Thursday, December 11, 2025

मैं तो घुमक्कड़ हूं, मुझे संगीत से क्या लेना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

चीन में महान संगीतकार शी कुआंग का जन्म लगभग 572 ईसा पूर्व माना जाता है। वह चीन के जिन शासक के शासनकाल के सबसे महान संगीतकारों में गिने जाते थे। उन्होंने चीन के दस सर्वश्रेष्ठ टुकड़ों में से एक ‘ह्वाइट स्नो इन अर्ली मार्निंग’ की रचना की थी। उनके बारे में कई तरह की कहानियां चीन में प्रचलित हैं। 

शी कुआंग के बारे में कहा जाता है कि जब तक वह जिन शासक के मुख्यमंत्री रहे, तब तक शासन बहुत अच्छी तरह से चलता रहा। संगीतकार शी कुआंग के ही समकालीन थे महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस। उस समय दर्शन में कन्फ्यूशियस की पूरे चीन में धूम मची हुई थी। लोग कन्फ्यूशियस का बड़ा आदर करते थे। 

एक बार की बात है। एक व्यक्ति ने कन्फ्यूशियस से कहा कि मैं आपको शी कुआंग से मिलवाना चाहता हूं। वह चीन के बहुत बड़े संगीतकार हैं। उनका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है। उस व्यक्ति की बात सुनकर कन्फ्यूशियस हंसे और बोले, मैं उनसे मिलकर क्या करूंगा। मैं तो एक घुमक्कड़ प्रवृत्ति का आदमी हूं। मैं एक जगह पर टिकता ही नहीं हूं और वैसे भी मेरी संगीत में कोई रुचि भी नहीं है। 

लेकिन कन्फ्यूशियस उस व्यक्ति की बात टाल नहीं पाए। वह शी कुआंग से मिलने को तैयार हो गए। अपने-अपने क्षेत्र में महान शख्सियतों की मुलाकात हुई तो दोनों एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए। शी कुआंग ने उन्हें चीन का पवित्र संगीत शाओ सिखाया। अब तो कन्फ्यूशियस की दिनचर्या ही बदल गए। वह हर समय संगीत में ही रमे रहते थे। अब तो संगीत उनके सिर चढ़कर बोलने लगा। एक दिन वह अपने अनुयायी से बोले, मुझे नहीं मालूम था कि संगीत में इतनी शक्ति होती है।

मानवता को शर्मसार करने वाले लोग मानव समाज के लिए खतरा


अशोक मिश्र

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं जिससे मानवता भी शर्मसार हो उठती है। आसपास रहने वाला व्यक्ति कब किसी मासूम बच्ची के लिए हैवान साबित हो, कोई नहीं कह सकता है। अंकल..अंकल कहकर आगे पीछे घूमने वाली बच्चियां अंकल की दरिंदगी का शिकार हो जाएं, नहीं कहा जा सकता है। ऐसा ही हुआ बीतों दिनों फरीदाबाद में। फरीदाबाद के पल्ला थाना की हरकेश नगर कालोनी में रहने वाले एक व्यक्ति ने पांच साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने का लालच दिया और उसे अपने साथ ले जाकर एक झाड़ी में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। 

कालोनी में एक व्यक्ति ने पच्चीस कमरे बनवाकर उसे किराये पर उठा रखा है। इसी एक कमरे में आरोपी भी रहता है। बच्ची उस आरोपी को अंकल कहती थी। रोज मिलना जुलना था। बस, इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने बच्ची को फुसलाया और झाड़ी में ले जाकर गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं, जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं आई, तो नराधम लोगों के साथ मिलकर उसे खोजने का नाटक भी करता रहा। बच्ची के मां-बाप को दिलासा भी देता रहा कि जल्दी ही बच्ची मिल जाएगी। 

यहीं कहीं खेल रही होगी। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने टीमें बनाकर बड़े पैमाने पर खोजबीन शुरू की, लोगों के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को चेक किया, तब जाकर पता लगा कि कौन उस बच्ची को साथ ले गया था। पुलिस ने शराब के नशे में धुत आरोपी को कमरे में सोते हुए पकड़ा। पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि हैवान ने उस बच्ची से दुष्कर्म किया है या नहीं। 

मानवता को शर्मसार करने वाली दूसरी घटना महेंद्रगढ़ के बचीनी गांव घटी। यह पांच साल की मासूम बच्ची घर से लस्सी लेने निकली थी। रास्ते में उसे कैंटर ने कुचल दिया। घायल बच्ची जब सड़क पर तड़प रही थी, तो कैंटर चालक ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने का आश्वासन देकर अपने कैंटर में बिठा लिया और पच्चीस किमी दूर ले जाकर उसे झाड़ियों में फेंक दिया। बच्ची की मौत झाड़ियों में फेंके जाने से पहले हो गई थी। बाद में सीसीटीवी फुटेज और जीपीएस के सहारे आरोपी चालक गिरफ्तार किया गया। 

समाज में शराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हुए हैवान कब किसी बच्ची, महिला या बच्चे को अपना शिकार बना लें, कहा नहीं जा सकता है। इन सभी घटनाओं को देखते हुए ही अब किसी पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। पड़ोसी तो क्या, अब लोग अपने नाते-रिश्तेदारों पर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि समाज में सभी बुरे हैं। लेकिन इसी समाज में  कोई ऐसा भी हो सकता है जो विश्वास लायक न हो। सौ इंसानों में से अगर दस लोग भी दूषित मानसिकता के हों, तो वह नब्बे लोगों के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं।

Wednesday, December 10, 2025

राजन! मुझे विनम्रता और सुई दे दो

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अहंकार व्यक्ति की गरिमा और व्यक्तित्व का विनाश करता है। अहंकारी व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता है। अगर राजा या कोई वरिष्ठ पदाधिकारी भी अहंकारी हो जाए, तो लोग भले ही उसके सामने कुछ न कहें, लेकिन पीठ पीछे उसकी बुराई ही करते हैं। किसी राज्य का राजा बहुत अहंकारी था। वह अपने आगे किसी को गिनता नहीं था। एक बार उसके राज्य में एक संत आया। 

उस संत की ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थी। जो भी एक बार संत से मिलता वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था। राजा तक उसकी ख्याति पहुंची, तो राजा ने संत को प्रभावित करने के लिए एक कीमती तलवार उपहार के रूप में लिया और संत से मिलने पहुंच गया। संत के पास पहुंचने पर राजा ने कहा कि यह भेंट मैं आपके लिए लेकर आया हूं। 

संत ने राजा का उपहार देखकर कहा कि राजन! मैं इस उपहार को लेकर क्या करूंगा? यह मेरे किसी काम की नहीं है। मैं तो संत हूं। मेरे लिए इस उपहार की कोई उपयोगिता नहीं है। पलभर सांस लेने के बाद संत ने आगे कहा कि यदि राजन, मुझे कुछ देना ही चाहते हैं, तो मुझे सुई के साथ विनम्रता दे दें। राजा आश्चर्यचकित
होकर बोला कि भला सुई और विनम्रता तलवार का मुकाबला कैसे कर सकते हैं। 

संत ने कहा कि सुई जोड़ने का काम करती है। विनम्रता से व्यक्ति अजेय व्यक्ति को भी जीत सकता है। तलवार का काम तो काटना या जीवन लेना है, लेकिन सुई हो या विनम्रता सबको एक साथ जोड़ने का काम करती हैं। राजा समझदार था। उसने संत से कहा कि मैं समझ गया। अब से मैं अहंकार का त्याग करता हूं। इसके बाद उसने प्रजा की भलाई के लिए बहुत सारे कार्य किए और प्रजा में लोकप्रिय हो गया।

हड़ताली डॉक्टरों की वजह से मरीजों को उठानी पड़ी परेशानी


अशोक मिश्र

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को सोमवार और मंगलवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश भर के डॉक्टर दो दिन हड़ताल पर रहे। एसोसिएशन ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आज यानी मंगलवार देर रात तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

प्रदेश सरकार ने एसएमओ की सीधी भर्ती करने का फैसला किया है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के पदाधिकारी सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने इसका विरोध करते हुए अपनी बात सरकार के सामने रखी, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि एसएमओ की सीधी भर्ती से पहले से ही सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों के प्रमोशन और मेरिट पर सीधा असर पड़ेगा। इस मामले में डॉक्टरों के अपने तर्कहैं, तो सरकार के अपने। इन दोनों के बीच मामला सुलझ नहीं पाने की वजह से बीच में मरीजों को पिसना पड़ रहा है। 

यमुनानगर में सीनियर मेडिकल आॅफिसर की भर्ती के खिलाफ प्रदेश भर के डॉक्टरों ने मोर्चा खोल रखा है। डॉक्टरों की दो दिवसीय हड़ताल को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहले से ही कुछ व्यवस्थाएं कर रखी थीं। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेजों में अध्ययनरत मेडिकल छात्र-छात्राओं और एनएचएम स्टाफ की सहायता से हालात को संभालने की कोशिश की, लेकिन चिकित्सा सेवा पर प्रभाव  पड़ना स्वाभाविक है। राज्य के कुछ जिलों में तो सीएचसी और पीएचसी से स्टाफ को बुलाना पड़ा, ताकि छोटी-मोटी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा सके।  कुछ जिलों में तो हालात लगभग सामान्य रहे, लेकिन कई जिले ऐसे भी हैं, जब गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों को इधर उधर भटकना पड़ा। 

कुछ गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का आपरेशन आदि भी टालना पड़ा। कुछ मरीजों ने हालात की गंभीरता को समझते हुए निजी अस्पतालों की शरण लेने में ही भलाई समझी। डॉक्टरों ने इमरजेंसी, एमएलआर और पोस्टमार्टम जैसे महत्वपूर्ण कामों का बहिष्कार कर रखा था। कुछ जिलों में गंभीर रोगियों को उन जिलों में ट्रांसफर किया गया जहां हालात सामान्य से दिखे थे। इमरजेंसी और ओपीडी में जांच या इलाज के लिए डॉक्टर नहीं मिले। मेडिकल करवाने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल के संबंध में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि हम हड़ताल को उचित नहीं मानते हैं, लेकिन मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा। दो महीने से सरकार से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है।

Tuesday, December 9, 2025

जीसस क्राइस्ट की तरह थे स्वामी विवेकानंद

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्रांस में 15 अगस्त 1858 में जन्मी एमा काल्वे ओपेरा सोप्रानो थीं जिसकी वजह से वह पूरी दुनिया में मशहूर थीं। वह नृत्य नाटिका में संगीत पर गाती थीं
। वह एक अच्छी नर्तकी भी थीं। वह स्वामी विवेकानंद से बहुत प्रभावित थीं। वह उन्हें धर्म पुरुष मानती थीं। काल्वे ने अपने शुरुआती जीवन के कई साल स्पेन में बिताए थे। उनके पिता जस्टिन कैल्वेट स्पेन में एक सिविल इंजीनियर थे। उनका वास्तविक नाम रोजा एम्मा कैल्वेट था। 

वह न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस और लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस में नियमित रूप से गाती थीं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में कई देशों की यात्राएं की थीं। वह तुर्की, मिस्र और यूनान भी गए थे। स्वामी विवेकानंद शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारतीय दर्शन और धर्म का पक्ष रखने से पूरी दुनिया में मशहूर हो गए थे। तीन देशों की यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद के दल में एमा काल्वे भी शामिल हो गईं। 

जब स्वामी जी चलते थे, तो सबसे आगे काल्वे नाचती गाती हुई चलती थीं। स्वामी जी की मृत्यु का समाचार सुनने के बाद काल्वे अपने को भारत आने से नहीं रोक सकीं। वह स्वामी विवेकानंद की समाधि की खोज में भारत आई थीं। स्वामी विवेकानंद से जुड़े स्थानों और तीर्थ स्थलों तक जाकर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट की। विवेकानंद सोसायटी के सदस्यों ने काल्वे को दक्षिणेश्वर और वैलूर मठ के दर्शन का प्रस्ताव  रखा। 

सोसायटी के सदस्यों ने उन्हें स्वामी रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की तस्वीर भेंट की, तो परमहंस की तस्वीर को माथे से लगाने के बाद स्वामी विवेकानंद की तस्वीर सीने से लगाते हुए कहा कि स्वामी जी, जीसस क्राइस्ट की तरह थे।

हरियाणा की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दूर करेगा गुड़-चना

अशोक मिश्र

एनीमिया हमारे देश की एक अहम समस्या है। इसके कारण भी कई हैं। गरीबी, भुखमरी और कुपोषण जैसे तमाम कारणों से देश की आधी आबादी यानी महिलाएं और कुछ पुरुष एनीमिया से पीड़ित पाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा कुछ और बढ़ जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि पांच में से एक गर्भवती महिला खून की कमी का शिकार होती है। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। खून की कमी की वजह से गर्भस्थ शिशु और महिला को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है। कई बार खून की कमी की वजह से गर्भवती महिला या बच्चे की मौत भी हो जाती है। हालांकि ऐसी घटनाएं हरियाणा नगण्य हैं, लेकिन राज्य में इस तरह का खतरा पूरी तरह दूर नहीं हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि तीन महीने पहले राष्ट्रीय स्तर पर जारी किए गए आंकड़ों में हरियाणा ने 2025-26 की पहली तिमाही में एनीमिया मुक्त अभियान में 85.2 अंक प्राप्त कर देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश है जिसने 88 अंक हासिल किए हैं। राज्य की इस सफलता के पीछे आयरन और फोलिक एसिड की भरपूर खुराक गर्भवती महिलाओं और सामान्य महिलाओं और लड़कियों को उपलब्ध कराना रहा है।  हरियाणा के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय लक्षित समूहों में आयरन और फोलिक एसिड के मजबूत कवरेज को जाता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा ने छह महीने से पांच साल तक के बच्चों में 90.5 फीसदी, 10 से 19 साल के आयु वर्ग और गर्भवती महिलाओं के कवरेज में 95 फीसदी लक्ष्य को हासिल किया। मगर स्तनपान कराने वाली माताओं में यह 65.9 फीसदी तक सीमित रहा। दरअसल, महिलाओं, बच्चियों और गर्भवती महिलाओं में खून की कमी का प्रमुख कारण पौष्टिक आहार का न मिलना माना जाता है, जो कि सही भी है। कुपोषण के चलते महिलाओं और लड़कियों में खून की कमी पाई जाती है, लेकिन यह भी सही है कि मध्यम आयवर्ग और अमीर घरों की महिलाओं में भी खून की कमी पाई जाती है। इसका कारण आधुनिक खानपान और जंकफूड का सेवन करना है। 

आधुनिक जीवन शैली अपनाने की वजह से लड़कियां और महिलाएं जंकफूड पर ज्यादा निर्भर रहने लगी हैं जिसकी वजह से वह एनीमिया की शिकार हो रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं महीने में तीन दिन 9, 10, 23 और माह के अंतिम दिन गुड़ और चना बांटने का फैसला किया है। गुड़ और चना शरीर में रक्त आपूर्ति का बेहतरीन माध्यम माना जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुड़ और चना वितरण का फैसला लिया है। राज्य सरकार की यह एक अच्छी पहल है। सामान्य और गर्भवती महिलाओं को वैसे भी गुड़-चने का सेवन करना चाहिए?

Monday, December 8, 2025

एकनाथ ने संत ज्ञानेश्वर की परंपरा को जिंदा रखा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

संत भानुदास के कुल में जन्मे एकनाथ महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत थे। दुर्भाग्य से बाल्यकाल में ही पिता सूर्य नारायण और मां रुक्मिणी की मौत हो गई थी। जब उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं मिला, तो वह बाल्यावस्था में ही गुरुकुल चले गए। एकनाथ बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। एकनाथ ने संत ज्ञानेश्वर की परंपरा को उच्च शिखर तक पहुंचाया। 

कहा जाता है कि जब एकनाथ गुरुकुल में रहते हुए थोड़े बड़े हुए तो गुरु ने उन्हें आश्रम का हिसाब-किताब रखने का दायित्व सौंप दिया। एकनाथ  बड़े खुशी मन से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने लगे। लेकिन एक दिन एक पैसे का फर्क हिसाब-किताब में आया, तो वह परेशान हो गए। रात में सोचते-सोचते उन्हें पता चल गया कि एक पैसे का फर्कक्यों आया। 

वह रात में ही यह बात बताने के लिए गुरु जी के पास पहुंच गए। गुरु ने उनकी बात सुनने के बाद कहा कि बेटा! तुम एक पैसे की भूल मिलने पर इतने प्रसन्न हो, जबकि वास्तविक जीवन में न जाने कितने भूलों के मायाजाल में फंसे हो। यह सुनकर एकनाथ के जीवन में वैराग्य जागा। और वह अपने गुरु से दीक्षा लेकर पर्वत पर तपस्या करने लगे। काफी दिनों बाद वह अपने घर के निकट रहने लगे। इसी दौरान उन्होंने विवाह भी किया और परिवार का दायित्व भी बड़ी अच्छी तरह से निभाया। उनके घर में नित्य भजन और पूजा पाठ जरूरत होता था। वह निर्धनों को अनाज भी बांटा करते थे। 

एक दिन इनके घर में चोर घुस आए  और सब कुछ उठाकर ले जाने लगे, तो उस समय भगवान की पूजा कर रहे एकनाथ ने चोरों से कहा, रुको भाई, इस सोने के कंगन को भी ले जाओ। शायद तुम्हें इसकी ज्यादा जरूरत है। यह सुनकर चोर शर्मिंदा हुए और चोरी ने करने का संकल्प लिया।

साइबर ठगी जैसे अपराधों में शामिल हो रहे उच्च शिक्षित युवा


अशोक मिश्र

आमतौर पर लोगों को इस बात का कम ही विश्वास होगा कि साइबर ठगी में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट युवक शामिल हो चुके हैं। दो अलग-अलग साइबर ठगी के आरोप में तीन युवक गिरफ्तार किए गए हैं। छानबीन करने पर पता चला कि यह तीनों युवक बीकॉम, एमएससी और एमकॉम डिग्रीधारी हैं। इसके साथ ही बल्लभगढ़ साइबर क्राइम की टीमों ने दो महिलाओं सहित चार लोगों को साइबर ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह सभी लोग क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर  ओटीपी हासिल कर लेते थे। 

इसके बाद खाते से सारा पैसा अपने खाते में ट्रांसफर कर देते थे। साइबर ठगी की घटनाएं प्रदेश में बढ़ती जा रही हैं। रोज एकाध खबर अखबारों में साइबर ठगी से संबंधित जरूर प्रकाशित होती है। साइबर ठगी जैसे तमाम अपराधों में शामिल होने वाले युवा वही होते हैं जिन्हें एक उम्र के बाद तक कोई नौकरी या रोजगार का अवसर प्राप्त नहीं होता है। जिस तरह से देश और प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई तरह के अपराधों का भी ग्राफ बढ़ता जा रहा है। 

अपराध और बेरोजगारी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि युवाओं को नौकरी या रोजगार के अवसर प्राप्त हो जाएं, तो निश्चित रूप से कई तरह के अपराधों पर अंकुश लग सकता है, जैसे साइबर ठगी, चेन स्नैचिंग, लूटपाट और आर्थिक अपराध में ज्यादातर बेरोजगार लोग ही शामिल पाए जाते हैं। वैसे भी देश में बेरोजगारी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। नवंबर में जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार अक्टूबर में भारत की बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत पर रही है। यही दर सितंबर में भी थी। 

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार, सितंबर में बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत, अगस्त में 5.1 प्रतिशत, जुलाई में 5.2 प्रतिशत और मई व जून में 5.6 प्रतिशत थी। मई 2025 में जारी पहले पीएलएफएस बुलेटिन के अनुसार, अप्रैल में बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत थी। अक्टूबर 2025 में कुल श्रमिक जनसंख्या अनुपात 52.5 प्रतिशत था, जो जून 2025 से लगातार बढ़ रहा है, ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में महिला कार्यबल में वृद्धि के कारण यह वृद्धि हुई है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं में कुल श्रमिक जनसंख्या अनुपात लगातार चौथे महीने लगातार बढ़ रहा है, जो जून 2025 में 30.2 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर 2025 में 32.4 प्रतिशत हो गया है। सरकारी, गैर सरकारी नौकरियों और रोजगार के अवसरों को बढ़ाकर साइबर ठगी से लेकर विभिन्न तरह के अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है। हरियाणा में भी बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दा है। वैसे सरकार बिना पर्ची और बिना खर्ची के सरकारी विभागों में युवाओं को नौकरियां देने का प्रयास कर रही है।

Sunday, December 7, 2025

जब मौत होनी ही है, तो डरना कैसा?


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जिस तरह किसी जीव का पैदा होना सत्य है, उसी तरह उस जीव की मृत्यु भी अटल सत्य है। जन्म और मृत्यु के बीच मनुष्य बहुत कुछ करता है, लेकिन जैसे ही मौत होती है, सब शून्य हो जाता है। एक बार की बात है। दो राजाओं की सेनाएं एक दूसरे से युद्धरत थीं। दोनों ओर के सैनिक मर रहे थे। हर ओर मृत्यु का तांडव था। घायल सैनिकों की चीख पुकार चारों ओर गूंज रही थी। 

उसी दौरान एक राजा ने देखा कि उस युद्ध क्षेत्र से एक फकीर बहुत निश्चिंत भाव से बिना डरे जा रहा है। उसके चेहरे पर शांति छाई हुई थी। राजा को बहुत आश्चर्य हो रहा था। उसने फकीर को अपने पास बुलाया और पूछा कि यहां इतना भीषण युद्ध चल रहा है और आपको कोई फर्कनहीं पड़ रहा है। आपको क्या मौत का भय नहीं है? 

फकीर राजा की बात सुनकर मुस्कुराया और बोला, महाराज! क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब देंगे? राजा ने हामी भर दी। फकीर ने पूछा कि महाराज! जब कोई सैनिक मर जाता है, तो क्या आपके पास कोई ऐसी शक्ति है कि आप उसे जिंदा कर दें। शरीर से आत्मा के निकलने के बाद क्या वह वापस आ सकती है? राजा ने तत्काल जवाब दिया कि नहीं, मेरे पास कोई शक्ति नहीं है। मरा हुआ सैनिक जिंदा नहीं हो सकता है। 

राजा का जवाब सुनकर फकीर ने कहा कि आपके सवालों का यही जवाब है। जब किसी की मृत्यु होने के बाद उसे जिंदा नहीं किया जा सकता है। जब हर किसी की मौत एक दिन होनी तय है, तो फिर मौत से कैसा भय। मौत होनी तय है, यह हम सब जानते हैं। तो फिर इस मौत से डरकर भागने का कोई मतलब नहीं है। मौत पर नियंत्रण न होने की वजह से ही मैं निश्चिंत हूं कि मौत जब होनी है, तो होगी ही। फिर डरना कैसा?

सौ मीटर वाले सरकारी नियम से अरावली क्षेत्र को भारी खतरा


अशोक मिश्र

गुजरात से दिल्ली तक आने वाली अरावली दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक है। अफसोस इस बात का है कि पिछले कई दशकों से अरावली पर्वत श्रेणियों को नेस्तनाबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब तो लगता है कि इस काम में सरकार भी शामिल हो गई है। नए सरकारी नियमों के मुताबिक अब अरावली पहाड़ी का मतलब तय जिलों में कोई भी जमीन होगी जिसकी ऊंचाई सौ मीटर से अधिक हो और अरावली रेंज में दो या दो से अधिक पहाड़ियों का समूह होगा जो एक दूसरे से पांच सौ मीटर के अंदर हों। 

इस नियम को लेकर पर्यावरणविदों में विरोध है। उनका कहना है कि इस नए नियम से अरावली के बहुत सारे हिस्से में जो सौ मीटर की ऊंचाई से कम होंगी, उनमें वैध या अवैध खनन का मौका मिलेगा। पिछले कई दशकों से अरावली क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन और पेटों की कटाई ने हालत को बदतर बना दिया है। पिछले पंद्रह साल में खनन माफिया ने आठ से दस किमी क्षेत्र में पूरी पहाड़ी को ही वीरान कर दिया। 2023 के दौरान राजस्थान में किए एक अध्ययन के मुताबिक 1975 से 2019 के बीच अरावली की करीब आठ फीसदी पहाड़ियां गायब हो गईं। 

अध्ययन में यह भी सामने आया है कि अगर अवैध खनन और शहरीकरण ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2059 तक यह नुकसान 22 फीसदी पर पहुंच जाएगा। स्थानीय निकायों से जुड़े कर्मचारियों और निजी कंपनियों ने शहर का कूड़ा-कचरा भी अरावली की घाटियों में डालकर उसे काफी नुकसान पहुंचाया है। प्रदेश में अरावली की 24990 हेक्टेयर भूमि ऐसी है जो बंजर हो चुकी है। इसमें फरीदाबाद की साढ़े तीन हजार हेक्टेयर भूमि भी शामिल है। सतत संपदा क्लाइमेट फाउंडेशन के संस्थापक हरजीत सिंह का मानना है कि सौ मीटर नियम से अरावली रेंज को काफी नुकसान पहुंचेगा। 

अरावली की पहाड़ियां उत्तर भारत को प्राणवायु प्रदान करती हैं। बरसात के दिनों में अपनी दरार और पेड़-पौधों के माध्यम से अरावली पर्वतमाला कुओं और जमीनों को जल प्रदान करती है। नए नियम से यह सब कुछ होना बंद हो जाएगा। इससे ईको सिस्टम में काफी बदलाव आएगा। इन्हीं मुद्दों के चलते ही कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने अरावली क्षेत्र में बनने वाले दुनिया के सबसे बड़े जंगल सफारी का मुद्दा सुप्रीमकोर्ट तक पहुंचा दिया है। मामला कोर्ट में पहुंच जाने की वजह से फिलहाल जंगल सफारी का काम रोक दिया गया है। 

अरावली क्षेत्र में होने वाले अवैध खनन में डायनामाइट, सड़कें और गड्ढों की वजह से तेंदुओं के आने जाने के रास्ते नष्ट हो रहे थे। यही नहीं, अरावली रेंज में आने वाले गांवों के सार्वजनिक और दिल्ली-एनसीआर की हरित ढाल भी नष्ट हो रही थी। नए नियम में सरकार को सुधार करना चाहिए।