिन वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने के बावजूद कूड़ा जलाया जा रहा है। 

स्थानीय निकाय के कर्मचारी या जिन कंपनियों को कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है, कूड़े को जला देने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। वे यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा और वे भी इसकी चपेट में आएंगे। इसके बावजूद वे लापरवाही करते हैं। विभिन्न शहरों में कबाड़ का काम करने वाले लोग शाम बीत जाने के बाद सड़क किनारे या किसी खाली जगह पर कबाड़ ले जाकर उसे आग के हवाले कर देते हैं। इसके बाद मौके से वह गायब  हो जाते हैं ताकि कानून की गिरफ्त में न आ सकें। प्रदूषण की स्थिति में सड़कों पर पानी के छिड़काव का नियम बनाया गया है, लेकिन कुछ ही शहरों में इस नियम का पालन किया जाता है।

Monday, December 15, 2025

वैशाली के सेनापति का सर्वोच्च बलिदान

 


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

बिहार में स्थित वैशाली को दुनिया के पहले गणतंत्र का जन्मदाता माना जाता है। कहते हैं कि महाभारत काल में इस नगर को विशाल नामक राजा ने बसाया था, जिसे कालांतर में वैशाली के नाम से जाना गया। इस नगर का संबंध जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर स्वामी महावीर और महात्मा बुद्ध से भी है। स्वामी महावीर का यहीं जन्म हुआ था और महात्मा बुद्ध ने यहां अपने जीवन का अंतिम प्रवचन दिया था और अपने निर्वाण की घोषणा की थी। 

एक बार की बात है। प्राचीन काल में वैशाली महानगर में पूरे उत्साह के साथ राज्य महोत्सव मनाया जा रहा था। राजा से लेकर प्रजा तक महोत्सव में भाग ले रही थी। उसी समय पड़ोसी राज्य के सेनापति ने वैशाली पर आक्रमण कर दिया। अचानक हुए हमले की वजह से वैशाली वालों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। वह हार गए। शुत्र सेनापति ने वैशाली की प्रजा पर जुल्म करना शुरू कर दिया। 

इसे देखकर वैशाली का सेनापति बहुत विचलित था। वह शत्रु सेनापति के पास जाकर बोला कि आप हमारी प्रजा पर जुल्म करना बंद कर दीजिए। शत्रु सेनापति ने सामने बह रही नदी की ओर संकेत करते हुए कहा कि नदी में जितनी देर तक आपका सिर डूबा रहेगा, तब तक प्रजा पर कोई अत्याचार नहीं होगा। वैशाली का सेनापति नदी में कूद गया। काफी देर हो गई, सेनापति बाहर नहीं आया। 

तब तक प्रजा पर अत्याचार रुका रहा। शत्रु सेनापति ने गोताखोरों को पानी में उतारा। गोताखोरों ने लौटकर बताया कि सेनापति ने नदी तल में एक बड़े से चट्टान को अपनी बाहों से जकड़ रखा है। अपनी प्रजा के प्रति इतना समर्पण देखकर शत्रु सेनापति का हृदय द्रवित हो गया। वह तुरंत अपने राज्य वापस लौट गया।

छाने लगा कोहरा, तेज रफ्तार गाड़ी चलाने से बचने में भलाई



अशोक मिश्र

उत्तर भारत में अब कोहरे की चादर छाने लगी है। रविवार की सुबह कोहरे की वजह से दृश्यता दस मीटर से भी काफी कम रही। इसका नतीजा यह हुआ कि पूरे हरियाणा में पचास से अधिक वाहन आपस में टकरा गए। इन हादसों में दो लोगों की मौत हो गई। अकेले रोहतक में ही अलग-अलग जगहों पर चालीस वाहन आपस में टकराए हैं। वायु प्रदूषण की वजह से दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर पूरी जनवरी तक मौसम खराब रहता है। कभी घना कोहरा छाया रहता है, तो कभी पाला गिरने लगता है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर वाहन चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। 

रास्ता ठीक से दिखाई न देने की वजह से वाहनों में आमने-सामने टक्कर हो जाती है। कई बार तो वाहन सड़क छोड़ देते हैं जिसकी वजह से हादसे हो जाते हैं। सड़क में किनारे चलने वाले लोग भी हादसे का शिकार हो जात्ो हैं। आमतौर पर यह भी देखने में आता है कि कोहरा और धुंध के बावजूद कुछ वाहन चालक धीमी गाड़ी चलाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। पिछले साल भी सर्दियों में हरियाणा में कई ऐसी घटनाएं वाहनों की तेज रफ्तार की वजह से हुई थीं। इस तरह के हादसों ने कई लोगों की जान ले ली थी। 

जब वातावरण में कोहरा और स्माग छाया हो, तो वाहन चालकों को सावधानी बरतनी चाहिए। मौसम में बदलाव के दौरान धुंध के कारण कई बार छोटे-बड़े सड़क हादसे घटित होते हैं, जिन्हें केवल थोड़ी सी सावधानी से रोका जा सकता है। वे यातायात नियमों का पालन करें और पूरी सतर्कता के साथ वाहन चलाएँ। कोहरे में वाहन चलाते समय सबसे महत्वपूर्ण है कि वाहन चालक सड़क के बाएं किनारे को ध्यान में रखते हुए वाहन को नियंत्रित गति में चलाएं। कोहरे में दृश्यता कम हो जाती है, इसलिए आगे चल रहे वाहन से उचित दूरी बनाए रखना आवश्यक है। 

चालक को चाहिए कि वह हाई बीम का प्रयोग कतई न करें, क्योंकि इससे रोशनी कोहरे में बिखर जाती है और दृश्यता और भी कम हो जाती है। इस कारण सामने से आने वाले वाहन चालक को परेशानी होती है और उसे सामने देखने में परेशानी हो सकती है। इसके स्थान पर लो बीम पर हेडलाइट रखना चाहिए जिससे आगे का रास्ता बेहतर दिखाई दे। सामने वाले वाहन चालक को भी आपकी गाड़ी स्पष्ट दिख सकेगी। 

अगर वाहन हाईवे पर चल रहा है, तो चालक को चाहिए कि वह फीली लाइन को फॉलो करे ताकि वह सड़क दिशा न भटके। यदि सामने मोड़ हो, तो चालक को बहुत पहले से ही इंटीकेशन देना चाहिए ताकि सामने से आने वाला समझ जाए कि आप भी अपनी साइड में मोड़ने वाले हैं। कोहरे के दौरान जरूरत न होने पर दूसरे वाहन को ओवरटेक करने से बचना चाहिए। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है।

Sunday, December 14, 2025

जब चींटी सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सफलता का कोई निश्चित सूत्र या फार्मूला नहीं होता है। लेकिन यह तय है कि यदि व्यक्ति में लगन और हिम्मत हो, तो वह कठिन से कठिन काम करने में सफल हो सकता है। भले ही उसे सफलता मिलने में कुछ समय लगे। यह प्रसंग एक मूर्तिकार की सफलता से जुड़ा हुआ है। प्रसंग यह है कि किसी राज्य का एक दिन शिकार के लिए निकला।

 जंगल में उसे एक हिरन दिखा, तो वह उसका शिकार करने के लिए उसकी ओर चला गया। हिरन को भी राजा के आने की आहट मिल गई तो वह जंगल की ओर भागा। राजा ने हिरन का पीछा किया। हिरन का पीछा करते-करते राजा पहाड़ियों के नजदीक जा पहुंचा। 

वहां पहुंचने पर उसने देखा कि एक मूर्तिकाल पत्थर की मूर्तियां बना रहा था। उसने मूर्तियां बहुत अच्छी बनाई थीं। राजा ने उस मूर्तिकार से कहा कि मेरी भी एक अच्छी सी मूर्ति बना दो। मूर्तिकार ने विनम्रता से कहा कि आपकी मूर्ति बनाना मेरा सौभाग्य होगा, लेकिन कई दिन लग जाएंगे। राजा तैयार हो गया। मूर्तिकार राजा की मूर्ति बनाता, लेकिन अगले ही दिन तोड़ देता। वह कहा करता था कि मूर्ति अच्छी नहीं बनी है। इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन निराश होकर मूर्तिकार अपनी मूर्तियों के पास बैठ गया। 

उसने देखा कि एक चींटी अनाज का एक दाना लेकर दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही है। वह बार-बार गिरती है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ती है। कई बार के प्रयास के बाद चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ने में सफल हो गई। मूर्तिकार ने सोचा कि जब यह छोटी सी चींटी कई बार के प्रयास में सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं सफल हो सकता हूं। फिर उसने राजा की लगन से बहुत अच्छी मूर्ति बनाई जिसे देखकर राजा बहुत खुश हुआ।

लालची प्रवृत्ति के कारण लोग साइबर ठगी का होते हैं शिकार


अशोक मिश्र

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है,  लोगों का जीवन सरल होता जा रहा है। यह सही है कि टेक्नोलॉजी से देश और समाज को बहुत फायदे हैं। जीवन में सरलता और ठहराव आता जा रहा है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। जब से नई-नई टेक्नोलॉजी के चलते बैंकिंग प्रणाली आसान हुई है, लोगों को अब छोटे-मोटे कामों के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं, वहीं, कुछ चालाक लोगों ने टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर अपराध भी करना शुरू कर दिया है। 

साइबर ठगी भी इसका सबसे आसान तरीका है। देश के विभिन्न इलाकों में छिपे बैठे साइबर ठग किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। पिछले दिनों ही हरियाणा पुलिस ने पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह लोग ह्वाट्सएप पर लोगों से संपर्क करके उन्हें एक ऐप डाउनलोड करने को कहते थे। ऐप डाउनलोड होने के बाद साइबर अपराधी अपने शिकार को शेयर बाजार में पूंजी निवेश करने के लिए उकसाते हैं। शिकार जब अपराधियों पर विश्वास करने लगता है, तो पहले छोटी-छोटी रकम पूंजीनिवेश करने को कहते हैं। ऐप पर मुनाफा होता हुआ भी दिखाते हैं। जब उनका टारगेट यानी शिकार पूरी तरह मुट्ठी में आ जाता है, तब वह भारी भरकम रकम निवेश करने के लिए कहते हैं। 

जब पूंजी निवेश हो जाता है, तो मुनाफा दिखाने वाला ऐप बंद हो जाता है और साइबर ठग अपने मोबाइल स्विच आफ करके बैठ जाते हैं या फिर सिम ही बदल लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी तरह साइबर ठगों के संपर्कमें आ जाए, तो वह उसे धमकाते भी हैं। हरियाणा में साइबर ठगी के मामले पिछले कई वर्षों से बढ़ते ही जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन इन पर लगाम लगाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन बार-बार लोगों को साइबर ठगों के मामले में जागरूक कर रही है, लेकिन उसका लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि लोग बिना मेहनत किए ढेर सारा पैसा कमाने के फेर में पड़ जाते हैं। अपनी लालची प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के चंगुल में फंसते हैं। 

जब अपनी जमा पूंजी लुटा चुके होते हैं, तब वह पुलिस की शरण में भागते हैं। वैसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर पुलिस प्रशासन साइबर अपराधियों सहित सभी प्रकार के अपराधियों को गिरफ्तार करने में पूरे मन से लगी हुई है। यही वजह है कि हरियाणा पुलिस को 2024 में साइबर धोखाधड़ी रोकने के मामले में देश में पहला स्थान मिला था। हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों से लगभग 268.40 करोड़ रुपये बचाए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 76.85 करोड़ रुपये था। यह राशि 2023 की तुलना में 2024 में बचाई गई राशि तीन गुना और 2022 की तुलना में पांच गुना अधिक है।

Saturday, December 13, 2025

तानपुरा ही खराब हुआ है, तेरे सुर तो ठीक हैं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगर इंसान में लगन हो, तो वह अपनी प्रतिभा और लगन से वह सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही जीवन प्रसिद्ध संगीत साधिका गंगूबाई हंगल का रहा। गंगूबाई हंगल का जन्म कर्नाटक राज्य में 5 मार्च 1913 को एक केवट परिवार में हुआ था। उनके परिवार में देवदासी परंपरा थी। बचपन में गंगूबाई हंगल ने बहुत जातीय अपमान सहा। 

लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे। गरीबी अलग ही उनकी परीक्षा ले रही थी, लेकिन संगीत ने उन्हें समाज द्वारा किए गए अपमान से लड़ने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भरपूर सहायता की। शुरुआत में जब उन्होंने गायिकी शुरू की, तब समाज के लोगों ने गाने वाली कहकर ताने मारे, उपहास किया। एक बार की बात है, जब वह बचपन में तानपुरे पर गाने का अभ्यास कर रही थीं, तो तानपुरा बरसात में भीग जाने की वजह से खराब हो गया। नया तानपुरा खरीदने के पैसे भी नहीं थे। 


उन्होंने अपनी मां अंबाबाई से कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, रियाज कैसे करूं। अंबाबाई ने समझाते हुए कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, तो क्या हुआ। तेरा सुर तो ठीक है। इसके बाद गंगूबाई हंगल ने पुराने तानपुरे को किसी तरह ठीक-ठाक करके रियाज किया। धीरे-धीरे गंगूबाई हंगल की ख्याति बढ़ने लगी। लोग उनकी गायकी के मुरीद भी होने लगे। 

समय का फेर देखिए, बचपन में जातीय अपमान सहने वाली गंगूबाई को राजकीय सम्मान से नवाजा जाने लगा। गंगूबाई ने अपनी गायिकी को एक मुकाम तक पहुंचाया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, तानसेन पुरस्कार, कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

प्रदूषण को शिकस्त देने की योजना खरीदी जाएगी पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें

अशोक मिश्र

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। कल ही बल्लभगढ़ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। धुंध और धुएं की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गुरुग्राम में हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं। इन सब स्थितियों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने चार जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला किया है। 

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की वजह से कार्बन का उत्सर्जन पर रोक लगेगी।  इन जिलों की सड़कों पर दौड़ने वाली डीजल संचालित बसें बाहर कर दी जाएंगी। इन बसों की वजह से भी कार्बन उत्सर्जन होता है। पिछले साल नवंबर में सीएम नायब सिंह सैनी ने वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की थी। बैठक के दौरान वर्ल्ड बैंक अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 2498 करोड़ रुपये का ऋण दिया जाएगा। अब वर्ल्ड बैंक ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 305 मिलियन डॉलर यानी 2753 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। इसी राशि में से 1513 करोड़ रुपये खर्च करके प्रदेश के चार जिलों के लिए पांच सौ बसें खरीदी जाएंगी। 

यही नहीं, विभिन्न कार्यों के लिए 564 करोड़ रुपये हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिए जाएंगे ताकि वह राज्य वायु गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को अपग्रेड कर सकें और प्रदेश में 12 मिनी लैब की स्थापना कर सकें। हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इस पैसे का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले कार्योंं में करेगा। हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना से एक उम्मीद पैदा हुई है कि निकट भविष्य में हरियाणा की वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार होगा। जहां तक वर्तमान हालात की बात है। 

हरियाणा धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि अस्पतालों में वायु प्रदूषण के चलते बीमार होने वालों की भरमार होती जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस, हृदय, त्वचा और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग पहुंच रहे हैं। हरियाणा में पहले से बीमार मरीजों की हालत गंभीर होती जा रही है, वहीं ऐसे रोगों से पीड़ित नए मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। 

ऊपर से इन दिनों सरकारी अस्पतालों में डाक्टर हड़ताल पर हैं। इससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार दावा कर रही है कि ग्रैप नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय निकायों को लगा दिया गया है, लेकिन हकीकत उससे जुदा है। प्रदेश के कई जिलों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है। खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। 

Friday, December 12, 2025

नामू! तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराष्ट्र के सतारा जिले के नरसी बामनी गांव में सन 1270 में पैदा हुए नामदेव बचपन से ही बहुत संवेदनशील थे। उनकी मां उन्हें नामू कहकर बुलाती थी। उनके पिता दामाशेटी और मां गोणाई देवी बिट्ठल के परमभक्त थे। माता-पिता की बातों का प्रभाव नामदेव पर भी पड़ा। वह बिट्ठल के भक्त बन गए। 

उनके गुरु महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर थे। उन्होंने बह्मविद्या को लोक सुलभ बनाकर उसका महाराष्ट्र में प्रचार किया तो संत नामदेव जी ने महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक उत्तर भारत में 'हरिनाम' की वर्षा की। नामदेव का उल्लेख गुरुग्रंथ साहिब और कबीरदास के पदों में मिलता है। 

एक बार की बात है। नामदेव बाहर से आए, तो उनकी धोती में खून लगा हुआ था। उनकी मां गोणाई देवी उस खून को देखते ही घबरा उठीं। उन्होंने तत्काल नामदेव से पूछा, नामू, तेरी धोती में यह खून कहां से लग गया? क्या तू कहीं गिर गया था? क्या तुझे कोई चोट लगी है? यह सुनकर नामदेव ने कहा कि मां, मैं कहीं गिरा नहीं था। मैंने अपनी जांघ की खाल खुद उतारी है। तब मां ने कहा कि तू निरा बेवकूफ है। कोई अपनी खाल उतारता है। तेरा यह घाव पक सकता है। 

तब नामदेव ने कहा कि मां कल तूने पेड़ की छाल और टहनियां काटकर लाने को कहा था। मैंने सोचा कि इन पेड़ों में भी जान होती है। इनकी टहनी काटने या छाल छीलने पर इन्हें भी दर्द होता होगा। तो मैंने अपनी जांघ की चमड़ी छीलकर देखा कि कितना दर्द होता है। तब गोणाई देवी ने कहा कि तू तो बात एकदम सही कहता है। आज के बाद तुझे ऐसा काम नहीं सौंपूंगी। तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा। मां का कथन बाद में एकदम साबित हुआ। नामदेव महाराष्ट्र के बहुत बड़े संत बने।

बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए बड़ी राहत है ब्याज माफी योजना

अशोक मिश्र

सैनी सरकार ने किसानों और मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए कई फैसले लिए हैं। इसी साल हरियाणा के कई जिलों
में आई बाढ़ के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ था। दादरी, सिरसा, हिसार और भिवानी जैसे जिलों में बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ था। बाढ़ की वजह से न केवल खड़ी फसल बरबाद हो गई थी, बल्कि खेत में नमी रह जाने की वजह से आगामी फसल भी बोने में काफी दिक्कत आई थी। 

गेहूं आदि फसलों की बुवाई भी काफी पिछड़ गई थी। ऐसी स्थिति में किसानों की आर्थिक दशा काफी खराब हो गई थी। खरीफ सीजन में पांच लाख से अधिक किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 31 लाख एकड़ फसल खराब हो जाने का दावा किया था। हालांकि जब क्षतिपूर्ति पोर्टल पर किए गए दावों की जांच की गई, तो कुल 53821 किसानों की फसल ही  खराब हुई पाई गई। 

बाकी किसानों के खेतों में बाढ़ का पानी भरा जरूर था, लेकिन एकाध दिन बाद ही पानी निकल गया था। ऐसी स्थिति में किसानों ने सोचा कि उनकी फसल बरबाद हो गई है और उन्होंने पोर्टल पर दावा भी कर दिया। राज्य सरकार ने जिन किसानों की फसल बरबाद हुई थी, उन 53 हजार से अधिक किसानों के लिए 116 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी कर दी गई है। यही नहीं, राज्य सरकार ने प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों की ओर से किसानों और मजदूरों पर बकाया कर्ज के निपटारे के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की है। अभी तक प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों का किसानों और मजदूरों पर 3400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 

इस योजना के तहत छह लाख 81 हजार से अधिक किसानों और मजदूरों का 2,266 करोड़ रुपये ब्याज माफ किया जाएगा। अगर प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से कर्ज लेने वाले किसान और मजदूर 31 मार्च 2026 तक कर्ज की मूल राशि एकमुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका ब्याज माफ कर दिया जाएगा। पैक्स यानी प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से किसानों ने फसली ऋण, काश्तकार ऋण और दुकानदारी के लिए ऋण ले रखे हैं। प्रदेश में 2.25 लाख किसानों की कर्ज लेने के बाद  मौत हो गई है। ऐसे किसानों के वारिस अगर कर्ज की राशि एक मुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका भी ब्याज माफ कर दिया जाएगा।

 कर्ज लेने के बाद मर जाने वाले किसानों पर नौ सौ करोड़ रुपये बकाया है। पैक्स का ऋण चुकाने के एक महीने बाद किसान और मजदूर नई फसल या दुकान के लिए तीन किस्तों में कर्ज ले सकते हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश के बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोलकर बहुत बड़ी राहत प्रदान की है। यह राहत किसानों को दोबारा उठ खड़े होने में काफी सहायक होगी। बाढ़ के चलते बरबाद हो चुके किसानों के लिए नया जीवनदान की तरह है ब्याज माफी योजाना।