Friday, November 14, 2025

अब मैं रोटी की असली कीमत जान गया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

शम्स तरबेजी को एक सूफी संत माना जाता है। वह फारसी के भाषाविद, दार्शनिक और दयालु फकीर माने जाते हैं। तरबेजी का जन्म 1185 में अजरबैजान में हुआ माना जाता है। तरबेजी के बारे में अरबी, फारसी साहित्य में बहुत कम ही जानने को मिलता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि  फारस के महान विद्वान रूमी के जीवन में आध्यात्मिक क्रांति लाने का श्रेय शम्स तरबेजी को है। रूमी को वाह्य दुनिया को त्यागकर आत्मा की यात्रा करने की प्रेरणा तरबेजी ने ही दी थी। 

एक बार की बात है। तरबेजी बाजार में कहीं जा रहे थे। उन्होंने देखा कि एक विद्वान अपने शिष्य को बहुत बुरी तरह डांट रहा है। उस विद्वान को अपनी विद्वता पर बड़ा अभिमान था। वह अपने शिष्य से कह रहा था कि तुम अभी बहुत छोटे हो। ज्ञान पाने के लिए अभी तुम्हें बहुत त्याग करना होगा। ज्ञान हासिल कर पाना, इतना आसान नहीं है। शिष्य को बहुत पीड़ा महसूस हो रही है। 

वह अपमान महसूस कर रहा था। तरबेजी उस विद्वान के पास गए और बोले, आप तो बहुत ज्ञानी  लगते हैं। उस आदमी ने बड़े गर्व से कहा कि हां, मैंने सैकड़ों पुस्तकें पढ़ी हैं। धर्म, दर्शन, तर्क जैसे तमाम विषयों पर मैं बातचीत कर सकता हूं। यह सुनकर तरबेजी पास की एक रोटी की दुकान पर गए और एक रोटी उठा लाए। बोले, महानुभाव, इस रोटी की कीमत क्या है? 

वह व्यक्ति बोला, इसकी एक-दो सिक्के कीमत होगी। तरबेजी ने कहा कि आप तीन दिन रोटी मत खाइए, तब आपको इसकी असली कीमत का पता चलेगा। तीन दिन बाद वह आदमी तरबेजी से मिलने पर रो पड़ा और बोला, मैंने किताबें तो बहुत पढ़ी, लेकिन जीवन का पाठ नहीं पढ़ा। अब मैं रोटी की असली कीमत जान गया हूं।

लिंगानुपात सुधारने के सरकारी प्रयास को विफल कर रहे अवैध गर्भपात केंद्र

 अशोक मिश्र

घटता लिंगानुपात हरियाणा की बहुत बड़ी समस्या है। लड़का-लड़की के अनुपात के मामले में हरियाणा बहुत पहले से ही पिछड़ा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल हरियाणा में ही यह समस्या रही है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे तमाम राज्य इस समस्या से जूझते रहे हैं। इन राज्यों में आज भी लड़कियों की जन्मदर में भले ही थोड़ा बहुत सुधार हुआ हो, लेकिन संतोषजनक स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाया है। हरियाणा सरकार पिछले कई दशक से लिंगानुपात को सुधारने का प्रयास करती आ रही है। 

सैनी सरकार ने इस मामले में काफी सख्ती बरती है जिसकी वजह से कुछ जिलों में स्थिति में सुधार भी आया है, लेकिन कुछ जिलों में स्थिति संतोषजनक नहीं है। अभी हाल ही में चार जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) और तीन वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।  चरखी दादरी के गोपी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के एसएमओ को खराब लिंगानुपात के लिए आरोप पत्र जारी किया गया है। 

हरियाणा ने काफी प्रयास करके ‘कुड़ीमार’ प्रदेश होने के कलंक से मुक्ति पाई है। नहीं तो सदियों से हरियाणा और राजस्थान में लड़कियों को पैदा होते ही मार देने के चलन था। इसकी वजह से सदियों तक इन इलाकों में  लड़कियों की भारी कमी रही है। इसके चलते प्रदेश के अच्छी खासी संख्या में युवा कुंवारे ही रहने को मजबूर हुए। कुछ लोग दूसरे राज्यों की लड़कियों से विवाह करते रहे हैं। दो दिन पहले लिगानुपात सुधार के लिए गठित की गई राज्य टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में बताया गया कि फतेहाबाद, गुरुग्राम, पंचकूला, पानीपत और रेवाड़ी में लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जबकि सिरसा, सोनीपत और चरखी दादरी में गिरावट देखी गई है। 

वहीं फतेहाबाद, गुरुग्राम, पंचकूला, पानीपत और रेवाड़ी में लिंगानुपात की स्थिति संतोषजनक पाई गई है।  राज्य में पहली जनवरी से 10 नवंबर तक लिंगानुपात 912 दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 904 था। राज्य में गिरते लिंगानुपात को सुधारने के लिए सबसे पहले तो अवैध अल्ट्रासाउंड और गर्भपात केंद्रों को बंद कराना होगा। हालांकि प्रदेश सरकार ने हर गर्भवती महिला का पंजीकरण अनिवार्य कर रखा है। 

इसके बावजूद एक अच्छी खासी संख्या में महिलाएं कन्याभ्रूण की जांच करवाकर अवैध रूप से संचालित गर्भपात केंद्रों पर जाकर कन्या भ्रूण से छुटकारा पा रही हैं। यही नहीं, हरियाणा के पड़ोसी राज्यों में भी महिलाएं गर्भपात करा रही हैं। राज्य के लगभग हर जिले में इन अवैध गर्भपात केंद्रों के दलाल फैले हुए हैं। यह अपने इलाके में गर्भवती महिलाओं से संपर्क करके उन्हें कन्या भ्रूण की जांच कराने का लालच देते हैं। यदि जांच के बाद भ्रूण कन्या निकलती है, तो उसे जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है। यही वजह है कि सरकार अपने सभी प्रयास के बावजूद सफल नहीं हो पा रही है।

Thursday, November 13, 2025

पेट पालने के लिए कुछ तो करना होगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराष्ट्र के महान संत तुकाराम का जन्म पुणे में हुआ था। इनकी माता  कनकाई और पिता बहेबा (बोहोल्बा) अपने बच्चे को बहुत प्यार करते थे। दुर्भाग्य से इनकी माता और पिता का निधन तब हो गया, जब तुकाराम 19 साल के थे। कहते हैं कि इनकी पहली पत्नी जीजाबाई बहुत सरल हृदय और पति परायण थी। 

यह भी कहा जाता है कि इनकी पत्नी और बेटे की अकाल के दौरान भूख से हो गई थी। दूसरी पत्नी बहुत झगड़ालु थी। एक बार की बात है। यह तीर्थयात्रा पर गए, तो इनकी दुकान से सारा सामान चोरों ने चुरा लिया। लौटकर आए तो देखा दुकान से सारा सामान गायब है। इनकी पत्नी ने इन्हें अपने गहने देते हुए कहा कि आप सामान खरीद कर दोबारा दुकान शुरू करें। 

पत्नी के गहने लेकर जब यह सामान खरीदने गए, तो उन्होंने कुछ साधुओं को बड़ी बुरी दशा में देखा। उन्होंने सारा पैसा उन साधुओं की सेवा में लगा दिया और खाली हाथ घर लौट आए। जब उनकी पत्नी ने उन्हें खाली हाथ घर लौटे देखा, तो सारा माजरा समझ गई। उसी दिन से जीजाबाई ने मजदूरी करनी शुरू कर दी। एक दिन तुकाराम ने उनसे पूछा कि कहां जा रही हो? 

तो पत्नी ने जवाब दिया कि पेट पालने के लिए कुछ तो करना होगा। यह सुनकर तुकाराम ने कहा कि मैं काम करूंगा। संयोग से उन्हें खेत में रखवाली का काम मिल गया। खेत में रखवाली करते समय वह जानवरों और पक्षियों को अनाज खाने से नहीं रोकते थे। वह बाकी समय बिट्ठल का स्मरण करते थे। 

खेत की यह हालत देखकर खेत के मालिक ने इनकी शिकायत राजा से करने की बात कही, तो तुकाराम ने क्षमा मांगते हुए कहा कि राजा शिवाजी से इसकी शिकायत मत करो। वह मेरे शिष्य हैं। आपका जो नुकसान हुआ है, वह मैं दूसरी जगह से काम करके चुकता कर दूंगा। यह सुनकर किसान चकित रह गया।

हरियाणा में ग्रेप तीन लागू होने के बाद भी खतरनाक स्थिति में पहुंची हवा

अशोक मिश्र

हरियाणा में ग्रेप तीन लागू कर दिया गया है। दिल्ली एनसीआर में इस सीजन में पहली बार मंगलवार को वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में पहुंच गई। एक्यूआई  पहली बार 400 के पार गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 11 नवंबर को दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 428 दर्ज किया गया था। इस स्थिति से थोड़ा कम खराब हालत हरियाणा में भी रहा। हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से लोग ताजी हवा को तरस रहे हैं। वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है। 

इसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा पड़ रहा है। दमा, हृदय रोग और त्वचा से संबंधित बीमारियों के मरीज अस्पताल में बढ़ते जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। यही हाल निजी अस्पतालों का भी है। इसके बावजूद खुलेआम कूड़ा करकट जलाना जारी है। हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप तीन लागू होने के बावजूद नियमों का उल्लंघन जारी है। प्रतिबंध होने के बावजूद पेंटिंग, पॉलिशिंग और वानिशिंग के काम जारी हैं। यही नहीं, प्रदेश में निर्माण कार्य भी जारी हैं। 

पुराने मकानों को गिराने के बाद जमा हुए मलबे को भी खुलेआम ढोया जा रहा है। धूल पैदा करने वाले सामान अर्थात सीमेंट, मिट्टी, राख, ईंट, बालू और पत्थर आदि भी लोड और अनलोड किए जा रहे हैं। पानी की नई लाइन बिछाने, सीवर लाइन डालने और जमीन के अंदर केबिल बिछाने का काम भी कहीं कहीं पर हो रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में वातावरण में धूल और धुआं फैला हुआ है। इसके चलते लोगों को सांस घुटती हुई सी प्रतीत हो रही है। 

इसके बावजूद स्थानीय निकाय के कर्मचारी और अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अगर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू होने के बाद भी गुरुग्राम में एक्यूआई378, मानेसर का 342 और ग्वाल पहाड़ी का 400 दर्ज किया जाए, तो हालात की गंभीरता को समझा जा सकता है। कई जिलों में तो लोग दिन की जगह रात में कूड़ा जला रहे हैं। दिन में सड़कों या दूसरी जगह पर कूड़ा करकट फेंकने के बाद जब ज्यादा कूड़ा इकट्ठा हो जाता है, तो रात में चुपके से आग लगा दी जाती है। 

आग की सूचना पाने के बाद दमकल पहुंच कर आग बुझाती है। इसके बावजूद लोगों की समझ में यह बात नहीं आ रही है कि यदि हरियाणा की हवा में सुधार नहीं हुआ, तो हालात और भी बदतर होने की आशंका है। इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास सामूहिक स्तर पर किया जाए। यदि लोग सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना शुरू कर दें, तो निजी वाहनों से निकलने धुएं को कम किया जा सकता है। हरियाणा में वाहनों की एक अच्छी खासी संख्या है। यदि कुछ समय के लिए कम से कम निजी वाहनों का उपयोग किया जाए, तो हालात पर काबू पाए जा सकते हैं। तभी प्रदेश का वातावरण भी सांस लेने लायक होगा।

Wednesday, November 12, 2025

मैं दूसरे की फसल कैसे कटवा सकता हूं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

मराठा सेनापति बाजीराव पेशवा काफी उदार हृदय थे। इनका जन्म महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता पेशवा बालाजी विश्वनाथ भी छत्रपति शिवाजी महाराज के पेशवा थे। बाजीराव पेशवा के बारे में कहा जाता है कि वह किसी भी युद्ध में पराजित नहीं हुए थे। 

बाजीराव पेशवा को 19 साल की आयु में पेशवा की जिम्मेदारी मिल गई थी। एक बार की बात है। बाजीराव पेशवा कोई युद्ध जीतकर वापस आ रहे थे। युद्ध कुछ लंबा चला था, जिसकी वजह से उनके सैनिकों के पास रसद कम हो गया था। शाम होने पर उन्होंने एक गांव के नजदीक पड़ाव डाला। सैनिकों ने पेशवा को सूचित किया कि रसद कम है। कुछ व्यवस्था करनी पड़ेगी। 

पेशवा ने सैनिकों को आदेश दिया कि गांव जाकर कुछ फसल काट लाओ। एक छोटी टुकड़ी गांव की ओर चल पड़ी। गांव के बाहर उन्हें एक व्यक्ति दिखाई दिया। सैनिकों ने उस व्यक्ति से खेत दिखाने को कहा। उस व्यक्ति ने सोचा कि शायद शासन की ओर से यह अधिकारी आए हैं, जो खेतों का निरीक्षण करना चाहते हैं। वह सैनिकों को एक बड़े से खेत में ले गया। 

उस खेत को देखते ही टुकड़ी नायक ने कहा कि फसल काट लो। अब उसकी समझ में सारा मामला आ गया। उसने सैनिकों को फसल काटने से रोकते हुए कहा कि मैं आपको दूसरे खेत में ले चलता हूं। काफी दूर वह उन्हें एक खेत में ले गया जो काफी छोटा था।  सैनिक नाराज होने लगे, तो उसने कहा कि वह खेत दूसरे का था। मैं उस खेत की फसल कैसे कटवा सकता था। यह मेरा खेत है। आप जितना चाहें फसल काट सकते हैं। यह सुनकर सैनिकों ने लौटकर पेशवा को सारी बात बताई। तब पेशवा ने काफी धन देकर उस किसान के खेत से फसल कटवा ली।

नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करने में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त

 अशोक मिश्र

हरियाणा सरकार ने नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं में किसी प्रकार की लापरवाही पर सख्त कदम उठाने का फैसला लिया है। सरकार को आए दिन यह शिकायत मिलती रहती है कि अमुक कालोनी या शहर के फलां हिस्से में नागरिकों को पानी, बिजली या सीवर से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सैनी सरकार ने इन समस्याओं को बड़ी गंभीरता से लिया है। एक दिन पहले ही गुरुग्राम में जिला लोकसंपर्क और कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम नायब सिंह सैनी ने तमाम तरह की समस्याओं के लिए अधिकारियों को सचेत करते हुए कहा कि यदि नागरिक सुविधाएं लोगों को नहीं मिली, तो संबंधित अधिकारियों के साथ-साथ दूसरे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

उन्होंने निर्देश दिए कि शहर में पानी, सीवर और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि की वर्तमान स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करें और जल्दी से जल्दी उन तक पहुंचाएं। सीएम ने साफ कहा कि नागरिकों को यदि किसी प्रकार की असुविधा हुई, तो उसे माफ नहीं किया जाएगा। सीएम ने बिल्डरों से संबंधित शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उन्हें चेतावनी दी और कहा कि कोई भी बिल्डर अपने प्रोजेक्ट से जुड़े निवासियों को यदि सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 

आमतौर पर देखा यह जाता है कि बिल्डर जब कोई प्रोजेक्ट शुरू करते हैं, तो वह मीडिया और दूसरे माध्यम से अपनी निर्माणाधीन कालोनियों और आवासीय इमारतों में कई तरह की सुविधाएं होने का दावा करते हैं। जब लोग वहां रहने जाते हैं तो यह आश्वासन दिया जाता है कि फलां-फलां सुविधाएं जल्दी ही मुहैया करा दी जाएगी। इसके बाद बिल्डर आनाकानी करते रहते हैं। जो अनुबंध में सुविधाएं लिखी होती हैं, वह लोगों को नहीं मिलती हैं। इन सब बातों को देखते हुए ही सीएम सैनी ने आदेश दिया है कि अनुबंध में लिखित सुविधाएं न देने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। 

बिजली, पानी, सीवर जैसी समस्याओं से प्रदेश के लगभग हर जिले के नागरिक त्रस्त हैं। गरमी के दिनों में टैंकर माफिया भी नागरिकों का शोषण करने लगते हैं। गरमी में पानी संकट होना आम बात है। खपत बढ़ने के साथ-साथ सप्लाई कम हो जाती है। ऐसी हालत में स्थानीय निकाय के कर्मियों से साठगांठ करके टैंकर माफिया लोगों को पीने का पानी मुंहमागी कीमत पर बेचते हैं। 

सीएम ने बैठक में ही टैंकर माफिया से लोगों को निजात दिलाने का निर्देश दिया है। जल सप्लाई, सीवर या सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि से जुड़ेअधूरे कामों को पूरा करने का निर्देश दिया है। देखने में आता है कि इस तरह के काम कई वर्षों तक अधूरे रहते हैं। गुरुग्राम में ही गांव बहोड़ा कला के सरपंच बताते हैं कि गांव में सीवर लाइन बिछाने का काम पिछले तीन साल से जारी है, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है।

Tuesday, November 11, 2025

सुकरात ने बताया सफलता का रहस्य

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सुकरात यूनान के महान दार्शनिकों में गिने जाते हैं। दुनिया के दस महान दार्शनिकों में सुकरात का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। सुकरात के विचारों को तत्कालीन शासन विरोधी माना गया था। 

उन पर आरोप लगाया गया था कि वह युवाओं को शासन के खिलाफ भड़का रहे हैं। इसके लिए उन्हें मृत्यु दंड दिया गया था। तत्कालीन समाज में जब किसी को मृत्युदंड दिया जाता था, तो उसे जहर का प्याला पीने को दिया जाता था। एक बार की बात है। उनके पास एक व्यक्ति आया और उसने कहा कि मैं सफलता का रहस्य जानना चाहता हूं। कृपया, आप मुझे बताने का कष्ट करेंगे। 

सुकरात ने उस व्यक्ति को बड़े गौर से देखा और कहा कि कल तुम नदी के किनारे मिलो, मैं तुम्हें सफलता का रहस्य जरूर बता दूंगा। वह व्यक्ति चला गया। अगले दिन जब वह व्यक्ति नदी के किनारे मिला, तो सुकरात ने उस व्यक्ति को नदी की गहराई मापने का आदेश दिया। वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया कि नदी की गहराई मापने से सफलता के रहस्य का क्या संबंध है। 

इसके बावजूद वह चुपचाप नदी में उतर गया। जब उस व्यक्ति नाक नदी के पानी के लेवल तक पहुंच गई, तो सुकरात ने उस व्यक्ति का सिर पकड़कर नदी में डुबो दिया। उस आदमी ने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन सुकरात उससे बलशाली निकले। थोड़ी देर बाद उसके सिर को छोड़ा, तो वह बाहर आकर बड़ी तेजी से सांस लेने लगा। 

सुकरात ने पूछा कि जब तुम्हारा दम घुट रहा था, तो तुम क्या सोच रहे थे। उस व्यक्ति ने कहा कि बस पानी से बाहर निकलना सूझ रहा था। सुकरात ने कहा कि यह सफलता का रहस्य है। जब तुम जिस काम में सफल होना चाहते हो, तो बस उस काम के बारे में ही सोचो। हर क्षेत्र में तुम्हें सफलता मिलेगी।

हरियाणा में प्रदूषण से घुटने लगा लोगों का दम, प्रशासन बेपरवाह

अशोक मिश्र 
दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ पूरे हरियाणा की हवा लोगों का दम घोटने लगी है। सांस, हृदय और त्वचा रोग से पीड़ित बहुतायत में अस्पतालों में पहुंचने लगे हैं। पूरे प्रदेश में वायु गुणवत्ता सूचकांक ढाई सौ से तीन से बीच पिछले काफी दिनों से है। कई बार तो यह तीन सौ से पार भी गई है। अगर हाल की बात जाए, तो रोहतक इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित शहर रहा। रोहतक का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 374 रहा। प्रदेश में शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) काफी ज्यादा बढ़ रहा है। अधिकतर शहरों का एक्यूआई 200 पार है। रोहतक की हवा सबसे ज्यादा खराब रही। 
उसके अलावा बहादुरगढ़ और चरखी दादरी का एक्यूआई भी 300 को पार कर गया है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ के अनुसार हरियाणा में मौसम आमतौर पर 13 नवंबर तक खुश्क रहने की आशंका है। दिल्ली एनसीआर में तो एक पखवाड़ा पहले ग्रेप लागू कर दिया गया था। लेकिन इसका पालन सख्ती से नहीं हो रहा है। दिल्ली में हरियाणा के पुराने डीजल वाहनों का प्रवेश भी वर्जित किया था, लेकिन इस मामले में भी दिल्ली सरकार ने लापरवाही बरती और बेरोकटोक पुराने डीजल वाहन आते-जाते रहे हैं। 
हरियाणा सरकार ने भी इस मामले में कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह हुआ कि पूरे प्रदेश की हवा खराब हो गई। प्रदेश में ग्रेप लागू होने के बाद भी कई जिलों में खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है। भवन निर्माण भी अबाधित रूप से हो रहा है। प्रदेश में हवा की इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पलवल में स्थित एनएच 19 के पास स्थित बघौला गांव में रविवार को खुलेआम कूड़ा जलाया गया, लेकिन किसी ने कूड़ा जलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। 
ऐसा भी देखने में आया है कि अनाज मंडियों और सरकारी कार्यालयों के बाहर सफाई कर्मी खुलेआम कूड़ा इकट्ठा करके जलाते देखे गए हैं। यदि स्थानीय नागरिक इसकी शिकायत करने जाते हैं, तो स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के कर्मचारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। यदि ऐसी हालत रही, तो निकट भविष्य में प्रदेश की हवा और भी खराब होगी। वैसे तो प्रदेश में किसानों के पराली जलाने की घटनाओं में भारी कमी आई है। सरकार ने हर गांव में नोडल अधिकारी की नियुक्ति की है ताकि पराली को जलाने से रोका जा सके। 
यदि कोई पराली जलाता पाया जाए, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। लेकिन इसके बावजूद छिटपुट घटनाएं जरूर सामने आई हैं। वैसे पराली जलाने के मामले रुकने से राहत तो है, लेकिन कूड़ा जलाने आदि की घटनाएं सारे किए धरे पर पानी फेर रही हैं। स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को इस मामले में ध्यान देना चाहिए।

Monday, November 10, 2025

आज से तुम मेरे उस्ताद हो

प्रतीकात्मक चित्र
बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जो व्यक्ति जैसा होता है, वह अपने जैसा ही दूसरों का बनाने का प्रयास करता है। अच्छा व्यक्ति है, तो वह हमेशा चाहेगा कि पूरी दुनिया के लोग उसके जैसे हो जाएं। अगर व्यक्ति बेईमान या क्रूर है, तो वह अपना नायक बेईमान और क्रूर व्यक्ति को ही मानेगा। 

किसी देश में एक बादशाह था। वह बड़ा भला मानुस था। वह अपनी प्रजा के सुख-दुख का ख्याल रखता था। वह बिल्कुल सादा जीवन जीता था। दूसरे देशों या राज्यों के बादशाहों की तरह वह अपना समय आमोद-प्रमोद या रंगरलियां मनाने में विश्वास नहीं करता था। वह अपने सहयोगियों और अन्य गणमान्य लोगों को भी प्रेरित करता रहता था कि वह भी सादगी भरा जीवन जियें और दूसरों का भला करते रहें। लोग उसकी बात मानते भी थे। वह खाली समय में विद्वानों की संगति करता था। 

उस समय गुलाम रखने की प्रथा थी। परंपरा के अनुसार उन्होंने एक गुलाम खरीदा। जब गुलाम को बादशाह के सामने लाया गया, तो बादशाह ने उससे पूछा कि तुम्हारा नाम क्या है? गुलाम ने कहा कि जिस नाम से आप पुकारना चाहें। गुलाम को नाम रखने का अधिकार कहां है? बादशाह ने फिर पूछा-तुम खाओगे क्या? गुलाम ने विनम्रता से जवाब दिया-जो आप खिलाना चाहें। गुलाम की बात सुनकर बादशाह को हैरत हुई। उन्होंने पूछा-तू कैसे कपड़े पहनेगा। गुलाम ने कहा कि जो आप पहनने को देंगे। 

बादशाह बोले-तुम काम क्या करोगे? गुलाम ने सिर झुकाकर कहा कि जो आप करने को कहेंगे। बादशाह ने कहा कि तुम चाहते क्या हो? गुलाम ने जवाब दिया-गुलाम की कोई इच्छा होती है क्या? बादशाह उस गुलाम को गले से लगाते हुए कहा कि आज से तुम मेरे उस्ताद हो? आज तुमने मुझे बहुत बड़ी सीख दी।

समाज में दिनोंदिन नैतिकता और प्रेम का हो रहा है क्षरण

 अशोक मिश्र

फरीदाबाद में ही दो घटनाएं कल ऐसी घटित हुईं जिनसे वर्तमान समाज में संबंधों का खोखलापन जाहिर हो जाता है। समाज में भले ही ऊपर चमक-दमक दिखाई पड़ती हो, लेकिन भीतर ही भीतर समाज में अनैतिकता, संबंधों का क्षरण और पारस्परिक प्रेम का अभाव साफ दिखाई देने लगा है। पति-पत्नी, माता-पिता और भाई-बहन जैसे संबंधों में दरार बढ़ती जा रही है। 

फरीदाबाद के ही कृष्णानगर की घटना बताती है कि समाज में अनैतिकता किस कदर हावी हो रही है। ऐसी घटनाएं बहुतायत में समाचार पत्र में कहीं न कहीं पढ़ने को मिल जाती हैं। कृष्णानगर निवासी अरुण एक निजी अस्पताल में सफाई कर्मी का काम करता था। कुछ दिनों पहले उसे उसे बुखार आ रहा था। इलाज कराने के बाद भी जब बुखार ठीक नहीं हुआ, तो उसकी पत्नी उसे अपने मायके एनआईटी पांच में लेकर चली गई। दवा खाने के बाद जब वह सो रहा था, तो उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की गला घोटकर हत्या कर दी। 

अरुण के परिवार वालों ने जब गले पर बेल्ट का निशान देखा, तो वह पुलिस के पास पहुंचे और मामले का खुलासा हुआ। दूसरी घटना में सोनू नामक युवक ने पत्नी और ससुराल वालों के व्यवहार से आजिज आकर तेजाब पीकर आत्महत्या कर ली। तीन साल पहले सोनू और आरती की शादी हुई थी। तीन साल बाद भी जब कोई संतान नहीं हुई, तो इसका दोष आरती सोनू पर मढ़ने लगी। वह इस मामले को लेकर सोनू को भला-बुरा कहती थी। सोनू की ससुराल वाले भी उसका मजाक उड़ाते थे और कड़वी बातें कहते थे। गुरुवार को काम से आने पर सोनू से उसकी पत्नी लड़ बैठी। 

उसने सोनू को ही नहीं, सोनू के परिवार वालों को भी काफी भला-बुरा कहा। इससे नाराज सोनू ने टायलेट में रखा तेजाब पी लिया। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन एक दिन बाद उसकी मौत हो गई। दरअसल, यह कोई अकेली घटना नहीं है। यह तो बानगी है। ऐसी घटनाएं देश में हर जगह आए दिन घटित होती रहती हैं। इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि समाज में अनैतिकता, कटुता और आपसी वैमनस्य बढ़ रहा है। समाज में जब से खुलापन आया है, यौनिक दुराचार बढ़ता जा रहा है। कहीं पतिअपनी पत्नी से बेवफाई कर रहा है, तो कहीं पत्नी अपने पति को धोखा दे रही है। 

सामाजिक रिश्तों में विश्वसनीयता का अभाव दिखाई देने लगा है। देश की एक बहुसंख्यक आबादी एक तनाव में जी रही है। कहीं बेरोजगारी मुद्दा है, तो कहीं अत्यधिक खुलापन परिवार को नुकसान पहुंचा रहा है। आर्थिक स्थिति भी समाज में विघटन का कारण बन रहा है। महंगाई ने कई परिवारों की चैन छीन ली है। बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ता ही जा रहा है। इससे हर आदमी त्रस्त है। ऐसी हालत में वह गलत रास्ता अख्तियार कर रहा है। इसके चलते कहीं कोई आत्महत्या कर रहा है, तो कोई फ्रस्टेशन में बेबात किसी से झगड़ा कर रहा है।