Wednesday, November 19, 2025

हेयरस्टन को जीवन भर भोगना पड़ा रंग भेद का दंश

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र


जेस्टर हेयरस्टन को नीग्रो होने की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा। उनका जन्म अमेरिका में सन 1901 में हुआ था। हेयरस्टन में संगीत के प्रति रुचि अपनी दादी की वजह से पैदा हुई। दरअसल, बात यह है कि जब जेस्टर छोटा था, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मां काम पर जाती थी, तो वह अपना समय अपनी दादी के साथ बिताता था। दोपहर में उसकी दादी की सहेलियां उसके घर आ जाती थीं। 

उनकी दादी अपनी सहेलियों के साथ गपशप करती और गीत गाती थीं। हेयरस्टन उनके गीत सुनता। उसे अच्छा लगता था। धीरे-धीरे उसकी रुचि गीतों में बढ़ती गई। उसने तय कर लिया कि वह आगे चलकर संगीतकार बनेगा। हेयरस्टन ने ट्फ्ट्स यूनिवर्सिटी से संगीत में स्नातक किया और बाद में जूलियार्ड स्कूल में भी संगीत की पढ़ाई की। 

जब अपनी कला को हेयरस्टन ने व्यावसायिक रूप देना चाहा, तो नीग्रो होने की वजह से लोगों ने उसका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन हेयरस्टन ने हार नहीं मानी। वह अपने काम में लगा रहा। उसकी गायन कला पर एक दिन एक कंपनी की निगाह पड़ी और उसने हेयरस्टन को एक अवसर देने का फैसला किया। 

बस यहीं से हेयरस्टन की जिंदगी बदल गई। उनके गीतों ने पूरी दुनिया पर जादू किया। दुनिया भर में उनके गीतों को सुना जाने लगा। उनके प्रसिद्ध होने के बाद लोगों का नजरिया बदला, लेकिन अब भी कुछ लोग नीग्रो होने की वजह से भेदभाव करते थे। 

एक बार हेयरस्टन ने अपने साथ हुए भेदभाव की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि संगीत की कोई जाति नहीं होती है। जो उसे मन से अपनाता है, वह उसी का हो जाता है। 2000 में 98 साल की आयु में हेयरस्टन का देहांत हो गया।

उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा ने फिर मांगा अपने हिस्से का पानी

अशोक मिश्र

फरीदाबाद के सूरजकुंड में कल यानी 17 नवंबर को उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक हुई। बैठक में कई तरह के मुद्दे उठाए गए। लाल किले के पास दस नवंबर को हुए विस्फोट पर तो चर्चा हुई ही, लेकिन इस बीच पंजाब-हरियाणा के बीच जल विवाद का मसला भी काफी चर्चा में रहा। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि सभी राज्यों  के पानी के हिस्से को संबंधित राज्य तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। 

हरियाणा लगातार दिल्ली को उसके हिस्से से अधिक पानी दे रहा है, जबकि एसवाईएल नहर के निर्माण में देरी के कारण पंजाब से हरियाणा को पूरा पानी नहीं मिल पा रहा। पानी हम सबका साझा संसाधन है, इसलिए उसे स्वच्छ रखना सभी की जिम्मेदारी है। सीएम सैनी के मुद्दे उठाने के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब की नदियों के जल पर पंजाब का पूरा हक है। 

मान ने कहा कि इंडस वाटर ट्रीटी निलंबन के बाद अब मौका है कि राज्यों के बीच पानी के विवाद का हल निकाला जाए। चिनाब नदी को रावी-ब्यास से जोड़ा जाए, ताकि पंजाब व बाकी राज्यों को सिंचाई और बिजली के लिए ज्यादा पानी मिल सके। वैसे रावी-ब्यास से चिनाब को जोड़ने की बात वह कई बार दोहरा चुके हैं। दरअसल, पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा जल विवाद बहुत पुराना है। एसवाईएल मामले को लेकर सन 1960 से लेकर अब तक कई बार मामला सुप्रीम की कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। 

हरियाणा ने अपने हिस्से की नहर तक तैयार कर ली है, लेकिन पंजाब अपने हिस्से की नहर तैयार करने को राजी नहीं है। निकट भविष्य में भी एसवाईएल मुद्दे के हल होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। रावी-ब्यास नदी को चिनाब से जोड़ने की मांग करके सीएम मान ने मामले को और उलझा दिया है। रावी-चिनाब नदियों का पानी पंजाब और हरियाणा तक पहुंचाने को यदि केंद्र तैयार भी हो जाए, तो इसे अमल में लाने में काफी समय लगेगा। इतना आसान नहीं है रावी-ब्यास और चिनाब से पंजाब तक नहर बनाना। 

इसमें काफी पैसा और समय लगेगा। सच कहा जाए, तो वास्तविक स्थिति से सीएम मान वाकिफ हैं। इसी वजह से उन्होंने यह मुद्दा उठाया है। पिछले कई दशक से एसवाईएल का मुद्दा दो राज्यों के बीच झूल रहा है, लेकिन अभी तक उसका कोई हल नहीं निकला है। यदि पंजाब एसवाईएल के जरिये पानी देने को तैयार भी हो जाता है, तो पंजाब में एसवाईएल नहर निर्माण में भी कई साल लग जाएंगे। पंजाब से पानी नहीं मिलने की वजह से हरियाणा में पानी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। गर्मी में दक्षिण हरियाणा सहित कई हिस्सों में पानी की समस्या भयानक रूप अख्तियार कर लेती है। लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं। 

Tuesday, November 18, 2025

बच्चा होकर भी तू बात बुड्ढों वाली करता है

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सिख धर्म के इतिहास में बाबा बुड्ढा सिंह का नाम बड़े गर्व और सम्मान के लिया गया है। बाबा बुड्ढा सिंह ही वह आदमी थे जिन्हें सिख पंथ के पांच गुरुओं गुरु अंगद देव, अमरदास, रामदास, अर्जन देव और हरगोविंद को गुरु गद्दी का तिलक लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। गुरु नानक देव की भी कृपा बाबा बुड्ढा सिंह को प्राप्त हुई। इनका वास्तविक नाम बूरा बताया जाता है। 

बाबा बुड्ढा सिंह नाम पड़ने के पीछे भी एक रोचक कथा है। सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव ने अपनी संगत के लिए एक नियम बना रखा था। जो भी उनके दरबार में आता था, उसे भक्तिभाव से कीर्तन करना जरूरी था। दरबार में आने वाले लोग भी बड़ी श्रद्धा के साथ कीर्तन किया करते थे। गुरु नानकदेव भी लोगों को उपदेश दिया करते थे। उनके उपदेशों को सुनकर लोग अपने को धन्य मानते थे। 

वैसे भी सिख धर्म के सभी गुरुओं के उपदेश-निर्देश पूरी मानवता के लिए हैं। खैर। तो गुरुनानक देव के दरबार में एक बच्चा सबसे पहले आता था और चुपचाप खड़ा रहता था। यह क्रम काफी समय से चला आ रहा था। एक दिन बाबा नानक ने उस बच्चे से बड़े प्यार से पूछ ही लिया। तुझे नींद नहीं आती है? यह समय तो तेरे सोने का है। तेरा खेलकूद में मन नहीं लगता है? 

उस बालक ने कहा कि कीर्तन सुनना मुझे अच्छा लगता है। मेरी मां रोज चूल्हा जलाते समय छोटी-छोटी लकड़ियां पहले जलाती हैं, मोटी लकड़ी को जलने में समय ज्यादा लगता है। बच्चों को ज्ञान की बात जल्दी समझ में आती है। यह सुनकर गुरु जी ने कहा कि उम्र में तू बच्चा है, लेकिन बात बुड्ढों वाली करता है। बस तभी से बूरा का नाम बाबा बुड्ढा सिंह पड़ गया।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव से सीखेंगे विभिन्न राज्यों की सभ्यता-संस्कृति

अशोक मिश्र

भारत में गीता को सबसे पवित्र पुस्तक माना जाता है। जब भी कोई मामला अदालत में जाता है, तो वादी और प्रतिवादी को गीता की शपथ दिलाई जाती है। गीता की शपथ दिलाने के पीछे मान्यता यह है कि व्यक्ति पवित्र पुस्तक गीता की शपथ लेने के बाद झूठ नहीं बोलेगा।गीता की रचना महाभारत युद्ध के दौरान हुई थी। जब महाभारत का युद्ध हो रहा
था, उस समय अर्जुन अपने बंधु-बांधवों को देखकर विचलित हो गए थे। वह युद्ध क्षेत्र से भाग जाना चाहते थे। अपने ही भाइयों, चाचाओं और पितामह से युद्ध करना, उचित नहीं लग रहा था। वह राज्य पाने के लिए अपने ही लोगों की हत्या नहीं करना चाहते थे। 

तब श्रीकृष्ण ने उनको उपदेश दिया था। उसी उपदेश का संग्रह गीता के नाम से किया गया। गीता पुस्तक में जीवन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला गया है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था और यहीं पर कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। इसलिए गीता और कुरुक्षेत्र का हरियाणा के लिए बहुत अधिक महत्व है। यही कारण है कि हरियाणा सरकार पिछले कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाती आ रही है। 

इस महोत्सव में कई देशों से श्रद्धालु आते हैं। भारतीय नागरिकों की तो महोत्सव में भरमार रहती है। सैनी सरकार ने इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया है जो 15 नवंबर से शुरू हो चुका है, जो पांच दिसंबर तक चलेगा। इस बार चार चरणों में देशभर से आए साढ़े चार सौ कलाकार अपनी लोककलाओं का मुजाहिरा करेंगे। हमेशा की तरह इस बार भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। 

केंद्र की ओर से विभिन्न राज्यों के छह कलाकार गीता महोत्सव में पहुंचे हैं। हिमाचल प्रदेश के 15 कलाकार लुड्डी और गिद्दा, राजस्थान के 11 कलाकार कालबेलिया, लांगा गायन और भवई नृत्य पेश करेंगे। पिछले कई वर्षों से महोत्सव में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र के कलाकार लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। गीता महोत्सव जहां लोगों को अध्यात्म की दुनिया में ले जाकर उनमें अच्छे गुणों और संस्कारों का बीजारोपण करता है। वहीं महोत्सव में आए लोग विभिन्न राज्यों की लोककलाओं, रहन-सहन और पहनावे से परिचित होते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही मेले-ठेले और महोत्सवों को मानने की परंपरा रही है। 

इसका उद्देश्य यही रहा है कि जिस जगह पर मेला या महोत्सव आयोजित किया जा रहा है, वहां के लोग दूर-दूर से आने वाले लोगों से परिचित हों, उनमें मेलजोल बढ़े, लोग एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति से परिचित हों। यह अनेकता में एकता की भावना को पैदा करने का सबसे बेहतरीन जरिया था। आज भी यही उद्देश्य है। गीता महोत्सव सचमुच एक पवित्र उद्देश्य से किया जाने वाला आयोजन हैै।

Monday, November 17, 2025

समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जीवन में समस्याएं हमेशा बनी ही रहेंगी। कभी कम और कभी ज्यादा। समस्याओं से रहित किसी का जीवन नहीं होता है। किसी शहर में एक आदमी था। वह अपने जीवन से बहुत परेशान था। कोई न कोई समस्या उसे घेरे ही रहती थी। एक दिन उसने सुना कि शहर में कोई साधु आए हैं जो लोगों की समस्याओं का हल बताते हैं। एक दिन वह रविवार को साधु से मिलने गया। 

काफी देर बाद उसका नंबर आया। उसने साधु से अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उसे हर समय समस्याएं घेरे रहती हैं। घर में परेशानी, आफिस में परेशानी, कभी पत्नी बीमार, तो कभी दूसरी तरह की परेशानियां। मैं इन परेशानियों से काफी थक गया हूं। महाराज, बताइए क्या करूं। साधु ने उसकी बातों को काफी गौर से सुना। कुछ देर बाद साधु बोले कि मैं तुम्हारी समस्या का निदान कल बताऊंगा, लेकिन तुम्हें आज मेरा एक काम करना होगा। वह आदमी तैयार हो गया। 

साधु उसे बाहर ले गया जहां काफी ऊंट बंधे थे। साधु ने उस आदमी से कहा कि तुम्हें इन सौ ऊंटों की रखवाली करनी है। जब यह सभी ऊंट बैठ जाएं, तो तुम सो जाना। सुबह होने पर साधु उस जगह पहुंचा और उस आदमी से कहा कि तुम्हें तो अच्छी नींद आई होगी। उस आदमी ने कहा कि मैं तो रात भर सो ही नहीं पाया। कुछ ऊंट तो रात होते ही बैठ गए। कुछ को मैंने बैठा दिया, लेकिन सभी ऊंट तो कभी नहीं बैठे। 

कोई बैठ जाता था, तो कोई उठ जाता था। यह सुनकर साधु ने कहा कि समस्याएं भी ऐसी ही हैं। कभी थोड़ी रहती हैं, तो कभी ज्यादा। इन्हीं समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो। समस्याओं का निदान है, लेकिन खात्मा नहीं है। यह सुनकर वह आदमी समझ गया कि जीवन रहते समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलने वाली है।

ठगी गई रकम तुरंत दिलाने को हरियाणा पुलिस ने की नई पहल

अशोक मिश्र 
साइबर ठगी अब राष्ट्रीय समस्या बन गई है। देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन कोई न कोई ऐसी खबर जरूर मीडिया में आ जाती है जिससे पता चलता है कि साइबर ठगों ने अमुक आदमी को अपने जाल में फंसाकर ठग लिया। अब तो यह साइबर ठगी एक कदम आगे बढ़कर डिजिटल अरेस्ट तक आ पहुंची है। डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की घटनाओं से सुप्रीमकोर्ट तक चिंता जाहिर कर चुका है। प्रशासन को साइबर ठगी के मामले में आरोपियों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करके पीड़ित को न्याय दिलाने का निर्देश भी दे चुका है। 
मीडिया में जिस तरह साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट की खबरें आ रही हैं, वह वाकई चिंताजनक हैं। अचानक मोबाइल पर मैसेज आता है, उसको क्लिक करने पर बैंकखाते से पैसा गायब हो जाता है। मोबाइल फोन किसी अनजान व्यक्ति की कॉल आती है और वह व्यक्ति अपने को कोई बड़ा पुलिस अधिकारी या खुफिया एजेंसी का बड़ा अधिकारी बनकर ब्लैक या अनधिकृत पैसा बैंक खाते में जमा होने की धमकी देकर पहले डराता है और फिर मामले को रफा-दफा करने के नाम पर एक मोटी रकम की उगाही करता है। 
यह प्रक्रिया कुछ घंटे से लेकर कुछ दिनों तक चलती है। बाद में पीड़ित को पता चलता है कि ठगा गया है। पीड़ित के पास पुलिस की शरण में जाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता है। ठगी गई रकम भी आमतौर पर वापस नहीं मिलती है। यदि पुलिस को सही समय पर जानकारी मिल जाए और वह तुरंत सक्रिय हो जाए, तो पैसा वापस दिलाया जा सकता है, लेकिन पीड़ित ही देर से पुलिस के पास पहुंचे, तो क्या किया जा सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए हरियाणा पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज से मिलकर एक मानव संचालन प्रणाली तैयार की है जिसके माध्यम से पीड़ित व्यक्ति को उसकी ठगी गई रकम तुंरत वापस दिलाई जा सकेगी। 
यह प्रणाली चार चरणों में पूरी होगी। इसके लिए ठगे गए व्यक्ति को सबसे पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करवानी होगी। पीड़ित को जैसे ही पता चले कि उसके साथ ठगी हुई है, वह 1930 पर कॉल करके तुरंत सूचना देनी होगी। शिकायत मिलते ही पुलिस तुरंत उस बैंकखाते को ब्लाक (सीज) करवा देगी। इसके बाद पीड़ित को आवेदन करना होगा। अपने जिले में डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज में एक फार्म भरकर रिफंड की मांग करनी होगी। 
इस संबंध में तमाम काजगात तैयार करने में पुलिस अधिकारी मदद करेगा। इसके बाद लोक अदालत में सुनवाई के बाद रिफंड मिल जाएगा। इस मामले में सबसे अच्छी बात यह है कि हरियाणा पुलिस ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए सरकार और न्यायपालिका के सामने सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया है। जिसका सरकार और न्यायपालिका ने स्वागत भी किया है।

Sunday, November 16, 2025

सूरज और चंद्रमा का अपना अपना सौंदर्य है

प्रतीकात्मक चित्र
 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

इतिहास में रुद्रसेन प्रथम और द्वितीय की चर्चा होती है। इन्हें वाकाटक वंश का माना जाता है। वैसे रुद्रसेन के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी तो नहीं मिलती है, लेकिन विभिन्न ग्रंथों और शिलालेखों से यह ज्ञात होता है कि उनके पिता राजकुमार गौतमीपुत्र थे और उनकी माता संभवत: भारशिव
राजा भवनाग की पुत्री थीं। बाद के वाकाटक शिलालेखों में रुद्रसेन को भवनाग का पौत्र बताया गया है। 

रुद्रसेन का जन्म 335-360 ईस्वी में माना जाता है। रुद्रसेन ने कभी अपने आपको सम्राट नहीं घोषित किया था। वह अपने को महाराजा ही कहलाते रहे। एक बार की बात है। वह एक संत के पास गए। उस समय संत प्रार्थना में लीन थे। रुद्रसेन ने एक तरफ बैठकर संत की प्रार्थना खत्म होने का इंतजार किया। 

काफी देर बाद संत की प्रार्थना खत्म हुई तो रुद्रसेन ने संत को प्रणाम करते हुए कहा कि प्रभु! मैं अपने को बहुत दीन-हीन महसूस करता हूं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि मैंने अपनी मृत्यु को बहुत निकट से महसूस किया है। मैंने न जाने कितनी बार निर्बलों की रक्षा की है, लेकिन आज मुझे महसूस हुआ कि मेरे होने या न होने का कोई मतलब नहीं है। संत ने कहा कि मैं आपके सवाल का जवाब थोड़ी देर बाद दूंगा। 

जब सब लोग विदा हो गए, तो संत रुद्रसेन को लेकर बगीचे में गए। उस समय चांदनी छिटकी हुई थी। संत ने कहा कि चांद बहुत सुंदर लग रहा है। लेकिन जब सुबह होती है, सूर्य निकल आता है, तो चंद्रमा निस्तेज हो जाता है। लेकिन चंद्रमा ने कभी इस बात की शिकायत नहीं की। रुद्रसेन ने कहा कि हां, यह बात सही है। सूर्य और चंद्रमा का अपना अपना सौंदर्य है। तब संत ने कहा कि यही आपके सवालों का जवाब है।

सड़क मानकों में बदलाव, उद्योगों के विकास का रास्ता हुआ साफ

अशोक मिश्र

हरियाणा सरकार ने भूमि संबंधी दो बदलाव किए हैं। पहला यह कि सरकार ने सड़क मानकों में बदलाव किया है जिससे अब कृषि जोन में भी उद्योग लगाने में सहूलियत होगी। दूसरा बदलाव मिक्स्ड लैंड यूज में गतिविधियों को लेकर है। सरकार ने मिक्स्ड लैंड यूज मामले में 12 तरह की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सड़क के मानकों में बदलाव का नतीजा यह होगा कि प्रदेश में कृषि भूमि घट जाएगी। दरअसल, पिछले कुछ दशक से प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में कृषि भूमि का रकबा घटता जा रहा है। 

दस-बीस साल पहले जिस जमीन पर खेती होती थी, अब वहां आवासीय कालोनियां या फैक्ट्रियां सिर उठाए खड़ी हैं। विभिन्न राज्यों की सरकारों ने समय-समय पर नियमों में बदलाव करके कृषि भूमि का उपयोग बदल दिया है। नतीजा यह हुआ कि बिल्डर्स और उद्योगपतियों ने खेती लायक जमीन पर भी कालोनियां बसा दीं या उद्योग लगा दिए। विकास के नाम पर लंबी चौड़ी सड़कें भी कृषि भूमि से होकर ही निकाली गईं। 

इससे आवागमन में तो काफी सहूलियत हुई, लेकिन एक तो खेती का रकबा घट गया, वहीं कालोनियों और उद्योगों की वजह से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा। वायु से लेकर जल और मृदा प्रदूषण की समस्याएं खड़ी हो गईं। सैनी सरकार ने जो अभी हाल में ही सड़कों के मानकों में परिवर्तन किया है, उससे खेती की जमीनों पर उद्योग लगने का रास्ता साफ हो गया है। 

पहले कृषि जोन में उद्योगों के लिए कम से कम 33 फीट चौड़ी सड़क का होना जरूरी था। अब 20 फीट चौड़ी गांव लिंक या 33 फीट राजस्व/ स्व निर्मित पंचायत मार्ग को भी कृषि जोन में उद्योग लगाने के लिए वैध अप्रोच माना जाएगा। इस फैसले के बाद अब उन गांवों में भी उद्योग लगाने का रास्ता साफ हो जाएगा जिन गांवों में चौड़ी सड़कें नहीं है। नए नियम की वजह से स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे जैसी सड़कों के किनारे उद्योग लगने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने मिक्स्ड लैंड यूज के लिए 12 तरीके के प्रतिबंध लगाकर उस इलाके में रहने वाले लोगों की जान-माल और पर्यावरण को संरक्षित करने का प्रयास किया है। 

अब मिक्स्ड लैंड यूज वाले इलाके में कचरे को डंप नहीं किया जा सकेगा। इतना ही नहीं, इन क्षेत्रों में केमिकल या पेट्रोकेमिकल वाले उद्योग नहीं लगाए जा सकेंगे या इन पदार्थों का संग्रह भी नहीं किया जा सकेगा। न्यूक्लियर पावर से जुड़े  इंस्टालेशन, स्लाटर हाउस का निर्माण प्रतिबंधित रहेगा। पिगरी, पोल्ट्री, डेयरी और टैनरी से जैसे उद्योग भी इन क्षेत्रों में नहीं चलाए जा सकेंगे। 

इन्हें शहर से बाहर चलाने की अनुमति तो होगी, लेकिन मिक्स्ड लैंड यूज वाले क्षेत्रों में इन्हें संचालित करना वर्जित रहेगा। कहने का मतलब यह है कि कोई भी ऐसी गतिविधि जिससे पर्यावरण और लोगों को नुकसान होने की आशंका हो, प्रतिबंधित रहेंगे।

तुम दुनिया के सबसे बड़े दरिद्र हो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

कुछ लोगों के पास बहुत अधिक धन-संपत्ति होती है, लेकिन वह उतने से संतुष्ट नहीं रहते हैं। अधिक की लालसा में वह दिन-रात चैन से नहीं बैठते हैं। भले ही इसके लिए किसी का खून ही क्यों न बहाना पड़े। कुछ लोगों को प्रसिद्धि की भूख होती है, तो किसी धन दौलत की। इस संबंध में एक रोचक प्रसंग है। किसी जगह पर एक संत रहते थे। उन्होंने एक आश्रम खोल रखा था, जहां वह बच्चों को शिक्षा दिया करते थे। 

उनके ज्ञान की चर्चा चारों ओर होती थी। एक बार वह अपने दो शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले। काफी दिनों तक भ्रमण करने के बाद वह एक ऐसी जगह पर पहुंचे, जहां का वातावरण काफी शांत और चारों ओर हरियाली फैली हुई थी। संत ने अपने शिष्यों से कहा कि कुछ दिन यहीं रहा जाएगा। एक दिन संत अपने शिष्यों के साथ भिक्षा मांगने निकले। रास्ते में उन्हें एक सिक्का पड़ा दिखाई दिया। 

संत ने उस सिक्के को झट से उठाकर झोले में डाल लिया और बोले, इसे किसी योग्य पात्र को दे दूंगा। उनके एक शिष्य ने सिक्का देखकर सोचा कि यदि यह मुझे मिलता, तो मैं बाजार में जाकर मिठाई खाता। इस बात को कई दिन बीत गए। शिष्यों ने सोचा कि गुरु जी के मन में लालच आ गया है। लेकिन कुछ बोले नहीं। तभी संत ने किसी से सुना कि उस राज्य का राजा पड़ोसी राज्य पर हमला करने जा रहा है। 

संत ने अपने शिष्यों से कहा कि अब यहां रहने लायक नहीं है। तीन वहां चल पड़े। रास्ते में देखा कि सामने राजा की सवारी चली आ रही है। संत को देखकर मंत्री ने राजा से कहा कि यह ज्ञानी संत हैं। संत ने अपने झोले से सिक्का निकाला और राजा की हथेली पर रखते हुए कहा कि आपके पास इतनी दौलत है, लेकिन दूसरे राज्य को लूटने जा रहे हैं। मेरी समझ से आप सबसे बड़े दरिद्र हैं। यह सिक्का भी रख लीजिए। संत की बात सुनकर राजा समझ गया कि संत क्या चाहते हैं। वह वहीं से अपने राज्य में लौट गए।

Saturday, November 15, 2025

आतंकियों पर नजर रखने की करनी होगी पुख्ता व्यवस्था

अशोक मिश्र

आतंकवाद वैश्विक समस्या बनता जा रहा है। हमारे देश में भी आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं। इसी साल पुलवामा में आतंकियों ने छब्बीस निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि भारत सरकार ने पाकिस्तान से संचालित हो रहे आतंकी संगठनों के अड्डों को आपरेशन सिंदूर चलाकर नेस्तनाबूत कर दिया था। दस नवंबर को नई दिल्ली में चलती कार में विस्फोट करके आतंकियों ने एक दर्जन मासूम लोगों की जान ले ली। इस आतंकी घटना के तार जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के फरीदाबाद जिले से जुड़े पाए गए। 

फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉ. मुजम्मिल अहमद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। डॉ. मुजम्मिल की प्रेमिका डॉ. शाहीन शाहिद को भी गिरफ्तार किया गया। आतंकी नेटवर्क के तीन डॉक्टरों सहित की लोग गिरफ्तार किए गए हैं। प्रदेश में इससे पहले भी आतंकी संगठनों से जुड़े लोग गिरफ्तार किए गए हैं। फरीदाबाद में संचालित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दो डॉक्टरों का आतंकी घटनाओं में संलिप्त पाया जाना और 360 किलो सोडियम नाइट्रेट जैसे पदार्थ का इकट्ठा करना, प्रदेश की खुफिया एजेंसियों की नाकामी को दर्शाता है। इसका कारण यह माना जाता है कि प्रदेश में आतंकियों पर नजर रखने के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है। कोई स्वतंत्र दस्ता नहीं है। 

विभिन्न मामलों में गठित की गई स्पेशन टॉस्क फोर्स और पुलिस अपराधिक मामलों की जांच में ही लगी रह जाती है। उसके पास आतंकी घटनाओं के संबंध में छानबीन करने के लिए समय ही नहीं बचता है। इसी का फायदा उठाकर आतंकी संगठन हरियाणा को सुरक्षित समझते हैं। दिल्ली विस्फोट से पहले भी आतंकी घटनाओं में लिप्त लोग हरियाणा में पकड़े गए हैं। लंबे समय से विभिन्न राज्यों में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग फरीदाबाद सहित कई जिलों में पकड़े गए हैं। 

हैदराबाद की मक्का मस्जिद में विस्फोट से लेकर समझौता एक्सप्रेस में में धमाका मामले में दूसरे राज्यों की पुलिस राज्य में छापा मारती रही हैं। वर्ष 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में दयानंद पांडे उर्फ अमृतानंद देव को अनंगपुर स्थित हरि पर्वत मंदिर से गिरफ्तार किया गया था जो यहां कई साल से रह रहा था। सिंतबर 2008 को पुलिस के पास एक काल गई थी जिसमें दिल्ली को बचाने की अपील की गई थी। काल आने के अगले दिन महरौली में विस्फोट हुआ था। 

जिस सिम से दिल्ली पुलिस को सूचना दी गई थी, वह सिम बल्लभगढ़ में किसी ने खरीदा था। यही नहीं, हैदराबाद की मक्का मस्जिद विस्फोट में जो मोबाइल उपयोग किया गया था, उसे फरीदाबाद ओल्ड से खरीदा गया था। इस तरह की और भी कई घटनाएं हरियाणा में हुई थीं। इन घटनाओं को देखते हुए काफी लंबे समय से आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए एक अलग से विंग की जरूरत महसूस की जा रही है। शासन को इस बारे में विचार करना चाहिए।