Saturday, November 22, 2025

विश्व के सबसे बड़े जंगल सफारी बनाने के सपने पर लगा विराम


अशोक मिश्र

हरियाणा में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी बनाने के सपने को विराम लग गया है। गुरुग्राम में छह हजार और नूंह में चार हजार एकड़ में बनने वाली जंगल सफारी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। पांच सेवानिवृत्त वन अधिकारी और पीपुल फॉर अरावली जैसे पर्यावरण समूह ने जंगल सफारी के निर्माण पर आपत्ति जताई है। इन याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यदि जंगल सफारी के निर्माण की इजाजत दी गई, तो इससे संवेदनशील पारिस्थतिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंचेगा। 

लोगों का आवागमन बढ़ने से अरावली क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतुओं का प्राकृतिक रहन-सहन बाधित होगा और उनके स्वाभाविक आवास भी नष्ट हो जाएंगे। इंसानों की भीड़ की वजह से अरावली क्षेत्र में रहने वाले जीवों को प्राकृतिक वातावरण नहीं मिलेगा, इससे उनके जैविक विकास को क्षति पहुंच सकती है। अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान और गुजरात के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। करीब 790 किमी लंबी पर्वत शृंखला जहां हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यदि जंगल सफारी परियोजना को मंजूरी दी गई तो अरावली के पर्यावरण में बहुत ज्यादा नकारात्मक बदलाव आएगा जिसकी वजह से पारिस्थितिकी तंत्र में कमजोर होगा। 

सुप्रीमकोर्ट में मामला चले जाने की वजह से पांच साल से चल रहे काम को रोक दिया गया है। परियोजना के खिलाफ याचिका दायर होने के बाद वन विभाग और वन्य जीव विभाग ने काम आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। वैसे जंगल सफारी परियोजना का उद्देश्य अरावली क्षेत्र में पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देना था। इसके अलावा यह भी सही है कि जंगल सफारी शुरू होने पर प्रदेश के काफी लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार भी मुहैया होता। इससे लोगों की आय में वृद्धि होती। 

राज्य सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होती। परियोजना पर फिलहाल रोक लग जाने से लोगों के रोजगार हासिल होने और राजस्व प्राप्त होने के सपने फिलहाल धक्का लगा है। प्रदेश सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा था कि वह सफारी को तीन हजार एकड़ में ही बनाने को तैयार है, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज करते हुए फैसला होने तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। 

यह भी सही है कि अरावली क्षेत्र में लोगों का हस्तक्षेप पिछले कुछ वर्षों में बहुत अधिक बढ़ गया था। अरावली के प्रतिबंधित क्षेत्र में भी कुछ लोगों ने अवैध रिसार्ट, मैरिज प्वाइंट आदि बना लिए थे। छह महीने पहले ही सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर काफी संख्या में अवैध निर्माण को हटा गया है। यही नहीं, अरावली क्षेत्र को खनन माफियाओं ने बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है।

Friday, November 21, 2025

अच्छा मॉडल हूं, तो मेहनताना मिलना चाहिए


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

आगस्ट रोडिन को आधुनिक मूर्तिकला का संस्थापक माना जाता है। 12 नवंबर 1840 को फ्रांस में जन्मे आगस्ट रोडिन ने मूर्ति कला में भावनाओं, गति और मानव शरीर को दर्शाने की नई विधा ईजाद की थी। हालांकि उनकी कुछ मूर्तियों को लेकर उन दिनों विवाद भी हुआ था। लेकिन रोडिन की प्रसिद्ध मूर्तियों में से द किस, द थिंकर, द गेट्स आफ आल, द एज आफ ब्रांज, मान्यूमेंट टू बाल्जाक आदि प्रमुख हैं। 

रोडिन ने तत्कालीन मान्यताओं और परंपराओं को नकारते हुए मूर्ति कला के नए सिद्धांतों को अपनाया और लोगों की मूर्तिकला के संबंध में प्रचलित धारणा को बदलने का प्रयास किया। रोडिन ने कांस्य और संगमरमर की बहुत सारी प्रतिमाएं बनाई थीं। कहा जाता है कि एक बार अंग्रेजी साहित्य के विख्यात नाटककार जार्ज बनार्ड शॉ ने उनसे अपनी मूर्ति बनाने का अनुरोध किया। 

शॉ अंग्रेजी साहित्य के बहुत बड़े नाटककार थे। उनकी ख्याति दुनिया भर में थी। हालांकि रोडिन भी अपनी कला के क्षेत्र में कम विख्यात नहीं थे। मूर्ति बनाने की कीमत एक हजार पाउंड तय हुई। रोडिन ने शॉ की दस-बारह मूर्तियां बनाईं, लेकिन रोडिन अपनी मूर्तियों से संतुष्ट नहीं थे। वह इससे भी बेहतरीन मूर्ति बनाना चाहते थे। हालांकि, बनार्ड शॉ को उन मूर्तियों में से चार-पांच बहुत पसंद थी। एक दिन शॉ ने मजाक करते हुए कहा कि मेरी मूर्ति कब बनेगी? इतना समय लगाएंगे, तो कमाएंगे क्या? रोडिन ने गंभीरता से जवाब दिया कि जब अच्छा मॉडल मिल जाए, तो कमाई का ध्यान नहीं रहता है। तब शॉ बोले कि अगर मैं अच्छा मॉडल हूं, तो मुझे मेहनताना मिलना चाहिए। रोडिन ने कहा कि एकदिन आपको गर्व होगा कि आपके पास रोडिन की बनाई मूर्ति है। यही आपका मेहनताना होगा।

हरियाणा में एंटी टेररिस्ट स्क्वायड का गठन एक सराहनीय फैसला

अशोक मिश्र

अगर किसी सामान्य नागरिक के पास फोन आए और उससे कहा जाए कि मैं कमिश्नर आफिस से बोल रहा हूं। तुम्हारी आतंकी घटनाओं में संलिप्तता पाई गई है। तुम्हें कमिश्नर आफिस में आना होगा। इस तरह का फोन आने पर स्वाभाविक है कि सामान्य नागरिक ही नहीं, पढ़े-लिखे और उच्च पदों पर काम कर चुके लोग भी भयभीत हो जाएंगे। आजकल साइबर ठगों ने लोगों को ठगने का यह नया तरीका अख्तियार कर लिया है।

एक दिन पहले ही फरीदाबाद में एक व्यक्ति को साइबर ठगों ने आतंकी घटनाओं में हाथ होने का आरोप लगाकर ठगने का प्रयास किया। पुलिस को जब यह जानकारी मिली, तो उसने लोगों को ऐसे ठग गिरोहों से सतर्क रहने के लिए एडवायजरी जारी की है। यह सही है कि हमारे देश आतंकवाद और साइबर ठगी दो बड़ी समस्याएं बनती जा रही हैं। हरियाणा में साइबर ठगी की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। 

सरकार और प्रशासन बार-बार लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती है, लेकिन लोग हैं कि इन साइबर ठगों के चंगुल में फंस ही जाते हैं। आतंकी घटनाओं के बारे में भी शासन और प्रशासन लोगों को सचेत करती रहती है। फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी इन दिनों काफी चर्चा में है। इस यूनिवर्सिटी में कई डॉक्टर और अन्य कर्मचारी दिल्ली में दस नवंबर को हुए ब्लास्ट में शामिल बताए गए हैं। काफी आरोपियों को पुलिस और एनआईए ने गिरफ्तार भी किया है। कुछ लोगों की संपत्ति भी जब्त की गई है। अब सवाल यह है कि आतंकी इतने दिनों तक फरीदाबाद में सक्रिय रहे और पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। 

जब जम्मू-कश्मी एंटी टेररिस्ट स्क्वायड ने अपने राज्य में कुछ आतंकियों को गिरफ्तार किया और उनके कबूलने पर हरियाणा में छापा मारकर आतंकियों को गिरफ्तार किया, तब जाकर फरीदाबाद में पनप रहे आतंकवाद के बारे में जानकारी मिली। यह सब कुछ इसलिए हुआ क्योंकि राज्य में एटीएस का गठन नहीं किया गया है। देश के कई राज्यों ने अपने यहां आतंकी घटनाओं को रोकने और आतंकियों पर नजर रखने के लिए एंटी टेररिस्ट स्क्वायड का गठन कर रखा है। हर जिले में इनकी इकाइयां गठित हैं। 

एटीएस के सदस्य दूसरे राज्यों से संपर्क बनाकर एक दूसरे से सूचनाएं साझा करते रहते हैं। इस तरह अपने राज्य के आतंकियों पर नजर रखते हैं और उनको नेस्तनाबूत करते रहते हैं। अब हरियाणा सरकार ने भी आतंकवाद से निपटने के लिए एटीएस गठित करने का फैसला लिया है। देर से ही सही, लेकिन प्रदेश सरकार का यह उत्तम फैसला है। जल्दी से जल्दी एटीएस का गठन करके पूरे राज्य में इसका जाल बिछाया जाना चाहिए, ताकि कोई भी आतंकी संगठन प्रदेश में किसी प्रकार की आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बारे में सोच ही न सके।

Thursday, November 20, 2025

व्यंग्य लेखन के लिए जेल में डाले गए वाल्टेयर

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

वाल्टेयर को फ्रांसीसी साहित्य में दार्शनिक, इतिहासकार और व्यंग्यकार के रूप में प्रतिष्ठा हासिल हुई थी। वह अपनी तीक्ष्ण बुद्धि के लिए प्रसिद्ध थे। वैसे वाल्टेयर उनका उपनाम था। उनका असली नाम फ्रांस्वां-मारी अरुए था। वाल्टेयर अभिव्यक्ति और धार्मिक स्वतंत्रता के पक्षधर थे। वाल्टेयर की रचनाओं में व्यंग्य का पुट ज्यादा होता था जिससे शासक तिलमिला जाते थे। 

वह कई बार रोमन कैथोलिक चर्च की भी समीक्षा कर चुके थे। इसका नतीजा यह हुआ कि वह कई बार सार्वजनिक जगहों पर पीटे गए। शासकों ने उन्हें जेल में डाल दिया। वैसे बचपन में उनके पिता फ्रांकोइस अरौएट चाहते थे कि उनका बेटा वकील बने क्योंकि वह खुद एक वकील थे और एक मामूली कोषागार के अधिकारी थे। लेकिन वाल्टेयर की रुचि साहित्य में थी। 

वह लेखक बनना चाहते थे। जब वाल्टेयर को यह लगने लगा कि फ्रांस में रहकर अपनी बात कह पाना मुमकिन नहीं है, तो उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया। वह देश छोड़कर लंदन आ गए। लंदन में अभिव्यक्ति पर उन दिनों कोई प्रतिबंध नहीं था। जिन बातों को वह लिखना चाहते थे, उन बातों को लंदन में रहकर लिख सकते थे। लंदन में रहने के दौरान अंग्रेजी साहित्य का अध्ययन करने के बाद ही उनकी समझ में आया कि धार्मिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या महत्व है। 

इसके बाद वह फिर फ्रांस लौट गए और इंग्लैंड में लिखी पुस्तक लेटर्स आॅन द इंग्लिश प्रकाशित कराई। इस बार भी फ्रांस की सत्ता तिलमिला उठी। पुस्तक की प्रतियां जला दी गईं और प्रकाशक को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वह अज्ञातवास में चले गए। सन 1778 में उनकी मौत हो गई।

दम घोटू प्रदूषण से बचकर रहें हरियाणा के बच्चे और बुजुर्ग


अशोक मिश्र

दिल्ली एम्स ने प्रदूषण को लेकर चेतावनी दी है कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अगर बहुत जरूरी न हो, तो लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को बहुत संभलकर रहने की जरूरत है। सच तो यह है कि दिल्ली ही नहीं, एनसीआर, हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों की हालत भी लगभग दिल्ली जैसी है। हरियाणा में भी कई जिले प्रदूषण की चपेट में हैं। फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम जैसे कई शहरों में हालात बेकाबू होने वाले हैं। राज्य सरकार तो प्रयास कर रही है, लेकिन उन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहा है। 

हरियाणा भी धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि अस्पतालों में वायु प्रदूषण के चलते बीमार होने वालों की भरमार होती जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस, हृदय, त्वचा और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग पहुंच रहे हैं। हरियाणा में पहले से बीमार मरीजों की हालत गंभीर होती जा रही है, वहीं ऐसे रोगों से पीड़ित नए मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। पूरे प्रदेश में ग्रैप नियमों को लागू किया गया है। 

सरकार दावा कर रही है कि ग्रैप नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय निकायों को लगा दिया गया है, लेकिन हकीकत उससे जुदा है। प्रदेश के कई जिलों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है। खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। राज्य की सड़कों पर कई जगह निर्माण कार्य और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नतीजा यह है कि सड़कों पर वाहनों के आवागमन के चलते सड़कों पर धूल उड़ रही है। हरियाणा सरकार ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की है। 

राज्य सरकार का कहना है कि  परिवहन, कृषि, नगर पालिका प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन से जुड़े अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय लागू किए गए हैं। इससे प्रदेश के कई जिलों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर कार्य करने से प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने में बहुत हद तक सफलता मिली है। राज्य के कुछ जिलों में डीजल से चलने वाले आटो वाहनों को सड़कों से हटा दिया गया है। इनकी जगह बैटरी से चलने वाले आटो-रिक्शा को प्रमुखता प्रदान की जा रही है। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा है कि अगले साल तक खेतों में पराली जलाने जैसी घटनाओं को शून्य पर लाने को सरकार प्रयासरत है। नोडल अधिकारियों की सख्ती और किसानों के सहयोग से यह लक्ष्य हर हालत में पूरा कर लिया जाएगा।

Wednesday, November 19, 2025

हेयरस्टन को जीवन भर भोगना पड़ा रंग भेद का दंश

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र


जेस्टर हेयरस्टन को नीग्रो होने की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा। उनका जन्म अमेरिका में सन 1901 में हुआ था। हेयरस्टन में संगीत के प्रति रुचि अपनी दादी की वजह से पैदा हुई। दरअसल, बात यह है कि जब जेस्टर छोटा था, तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। उनकी मां काम पर जाती थी, तो वह अपना समय अपनी दादी के साथ बिताता था। दोपहर में उसकी दादी की सहेलियां उसके घर आ जाती थीं। 

उनकी दादी अपनी सहेलियों के साथ गपशप करती और गीत गाती थीं। हेयरस्टन उनके गीत सुनता। उसे अच्छा लगता था। धीरे-धीरे उसकी रुचि गीतों में बढ़ती गई। उसने तय कर लिया कि वह आगे चलकर संगीतकार बनेगा। हेयरस्टन ने ट्फ्ट्स यूनिवर्सिटी से संगीत में स्नातक किया और बाद में जूलियार्ड स्कूल में भी संगीत की पढ़ाई की। 

जब अपनी कला को हेयरस्टन ने व्यावसायिक रूप देना चाहा, तो नीग्रो होने की वजह से लोगों ने उसका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन हेयरस्टन ने हार नहीं मानी। वह अपने काम में लगा रहा। उसकी गायन कला पर एक दिन एक कंपनी की निगाह पड़ी और उसने हेयरस्टन को एक अवसर देने का फैसला किया। 

बस यहीं से हेयरस्टन की जिंदगी बदल गई। उनके गीतों ने पूरी दुनिया पर जादू किया। दुनिया भर में उनके गीतों को सुना जाने लगा। उनके प्रसिद्ध होने के बाद लोगों का नजरिया बदला, लेकिन अब भी कुछ लोग नीग्रो होने की वजह से भेदभाव करते थे। 

एक बार हेयरस्टन ने अपने साथ हुए भेदभाव की बात स्वीकार करते हुए कहा था कि संगीत की कोई जाति नहीं होती है। जो उसे मन से अपनाता है, वह उसी का हो जाता है। 2000 में 98 साल की आयु में हेयरस्टन का देहांत हो गया।

उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा ने फिर मांगा अपने हिस्से का पानी

अशोक मिश्र

फरीदाबाद के सूरजकुंड में कल यानी 17 नवंबर को उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक हुई। बैठक में कई तरह के मुद्दे उठाए गए। लाल किले के पास दस नवंबर को हुए विस्फोट पर तो चर्चा हुई ही, लेकिन इस बीच पंजाब-हरियाणा के बीच जल विवाद का मसला भी काफी चर्चा में रहा। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि सभी राज्यों  के पानी के हिस्से को संबंधित राज्य तक पहुंचाने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। 

हरियाणा लगातार दिल्ली को उसके हिस्से से अधिक पानी दे रहा है, जबकि एसवाईएल नहर के निर्माण में देरी के कारण पंजाब से हरियाणा को पूरा पानी नहीं मिल पा रहा। पानी हम सबका साझा संसाधन है, इसलिए उसे स्वच्छ रखना सभी की जिम्मेदारी है। सीएम सैनी के मुद्दे उठाने के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि पंजाब की नदियों के जल पर पंजाब का पूरा हक है। 

मान ने कहा कि इंडस वाटर ट्रीटी निलंबन के बाद अब मौका है कि राज्यों के बीच पानी के विवाद का हल निकाला जाए। चिनाब नदी को रावी-ब्यास से जोड़ा जाए, ताकि पंजाब व बाकी राज्यों को सिंचाई और बिजली के लिए ज्यादा पानी मिल सके। वैसे रावी-ब्यास से चिनाब को जोड़ने की बात वह कई बार दोहरा चुके हैं। दरअसल, पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा जल विवाद बहुत पुराना है। एसवाईएल मामले को लेकर सन 1960 से लेकर अब तक कई बार मामला सुप्रीम की कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। 

हरियाणा ने अपने हिस्से की नहर तक तैयार कर ली है, लेकिन पंजाब अपने हिस्से की नहर तैयार करने को राजी नहीं है। निकट भविष्य में भी एसवाईएल मुद्दे के हल होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। रावी-ब्यास नदी को चिनाब से जोड़ने की मांग करके सीएम मान ने मामले को और उलझा दिया है। रावी-चिनाब नदियों का पानी पंजाब और हरियाणा तक पहुंचाने को यदि केंद्र तैयार भी हो जाए, तो इसे अमल में लाने में काफी समय लगेगा। इतना आसान नहीं है रावी-ब्यास और चिनाब से पंजाब तक नहर बनाना। 

इसमें काफी पैसा और समय लगेगा। सच कहा जाए, तो वास्तविक स्थिति से सीएम मान वाकिफ हैं। इसी वजह से उन्होंने यह मुद्दा उठाया है। पिछले कई दशक से एसवाईएल का मुद्दा दो राज्यों के बीच झूल रहा है, लेकिन अभी तक उसका कोई हल नहीं निकला है। यदि पंजाब एसवाईएल के जरिये पानी देने को तैयार भी हो जाता है, तो पंजाब में एसवाईएल नहर निर्माण में भी कई साल लग जाएंगे। पंजाब से पानी नहीं मिलने की वजह से हरियाणा में पानी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। गर्मी में दक्षिण हरियाणा सहित कई हिस्सों में पानी की समस्या भयानक रूप अख्तियार कर लेती है। लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं। 

Tuesday, November 18, 2025

बच्चा होकर भी तू बात बुड्ढों वाली करता है



















बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सिख धर्म के इतिहास में बाबा बुड्ढा सिंह का नाम बड़े गर्व और सम्मान के लिया गया है। बाबा बुड्ढा सिंह ही वह आदमी थे जिन्हें सिख पंथ के पांच गुरुओं गुरु अंगद देव, अमरदास, रामदास, अर्जन देव और हरगोविंद को गुरु गद्दी का तिलक लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। गुरु नानक देव की भी कृपा बाबा बुड्ढा सिंह को प्राप्त हुई। इनका वास्तविक नाम बूरा बताया जाता है। 

बाबा बुड्ढा सिंह नाम पड़ने के पीछे भी एक रोचक कथा है। सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव ने अपनी संगत के लिए एक नियम बना रखा था। जो भी उनके दरबार में आता था, उसे भक्तिभाव से कीर्तन करना जरूरी था। दरबार में आने वाले लोग भी बड़ी श्रद्धा के साथ कीर्तन किया करते थे। गुरु नानकदेव भी लोगों को उपदेश दिया करते थे। उनके उपदेशों को सुनकर लोग अपने को धन्य मानते थे। 

वैसे भी सिख धर्म के सभी गुरुओं के उपदेश-निर्देश पूरी मानवता के लिए हैं। खैर। तो गुरुनानक देव के दरबार में एक बच्चा सबसे पहले आता था और चुपचाप खड़ा रहता था। यह क्रम काफी समय से चला आ रहा था। एक दिन बाबा नानक ने उस बच्चे से बड़े प्यार से पूछ ही लिया। तुझे नींद नहीं आती है? यह समय तो तेरे सोने का है। तेरा खेलकूद में मन नहीं लगता है? 

उस बालक ने कहा कि कीर्तन सुनना मुझे अच्छा लगता है। मेरी मां रोज चूल्हा जलाते समय छोटी-छोटी लकड़ियां पहले जलाती हैं, मोटी लकड़ी को जलने में समय ज्यादा लगता है। बच्चों को ज्ञान की बात जल्दी समझ में आती है। यह सुनकर गुरु जी ने कहा कि उम्र में तू बच्चा है, लेकिन बात बुड्ढों वाली करता है। बस तभी से बूरा का नाम बाबा बुड्ढा सिंह पड़ गया।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव से सीखेंगे विभिन्न राज्यों की सभ्यता-संस्कृति

अशोक मिश्र

भारत में गीता को सबसे पवित्र पुस्तक माना जाता है। जब भी कोई मामला अदालत में जाता है, तो वादी और प्रतिवादी को गीता की शपथ दिलाई जाती है। गीता की शपथ दिलाने के पीछे मान्यता यह है कि व्यक्ति पवित्र पुस्तक गीता की शपथ लेने के बाद झूठ नहीं बोलेगा।गीता की रचना महाभारत युद्ध के दौरान हुई थी। जब महाभारत का युद्ध हो रहा
था, उस समय अर्जुन अपने बंधु-बांधवों को देखकर विचलित हो गए थे। वह युद्ध क्षेत्र से भाग जाना चाहते थे। अपने ही भाइयों, चाचाओं और पितामह से युद्ध करना, उचित नहीं लग रहा था। वह राज्य पाने के लिए अपने ही लोगों की हत्या नहीं करना चाहते थे। 

तब श्रीकृष्ण ने उनको उपदेश दिया था। उसी उपदेश का संग्रह गीता के नाम से किया गया। गीता पुस्तक में जीवन के विविध आयामों पर प्रकाश डाला गया है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हुआ था और यहीं पर कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था। इसलिए गीता और कुरुक्षेत्र का हरियाणा के लिए बहुत अधिक महत्व है। यही कारण है कि हरियाणा सरकार पिछले कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव मनाती आ रही है। 

इस महोत्सव में कई देशों से श्रद्धालु आते हैं। भारतीय नागरिकों की तो महोत्सव में भरमार रहती है। सैनी सरकार ने इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया है जो 15 नवंबर से शुरू हो चुका है, जो पांच दिसंबर तक चलेगा। इस बार चार चरणों में देशभर से आए साढ़े चार सौ कलाकार अपनी लोककलाओं का मुजाहिरा करेंगे। हमेशा की तरह इस बार भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। 

केंद्र की ओर से विभिन्न राज्यों के छह कलाकार गीता महोत्सव में पहुंचे हैं। हिमाचल प्रदेश के 15 कलाकार लुड्डी और गिद्दा, राजस्थान के 11 कलाकार कालबेलिया, लांगा गायन और भवई नृत्य पेश करेंगे। पिछले कई वर्षों से महोत्सव में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र के कलाकार लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। गीता महोत्सव जहां लोगों को अध्यात्म की दुनिया में ले जाकर उनमें अच्छे गुणों और संस्कारों का बीजारोपण करता है। वहीं महोत्सव में आए लोग विभिन्न राज्यों की लोककलाओं, रहन-सहन और पहनावे से परिचित होते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही मेले-ठेले और महोत्सवों को मानने की परंपरा रही है। 

इसका उद्देश्य यही रहा है कि जिस जगह पर मेला या महोत्सव आयोजित किया जा रहा है, वहां के लोग दूर-दूर से आने वाले लोगों से परिचित हों, उनमें मेलजोल बढ़े, लोग एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति से परिचित हों। यह अनेकता में एकता की भावना को पैदा करने का सबसे बेहतरीन जरिया था। आज भी यही उद्देश्य है। गीता महोत्सव सचमुच एक पवित्र उद्देश्य से किया जाने वाला आयोजन हैै।

Monday, November 17, 2025

समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जीवन में समस्याएं हमेशा बनी ही रहेंगी। कभी कम और कभी ज्यादा। समस्याओं से रहित किसी का जीवन नहीं होता है। किसी शहर में एक आदमी था। वह अपने जीवन से बहुत परेशान था। कोई न कोई समस्या उसे घेरे ही रहती थी। एक दिन उसने सुना कि शहर में कोई साधु आए हैं जो लोगों की समस्याओं का हल बताते हैं। एक दिन वह रविवार को साधु से मिलने गया। 

काफी देर बाद उसका नंबर आया। उसने साधु से अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उसे हर समय समस्याएं घेरे रहती हैं। घर में परेशानी, आफिस में परेशानी, कभी पत्नी बीमार, तो कभी दूसरी तरह की परेशानियां। मैं इन परेशानियों से काफी थक गया हूं। महाराज, बताइए क्या करूं। साधु ने उसकी बातों को काफी गौर से सुना। कुछ देर बाद साधु बोले कि मैं तुम्हारी समस्या का निदान कल बताऊंगा, लेकिन तुम्हें आज मेरा एक काम करना होगा। वह आदमी तैयार हो गया। 

साधु उसे बाहर ले गया जहां काफी ऊंट बंधे थे। साधु ने उस आदमी से कहा कि तुम्हें इन सौ ऊंटों की रखवाली करनी है। जब यह सभी ऊंट बैठ जाएं, तो तुम सो जाना। सुबह होने पर साधु उस जगह पहुंचा और उस आदमी से कहा कि तुम्हें तो अच्छी नींद आई होगी। उस आदमी ने कहा कि मैं तो रात भर सो ही नहीं पाया। कुछ ऊंट तो रात होते ही बैठ गए। कुछ को मैंने बैठा दिया, लेकिन सभी ऊंट तो कभी नहीं बैठे। 

कोई बैठ जाता था, तो कोई उठ जाता था। यह सुनकर साधु ने कहा कि समस्याएं भी ऐसी ही हैं। कभी थोड़ी रहती हैं, तो कभी ज्यादा। इन्हीं समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो। समस्याओं का निदान है, लेकिन खात्मा नहीं है। यह सुनकर वह आदमी समझ गया कि जीवन रहते समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलने वाली है।