-अशोक मिश्र
जी हां! यह आपको ही तय करना है कि आपको कैसा भारत चाहिए? नेता, अधिकारी, मंत्री-संत्री क्या कहते हैं, वे कैसा भारत चाहते हैं, यह सवाल कम से कम हम आपके लिए बहुत मायने नहीं रखता है। हमें आपको तय करना है िक हमें कैसा भारत चाहिए? वैसेे तो नेता, मंत्री, विधायक कभी नहीं कहेंगे कि भ्रष्टाचार युक्त भारत चाहिए। वे हमेशा खुले में भ्रष्टाचार का ही विरोध करेंगे, लेकिन जब भीतरखाने लेन-देन की बात आती है, तो उनका भ्रष्टाचार युक्त भारत के प्रति प्रेम जागृत हो जाता है। मैं आपको कम से कम बीसियों फायदे भ्रष्टाचार युक्त भारत के गिना सकता हूं। आप भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ ही फायदे गिनाकर चुप रहने को मजबूर हो जाएंगे।
सच पूछिए, तो जो मजा भ्रष्टाचार युक्त भारत में रहने में है, वह भ्रष्टाचार मुक्त भारत में कहां है? सोचिए, अगर भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो गया, तो लगे रहिए लोन की लाइन में। करते रहिए अपनी बारी आने का इंतजार। तब बैंक के मैनेजर से लेकर बाबू तक आपसे यही कहते फिरेंगे, अपनी बारी का इंतजार करें। पांच करोड़ बाइस लाख बत्तीस हजार सात सौ इक्यासवां नंबर है आपका। जब नंबर आएगा, आपको सूचित कर दिया जाएगा। करते रहिए पूरी जिंदगी इंतजार। इंतजार करते-करते आपका तो इस दुनिया से टिकट कटेगा, कटेगा, आपको नाती-पोते बूढ़े हो जाएंगे, तब भी नंबर नहीं आएगा। अभी आप पांच सौ का पत्ता पकड़ाइए, चाहे जिस तरह का लोन ले लीिजए। अरे घर-कुरिया से लेकर चूहे-बिल्ली पर भी लोन हाजिर है, बस आप उनके िहस्से का ख्याल रखें।
आप आज जो इतना खूबसूरत भारत, वाइब्रेंट भारत देख रहे हैं, उसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका भ्रष्टाचार की है। अगर भ्रष्टाचार नहीं होता, तो आपके इलाको एक भी बिजली का खंबा, एक भी नाली, एक भी सड़क, एक भी पार्क मयस्सर होता कि नहीं, कौन जानता है? खंबा भोपाल से आता, सीमेंट गुजरात से आती, जमीन खोदने वाला केरल से आता, तब कहीं जाकर आपके इलाके में एक खंबा गड़ पाता। सब कुछ नियम, कायदे, कानून के मुताबिक होना होता, तो आज भी आपके मोहल्ले में सड़क तो होती ही नहीं, आप भी नाव पर बैठकर मुख्य सड़क तक जाते। अगर राष्ट्रीय या प्रांतीय राजमार्ग वालों की मेहबानी से आपके जिले का नंबर आया होता तो। अभी तो दो किमी सड़क बनाने को जितना पैसा पास होता है, तो भले ही बीस फीसदी नेता, मंत्री, संत्री की जेब में जाता हो। बीस फीसदी ठेकेदार कमाता हो, दस-पांच फीसदी पैसा इधर-उधर खर्च होता हो। पचास-साठ फीसदी रकम में भले ही टूटी-फूटी, ऊबड़-खाबड़ सड़क बनती तो है, वरना अब तक इंतजार करते रहते कि अलीगढ़ तक सड़क बन गई है, अब आगरा का नंबर है।
जी हां! यह आपको ही तय करना है कि आपको कैसा भारत चाहिए? नेता, अधिकारी, मंत्री-संत्री क्या कहते हैं, वे कैसा भारत चाहते हैं, यह सवाल कम से कम हम आपके लिए बहुत मायने नहीं रखता है। हमें आपको तय करना है िक हमें कैसा भारत चाहिए? वैसेे तो नेता, मंत्री, विधायक कभी नहीं कहेंगे कि भ्रष्टाचार युक्त भारत चाहिए। वे हमेशा खुले में भ्रष्टाचार का ही विरोध करेंगे, लेकिन जब भीतरखाने लेन-देन की बात आती है, तो उनका भ्रष्टाचार युक्त भारत के प्रति प्रेम जागृत हो जाता है। मैं आपको कम से कम बीसियों फायदे भ्रष्टाचार युक्त भारत के गिना सकता हूं। आप भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ ही फायदे गिनाकर चुप रहने को मजबूर हो जाएंगे।
सच पूछिए, तो जो मजा भ्रष्टाचार युक्त भारत में रहने में है, वह भ्रष्टाचार मुक्त भारत में कहां है? सोचिए, अगर भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो गया, तो लगे रहिए लोन की लाइन में। करते रहिए अपनी बारी आने का इंतजार। तब बैंक के मैनेजर से लेकर बाबू तक आपसे यही कहते फिरेंगे, अपनी बारी का इंतजार करें। पांच करोड़ बाइस लाख बत्तीस हजार सात सौ इक्यासवां नंबर है आपका। जब नंबर आएगा, आपको सूचित कर दिया जाएगा। करते रहिए पूरी जिंदगी इंतजार। इंतजार करते-करते आपका तो इस दुनिया से टिकट कटेगा, कटेगा, आपको नाती-पोते बूढ़े हो जाएंगे, तब भी नंबर नहीं आएगा। अभी आप पांच सौ का पत्ता पकड़ाइए, चाहे जिस तरह का लोन ले लीिजए। अरे घर-कुरिया से लेकर चूहे-बिल्ली पर भी लोन हाजिर है, बस आप उनके िहस्से का ख्याल रखें।
आप आज जो इतना खूबसूरत भारत, वाइब्रेंट भारत देख रहे हैं, उसके पीछे सबसे बड़ी भूमिका भ्रष्टाचार की है। अगर भ्रष्टाचार नहीं होता, तो आपके इलाको एक भी बिजली का खंबा, एक भी नाली, एक भी सड़क, एक भी पार्क मयस्सर होता कि नहीं, कौन जानता है? खंबा भोपाल से आता, सीमेंट गुजरात से आती, जमीन खोदने वाला केरल से आता, तब कहीं जाकर आपके इलाके में एक खंबा गड़ पाता। सब कुछ नियम, कायदे, कानून के मुताबिक होना होता, तो आज भी आपके मोहल्ले में सड़क तो होती ही नहीं, आप भी नाव पर बैठकर मुख्य सड़क तक जाते। अगर राष्ट्रीय या प्रांतीय राजमार्ग वालों की मेहबानी से आपके जिले का नंबर आया होता तो। अभी तो दो किमी सड़क बनाने को जितना पैसा पास होता है, तो भले ही बीस फीसदी नेता, मंत्री, संत्री की जेब में जाता हो। बीस फीसदी ठेकेदार कमाता हो, दस-पांच फीसदी पैसा इधर-उधर खर्च होता हो। पचास-साठ फीसदी रकम में भले ही टूटी-फूटी, ऊबड़-खाबड़ सड़क बनती तो है, वरना अब तक इंतजार करते रहते कि अलीगढ़ तक सड़क बन गई है, अब आगरा का नंबर है।
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