Sunday, December 21, 2025

मेहनत करो, बीमारी ठीक हो जाएगी

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है। मेहनत नहीं करने से तमाम तरह के रोग पैदा हो जाते हैं। यही वजह है कि सदियों से हमारे देश में श्रम की महत्ता ग्रंथों में गाई गई है ताकि लोग श्रम करने से पीछे न रहें। इस बात को हमारे देश के ऋषि-मुनि बहुत पहले ही समझ गए थे। 

एक बार की बात है। किसी जगह पर एक व्यापारी रहता था। व्यापारी ने अपने जीवन में काफी धन कमाया था। उसका परिवार भी बहुत सुखी थी। उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी। वह सबके साथ मधुर व्यवहार करता था। लोग उसकी दयालु प्रवृत्ति की प्रशंसा भी करते थे। लेकिन कुछ साल बाद उसे एक समस्या होने लगी। उसे रात में नींद आनी बंद हो गई थी। 

नींद न आने की वजह से वह कुछ चिढ़चिढ़ा भी होता जा रहा था। यदि थोड़ी देर के लिए नींद आ भी जाती तो वह बुरे-बुरे सपने देखता था। उसने अपना इलाज भी बहुत कराया लेकिन फायदा नहीं हुआ। उन्हीं दिनों उसने सुना कि उसके शहर में एक संत आए हैं जिनके पास लोग समस्याएं लेकर जाते हैं और वह उसकी समस्याओं का हल बता देते हैं। एक दिन बड़ी हिम्मत करके व्यापारी भी संत के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताई। 

संत ने छूटते ही कहा कि तुम जैसे अपंग के साथ ऐसा ही होता है। व्यापारी तिलमिलाकर बोला, मैं अपंग कैसे हूं? मेरे सारे अंग तो काम कर रहे हैं। संत ने कहा कि अपंग वह भी होता है, जो अपना काम खुद नहीं करता है। तुम तो मेहनत ही नहीं करते हो, तो नींद कैसे आएगी। जाओ, दिन में इतनी मेहनत जरूर करो कि तुम थककर चूर हो जाओ। व्यापारी ने ऐसा ही किया। अब वह थकने के बाद बिस्तर पहुंचता, तो उसे गहरी नींद आ जाती थी। ठीक होने पर व्यापारी संत के पास गया और उसको धन्यवाद दिया।

पाला पड़ने से पहले किसान करें फसलों को बचाने का उपाय


अशोक मिश्र

इन दिनों पूरे उत्तर भारत में कोहरा पड़ने लगा है। इस कोहरे के कारण जहां रात और सुबह सड़क हादसों की घटनाएं बढ़ गई हैं, वहीं कोहरे के चलते रबी की फसलों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका पैदा हो गई है। आमतौर पर दिसंबर के आखिरी पखवाड़े से लेकर फरवरी के पहले पखवाड़े तक उत्तर भारत में जमकर पाला पड़ता है। रबी की फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान कोहरे, स्मॉग और पाले से होता है। कोहरे और स्मॉग के मुकाबले में पाला ज्यादा नुकसानदायक होता है। इससे फसल के पौधों की पत्तियों और तनों पर ओस की बूंदें जमा हो जाती हैं। यह जमी हुई बूंदें पत्तियों और तनों की कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। इसकी वजह से पौधा मरने लगता है। पत्तियां पीली पड़कर झड़ जाती हैं। 

हरियाणा में भी पिछले चार-पांच दिनों से कोहरा छाने लगा है। इसकी वजह से सब्जियों, दलहनी और तिलहनी फसलों के पौधों को नुकसान पहुंचने की आशंका पैदा हो गई है। आने वाले कुछ ही दिनों बाद प्रदेश में पाला गिरना भी शुरू हो सकता है। ऐसी अवस्था में यदि किसान पहले से ही पाले से फसलों की सुरक्षा के उपाय करें, तो होने वाले संभावित नुकसान को कम किया जा सकता है। किसानों को चाहिए कि वह गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव फूल आने से पहले फसलों पर करें, तो लगभग एक पखवाड़े के लिए फसलों की सुरक्षा पाले से हो सकती है। 

इस छिड़काव के चलते पाले की बूंदें पत्तियों और तनों को नुकसान नहीं पहुंचा पाती हैं। जरूरत महसूस हो, तो किसान इसी प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहरा सकते हैं। प्रदेश के किसान पाले और कोहरे को लेकर पहले से ही आशंकित हैं। पिछली फसल भी बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा के चलते काफी बरबाद हो गई थी। खेतों में पानी भर जाने की वजह से रबी फसलों की बुआई भी थोड़ी बहुत पिछड़ गई थी। ऐसी स्थिति में यदि पाला गिरता है, तो फसल को अधिक नुकसान होने की आशंका है। 

कुछ किसान यदि फूल आने से पहले पाले से फसलों को बचाने का उपाय नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें थायोयूरिया का छिड़काव तब करना चाहिए, जब आधी फसलों पर पुष्प आ गए हों। इससे नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी। इससे भी पहले किसानों को चाहिए, जब उन्हें पाला गिरने की आशंका हो, तो वह खेतों की हल्की सिंचाई कर दें। खेत में पानी या नमी होने पर फसलों पर पाले का असर बिल्कुल कम होगा। 

इससे फायदा यह होगा कि खेत का तापमान संतुलित रहेगा। इसके अलावा किसान बहुत मजबूरी में खेत के आसपास के कूड़ा-करकट को इकट्ठा करके जला सकते हैं। इससे धुंआ पैदा होगा और पत्तियों पर ओस की बूंदें जमा नहीं होंगी। हालांकि ऐसा करना कतई उचित नहीं होगा। धुंआ करने से प्रदूषण बढ़ेगा।

Saturday, December 20, 2025

पिता ने पुत्र को दिया यशस्वी होने का आशीर्वाद

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

विख्यात कवि और साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर को बंगाल में सांस्कृतिक नवजागरण का पुरोधा माना जाता है। वह बचपन से ही बैरिस्टर बनना चाहते थे। उनका नाम भी लंदन विश्वविद्यालय में लिखवाया गया था, लेकिन बाद में वह डिग्री लिए बिना ही भारत लौट आए थे। 

टैगोर के पिता काफी समृद्ध थे। टैगोर के भाई बहन सरकारी सेवा, साहित्य आदि क्षेत्रों में अपना नाम कमा रहे थे। उनकी मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। रवींद्रनाथ के पिता देवेंद्रनाथ घुमक्कड़ प्रवृत्ति के थे। उनका ज्यादातर समय घूमने-फिरने में ही लगा रहता था। देवेंद्रनाथ अपने बेटों की प्रतिभा के कायल थे। लेकिन उन्हें रवींद्रनाथ के प्रति कुछ ज्यादा ही स्नेह था। सन 1905 में उनके पिता अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे, तो एक दिन शाम को उन्होंने अपने बेटे रवींद्रनाथ से कहा कि तुम कोई भक्ति गीत सुनाओ जिससे मन को शांति का अनुभव हो। 

पुत्र रवींद्रनाथ ने अपने पिता की आज्ञा मानी और एक कविता पेश की। उस कविता में आत्मा का मौन, ईश्वर की शांति और समर्पण जैसे तमाम भावनाएं व्यक्त की गई थीं। रवींद्रनाथ ने कई गीत सुनाए और इतने तन्मय होकर सुनाए कि उनके पिता की आंखों में आंसू आ गए। यह देखकर रवींद्रनाथ की भी आंखें नम हो गईं। वह जान गए कि पिता से उनके विछोह का समय नजदीक है। 

पिता ने अपने पुत्र के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि आज तुमने इतना अच्छा गाया कि मन प्रफुल्लित हो गया। मैं तुमको ईनाम देना चाहता हूं। इतना कहकर उन्होंने रवींद्रनाथ को सौ रुपये का पुरस्कार दिया। उस समय सौ रुपये की बहुत बड़ी कीमत हुआ करती थी। पिता ने पुत्र को यशस्वी होने का आशीर्वाद दिया।

कानूनों का बेजा लाभ उठाने वाली महिलाओं को मिले कठोर सजा

अशोक मिश्र

दुष्कर्म किसी भी महिला के साथ किया गया सबसे जघन्य अपराध है। दुराचार का दंश उसे जीवन भर सालता रहता है। समाज भी उसी को दोषी मान बैठता है। हालांकि यह भी सही है कि समाज के बहुसंख्यक लोग पीड़िता को निर्दोष मानते हैं, लेकिन वह आरोपी के खिलाफ डटकर खड़े होने का साहस नहीं दिखा पाते हैं। यदि ऐसा हो, तो कोई भी किसी भी महिला या बच्ची के साथ छेड़छाड़, दुराचार या उसको ब्लैकमेल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। हमारे देश में ऐसे मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने केलिए कई सख्त कानून बनाए गए हैं। न्यायपालिका भी पीड़िता से सहानुभूति रखते हुए भी सबूत और गवाहों के बयान की रोशनी में न्याय करती है। 

लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि महिलाएं सख्त कानून का बेजा फायदा उठाने की कोशिश करती हैं। वह दुराचार का आरोप लगाकर निर्दोष व्यक्ति को भी सलाखों के पीछे भिजवा देती हैं। कई साल मुकदमा चलने और आरोपी के जेल में रहने के बाद पता चलता है कि महिला ने झूठा आरोप लगाया था। आरोपी तो निर्दोष था। इस प्रक्रिया में निर्दोष व्यक्ति कुछ साल तक जेल की सजा भुगतता है और समाज में उसकी बदनामी होती है, वह अलग। 

ऐसे ही दो मामले फरीदाबाद में सामने आए हैं। फरीदाबाद के जवाहर कालोनी में रहने वाली एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए अपने दोस्त पर चालीस बार विभिन्न होटलों में ले जाकर दुराचार करने का आरोप लगाया। ढाई साल तक चले मुकदमे में आरोपी युवक को जेल में ही रहना पड़ा। अदालत में महिला अपने साथ हुए दुराचार को साबित नहीं कर पाई। अदालत ने भी 14 लोगों की गवाही सुनने के बाद पाया कि पूरा मामला बेबुनियाद और फर्जी है। यहां तक कि लड़की की मां ने कथित पीड़िता के खिलाफ बयान दिया। ऐसा ही एक दूसरा मामला भी सामने आया। 

एक महिला ने एक युवक पर नशीला पदार्थ खिलाकर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अदालत में जब मामला गया, तो महिला अपने बयान से मुकर गई। अदालत ने युवक को आरोपों से बरी कर दिया। इस तरह की घटनाएं साबित करती हैं कि कानून का फायदा उठाकर कुछ महिलाएं पुुरुषों को बेवजह जेल भिजवा देती हैं। नारियों की सुरक्षा और उनके सम्मान की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का फायदा उठाकर किसी निर्दोष को जेल भिजवाने वाली महिलाओं को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि कोई ऐसा करने का साहस न करे। 

जो वास्तव में पीड़िताएं हैं, उनको जल्दी से जल्दी न्याय मिले, इसके लिए जरूरी है कि अदालतों में इस तरह के झूठे मामले न पहुंचें। अदालत पर ऐसे झूठे मुकदमे एक बोझ की तरह हैं और वास्तविक पीड़िताओं को न्याय मिलने मे ंदेरी का कारण बनते हैं।

Friday, December 19, 2025

नाच लोक नाट्य कला के जनक भिखारी ठाकुर

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

भिखारी ठाकुर को नाच लोक नाट्य कला का जनक माना जाता था। वह महिला पात्रों की भूमिकाएं पुरुषों से करवाते थे। 18 दिसंबर 1887 को बिहार के छपरा जिले के कुतुबपुर दियारा में जन्मे भिखारी ठाकुर के पूर्वज बाल काटने का पेशा करते थे। कहते हैं कि जब 1914 में अकाल पड़ा तो उन्हें मजबूरन अपना गांव छोड़कर पश्चिम बंगाल के खड़गपुर आना पड़ा। 

पहले से ही खड़गपुर में उनके चाचा और गांव के अन्य लोग रहते थे। थोड़ा घुमक्कड़ प्रवृत्ति का होने की वजह से वह कलकत्ता और पुरी भी गए। वहां उन्होंने सिनेमा, नौटंकी और रामलीला आदि देखने का अवसर मिला। नाट्यकला और काव्य रचना की प्रतिभा तो जैसे उनमें जन्मजात थी ही, बस एक अवसर की तलाश थी। नौटंकी और रामलीला आदि को देखने के बाद वह सोचने लगे कि यदि मैं इसमें अपना भाग्य आजमाऊं, तो शायद कुछ बात बन जाए। 

यही सोचकर वह अपने गांव लौट आए। गांव के लोगों ने जब यह सुना कि वह नौटंकी में काम करेंगे, तो  लोगों ने अपमानजनक शब्द कहे। भिखारी ठाकुर ने उनके अपमान जनक शब्दों को ही अपनी ताकत बना ली। वह गीत रचते, उन्हें लय में गुनगुनाते और जब मंच पर पहुंचते तो उसे एकदम जीवंत कर देते थे। उनके गीतों, नाटकों में दलित जातियों की व्यथा, स्त्री जाति के साथ होने वाले अन्याय का मुखर विरोध होता था। 

कहा जाता है कि गबरघीचोर की तुलना अक्सर बर्टोल्ट ब्रेख्त के नाटक द कॉकेशियन चॉक सर्कल से की जाती है। एक दिन वह भी आया जब भिखारी ठाकुर की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई। बिदेशिया, बेटी बेचवा, गबरघीचोर जैसी रचनाओं ने समाज को जागृत करने का काम किया।

अपनी गरिमा के अनुरूप आचरण नहीं करते शिक्षक


अशोक मिश्र

अध्यापक को भगवान से भी बड़ा दर्जा हमारे समाज में दिया गया है।  अध्यापक ही बच्चों को पढ़ा-लिखाकर एक सभ्य नागरिक बनाता है। सदियों से हमारे देश में अध्यापक ही समाज के प्रेरणास्रोत रहे हैं। हमारे देश के हजारों महापुरुषों और अवतारों ने गुरु की महिमा का बखानी है। जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन को सुधारने और महान बनाने में शिक्षक की भूमिका का बड़े गर्व के साथ उल्लेख किया है। वैसे भी दुनिया के हर समाज में शिक्षक को उच्च स्थान दिया गया है। लेकिन जब यही शिक्षक अपनी गरिमा के अनुरूप आचरण नहीं करते हैं, तो काफी दुख होता है। 

फरीदाबाद की जवाहर कॉलोनी स्थित सारण गांव के सरकारी स्कूल में गणित विषय के अध्यापक ने स्कूल बंक करने पर एक छात्र की बुरी तरह पिटाई की। मामले का खुलासा तब हुआ जब एक बच्चे द्वारा बनाया गया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें शिक्षक दो बच्चों की सहायता से बंक करने वाले छात्र के तलवों पर डंडों से बुरी तरह पिटाई कर रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले को स्वत:संज्ञान में लिया है। यही नहीं, प्रदेश में आए दिन कोई न कोई ऐसी घटना जरूर प्रकाश में आ जाती है जिससे वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो जाते हैं। इसी साल 22 अगस्त की बात है। 

पानीपत के जाटल स्थित एक निजी स्कूल में सात वर्षीय बच्चा होमवर्क करने नहीं लाया, तो प्रिंसिपल ने पहले उस बच्चे को खुद सजा दी। बाद में उस बच्चे को बस ड्राइवर को सौंप दिया। ड्राइवर ने बच्चे को ऊपर ले जाकर उल्टा लटका दिया और बुरी तरह पिटाई की। मामला खुला, तो काफी हो हल्ला मचा। अभिभावक सहित लोगों ने प्रिंसिपल और आरोपी ड्राइवर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। 

दिसंबर के पहले हफ्ते में फतेहाबाद की भूना ब्लाक में स्थित एक निजी स्कूल में मोबाइल लाने पर प्रिंसिपल ने दो छात्राओं की बुरी तरह पिटाई कर दी। सत्रह से उन्नीस साल की छात्राओं को प्रिंसिपल ने ताल घूंसों से पिटाई की। इस घटना का वीडियो वायरल होने पर स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की गई। 

प्रदेश में अक्सर होने वाली ऐसी घटनाएं बताती हैं कि शिक्षक अपनी मर्यादा की सीमा लांघ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि आज से  दो-तीन दशक पहले तक स्कूलों में छात्र-छात्राओं को मार नहीं पड़ती थी। मार पड़ती थी और फटकार भी लगाई जाती थी, लेकिन तब मार और फटकार का  उद्देश्य सुधारात्मक था। चरित्र और व्यक्तित्व विकास के लिए शिक्षक शारीरिक दंड दिया करते थे। उनके शारीरिक दंड का उद्देश्य व्यक्तिगत कुंठा, द्वेष या खीझ निकालना नहीं होता था। बच्चों की भलाई के लिए अध्यापक हर तरीका अपनाते थे, लेकिन अगर सजा भी देनी पड़ती थी, तो वह मानवीय होती थी।

Thursday, December 18, 2025

जनसाधारण की धरोहर है संगीत


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महात्मा गांधी की सभाओं और भजन संध्याओं में रामधुन गाकर उसे अमर कर देने वाले विष्णु दिगंबर पलुस्कर का जन्म 19 अगस्त 1872 में हुआ था। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत तो उच्चतम शिखर तक पहुंचाने में पलुस्कर का बहुत बड़ा योगदान रहा है। पलुस्कर में संगीत के मामले में अपार प्रतिभा थी। वह संगीत साधना को सबसे पवित्र मानते थे। 

वह मानते थे कि संगीत राज दरबारों और महफिलों की गुलाम बनने के लिए नहीं है। इसे जन साधारण के बीच लाना चाहिए। वह लोगों के बीच संगीत को प्रसिद्ध करना चाहते थे। यही वजह है कि जब भी महात्मा गांधी की सभा होती थी या दूसरे सामाजिक आयोजन होते थे, वह जरूर वहां जाते थे और अपने संगीत को प्रस्तुत करते थे। रघुपति राघव राजा राम जैसे भजन को पूरे भारत में लोकप्रिय बनाने का श्रेय पलुस्कर को ही है। 

यह भी सही है कि पलुस्कर ने धर्नाजन के लिए भी सार्वजनिक कार्यक्र किए। एक बार की बात है। उनका एक कार्यक्रम धर्नाजन के लिए आयोजित किया गया। आयोजकों की लापरवाही रही या उदासीनता, केवल पांच श्रोता ही संगीत कार्यक्रम में आए। आयोजक ने पलुस्कर को सुझाव दिया कि कार्यक्रम को स्थगित कर देना चाहिए। पलुस्कर ने कार्यक्रम स्थगित करने से इनकार कर दिया। 

उन्होंने कहा कि जिन पांच लोगों ने टिकट खरीदा है, उनको संगीत न सुनने देना, अपराध है। उन्होंने समय जाया किया है। उन्होंने उस कार्यक्रम बड़ी श्रद्धा और तन्मयता से गायन शुरू किया कि पांचों लोग भावविभोर हो उठे। कार्यक्रम के बाद उनके गायन की पूरे शहर में इतनी चर्चा हुई कि अगली बार जब उनका कार्यक्रम हुआ, तो भारी भीड़ जुटी। टिकटों के लिए लंबी कतारें लगी थीं।

हरियाणा विधानसभा सत्र हंगामेदार होने की संभावना

अशोक मिश्र

आज यानी 18 दिसंबर से हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने जा रहा है। कल ही बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक होगी जिसमें तय किया जाएगा कि विधानसभा सत्र कितने दिन चलेगा। वैसे उम्मीद जताई जा रही है कि हरियाणा विधानसभा का सत्र 22 दिसंबर तक चलेगा। इस बीत दो दिन अवकाश रहेगा। यदि 22 दिसंबर तक ही सत्र चलने की अवधि मानी जाए, तो केवल तीन दिन ही विधानसभा का सत्र चलेगा। इस बार विधानसभा सत्र में बड़े पैमाने पर हंगामेदार होने की उम्मीद जताई जा रही है। 

16 दिसंबर को ही कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाकर सरकार को घेरने की सारी तैयारियां कर ली हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस इस बार सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। विधानसभा सत्र के दौरान वोट चोरी के मुद्दे पर घमासान होना तय माना जा रहा है। वैसे भी संसद और संसद से बाहर कांग्रेस पार्टी वोट चोरी के मुद्दे पर बहुत ज्यादा मुखर है। 

कांग्रेस नेता तो अब हर बात में वोट चोरी का मुद्दा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। ऐसी हालत में वह विधानसभा सत्र के दौरान वोट चोरी के मुद्दा जरूर उठेगा।  इतना ही नहीं, सदन के भीतर खेल परिसरों में खेल सुविधाओं, सामग्री के अभाव, बदहाली जैसे मुद्दों पर काम रोको प्रस्ताव लाया जा सकता है। सदन में अरावली को बचाने, जलभराव मुआवजा, बढ़ते प्रदूषण, धान घोटाला, कानून व्यवस्था, मनरेगा, बढ़ते नशे, भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को ध्यानाकर्षण और अल्प चर्चा प्रस्तावों के माध्यम से उठाया जाएगा, ऐसी संभावना है। वैसे सरकार ने भी विपक्ष को जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। 

राज्य सरकार ने उन सभी मुद्दों पर पहले से ही काम पूरा कर लिया है जिसके सदन में उठने की संभावना है। जहां तक रोहतक के गांव लाखनमाजरा के बास्केट बाल खिलाड़ी हार्दिक की मौत का मामला है, राज्य सरकार पहले ही जिला खेल अधिकारी को निलंबित कर चुकी है। विभिन्न जिलों में खेल परिसरों का बड़े पैमाने पर सुधार करा रही है। कानून व्यवस्था को भी चुस्त-दुरुस्त बनाने और अपराधियों पर अंकुश लगाया जा चुका है। करीब नौ हजार से अधिक अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा जा चुका है। किसानों को भी कर्ज के ब्याज पर माफी देकर सरकार ने विपक्ष के सवालों को तर्कहीन करने की व्यवस्था कर ली है। 

कुछ दिनों पहले ही प्राकृतिक आपदा के चलते बरबाद हुई फसलों का मुआवजा भी किसानों को दिया जा चुका है। सत्र के दौरान पूछे जाने वाले सवालों के जवाबों की फाइल भी तैयार कर ली गई है। इस तरह शीतकालीन सत्र के दौरान एक दूसरे को शिकस्त देने की तैयारी सत्तापक्ष और विपक्ष ने कर ली है। बस, इंतजार है तो 18 दिसंबर का। सत्र के दौरान जोरदार बहस देखने को मिलेगी।

Wednesday, December 17, 2025

हरियाणा में टिकाऊ नहीं होते राजनीतिक दलों के गठबंधन

अशोक मिश्र

हरियाणा का मिजाज दूसरे राज्यों से कुछ अलग है। वैसे यहां की दोस्ती की भावना प्रसिद्ध है। दोस्ती के लिए यहां के लोग कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन राजनीतिक दलों का मिजाज जुदा है। हरियाणा में राजनीतिक दलों की एक दूसरे से दोस्ती यानी गठबंधन तो हुआ, लेकिन वह टिकाऊ नहीं रहे। पिछले विधानसभा चुनाव की ही बात की जाए, तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप कहने के लिए भले ही इंडिया गठबंधन में रहे हों, लेकिन हकीकत में दोनों ने एक दूसरे का साथ नहीं दिया। विधानसभा चुनाव के दौरान भी यही नाटक हुआ। 

कांग्रेस बेमन से आम आदमी पार्टी से बातचीत और सीटों के बंटवारे को लेकर नाटक करती रही। कभी आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल तुनक जाते, तो कभी राहुल गांधी का मन बातचीत को आगे बढ़ाने का नहीं होता था। अंतत: दोनों ने अपने-अपने कैंडिडेट खड़े किए और जो नतीजा आया, सबको मालूम है। वैसे राज्य में कांग्रेस हमेशा से अकेले चलने की आदी रही है। 

वह चाहे जीते, चाहे हारे, वह अकेले ही चुनाव लड़ना पसंद करती है। वहीं भाजपा, बसपा, इनेलो, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल जैसी पार्टियां एक दूसरे के सहारे ही आगे बढ़ी हैं। शायद यह पहला मौका है, जब भाजपा ने अकेले सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की है। इससे पहले उसकी सरकार बैसाखियों पर ही टिकती रही है। कई दल और उसके नेता चुनावों के दौरान एक दूसरे के साथ आए, लेकिन अपना हित और अपना ईगो साथ लेकर आए। एक दूसरे से जुड़े, लेकिन मन से नहीं जुड़े। प्रदेश में जब भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव हुए, भाजपा ने हविपा, इनेलो और जजपा से गठबंधन किया, लेकिन चुनाव बाद ही या एकाध साल तक ही यह गठबंधन चला। 

बाद में भाजपा ने अपना अलग रास्ता अख्तियार किया, तो हविपा, इनेलो और जजपा ने दूसरी राह पकड़ ली। कई बार तो इधर चुनाव खत्म, उधर दोस्ती यानी गठबंधन खत्म। इनेलो और बसपा के बीच अब तक तीन बार गठबंधन हुआ, लेकिन जल्दी ही खत्म हो गया। आज भले ही भाजपा के पास सबसे ज्यादा विधायक और सबसे ज्यादा संगठित विधायक हों, लेकिन सन 2014 से पहले भाजपा गठबंधन के ही सहारे आगे बढ़ती रही। पीएम नरेंद्र मोदी की देश में सुनामी आने के बाद ही भाजपा की किस्मत चमकी और लगातार तीन बार सत्ता पर काबिज होने में सफल रही है। 

लेकिन कांग्रेस एकला चलो रे की राह पर ही चलती रही। पिछले एक साल से कांग्रेस ने भी अपने संगठन की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है। उसके कार्यकर्ता थोड़े बहुत सक्रिय हुए हैं, लेकिन अभी इस मामले में उन्हें भाजपा से बहुत कुछ सीखना होगा। भाजपा की ही तरह कांग्रेस को भी हमेशा चुनावी मोड में ही रहना होगा, तभी फायदा होगा।

Tuesday, December 16, 2025

नासा के अंतरिक्ष अभियानों को दी नई दिशा

बोोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

एक सौ एक साल तक जिंदा रहने वाली क्रेओला कैथरीन जॉनसन की गणनाएं इतनी सटीक होती थीं कि अंतरिक्ष में जाने वाले यात्री तब तक यात्रा के लिए तैयार नहीं होते थे, जब तक उन्हें विश्वास न हो जाए कि कैथरीन ने गणना कर ली है। 26 अगस्त 1918 को वेस्ट वर्जीनिया में जन्मी कैथरीन की गणित में बचपन से ही रुचि थी। वह जब पांचवीं कक्षा में थीं, तब वह हाईस्कूल स्तर के गणित के सवाल हल कर लेती थीं। 

बचपन से ही पढ़ने में तेज कैथरीन ने 14 साल की उम्र में ही हाईस्कूल की परीक्षा पास कर ली थी। उन्हें लोग बड़े आदर के साथ मानव कंप्यूटर कहा करते थे। चार भाई बहनों में सबसे छोटी कैथरीन की मां शिक्षिका थीं और उनके पिता एक लकड़हारा, किसान और कारीगर थे।  अश्वेत परिवार में जन्मी कैथरीन की मां शिक्षा का महत्व समझती थीं। यही वजह है कि तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने पर बहुत ध्यान दिया। अमेरिका में उन दिनों रंगभेद की भावना बहुत प्रबल थी। 

अमेरिका के श्वेत नस्ल के लोग अश्वेतों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया करते थे। इसका शिकार कैथरीन भी होती रहीं। उनके साथ भेदभाव किया जाता था, लेकिन वह रंगभेदी व्यवहार का मुकाबला बड़ी हिम्मत और अपनी विलक्षण प्रतिभा से देती रहीं। लैंगिक भेदभाव की भी शिकार हुईं। अपनी प्रतिभा के बल पर 1953 को उन्होंने नासा में ज्वाइन किया और अंतरिक्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण अभियानों में सराहनीय योगदान किया। 

उनकी सेवाओं के लिए 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जॉनसन को प्रेसिडेंशियल मेडल आॅफ फ्रीडम से सम्मानित किया। 2016 में उन्हें नासा के अंतरिक्ष यात्री लीलैंड डी. मेल्विन द्वारा सिल्वर स्नूपी अवार्ड और नासा ग्रुप अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। 24 फरवरी 2020 में कैथरीन की मृत्यु हो गई।

प्रदूषण हो रहा जानलेवा, फिर भी पाबंदियों का हो रहा उल्लंघन


अशोक मिश्र

दिल्ली एनसीआर में ग्रैप चार की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों में रविवार को साढ़े चार सौ से ज्यादा वायु गुणवत्ता सूचकांक पहुंच गया था। यह स्थिति इंसानों के लिए काफी खतरनाक मानी जाती है। हवा में मौजूद कण धीरे-धीरे इंसान के लंग्स, हार्ट और ब्रेन पर असर डालते हैं। इसके शुरुआती संकेत अक्सर सामान्य थकान या सर्दी-खांसी जैसे लगते हैं, इसलिए लोग इन्हें इग्नोर कर देते हैं। लेकिन धीरे-धीरे यही प्रदूषक अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ा देते हैं। 

लोगों को पता भी नहीं चलता है। कई बार तो लोग इसे सामान्य मौसमी बीमारी समझकर टालते रहते हैं, लेकिन जब परेशानी बढ़ जाती है, तब उन्हें पता चलता है कि वह कितनी बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि वायु प्रदूषण को साइलेंट किलर कहा जाता है। दिल्ली एनसीआर सहित पूरे हरियाणा में वायु प्रदूषण काफी गंभीर स्थिति में पहुंच चुका है। ग्रैप चार की पाबंदियां लागू होने के बावजूद राज्य के कई शहरों में उल्लंघन किया जा रहा है। वैसे तो पूरे राज्य में भवन निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन कई शहरों में न केवल भवन निर्माण किए जा रहे हैं, बल्कि खुले में ही बालू, मौरंग और भवन निर्माण में काम आने वाली वस्तुएं रखी जा रही हैं। 

वैसे तो डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक लगा दी गई है, लेकिन सड़कों पर डीजल से चलने वाले वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। प्रदेश में पराली जलाने को लेकर पूरी तरह रोक है। खुशी की बात यह है कि पराली जलाने के मामले में काफी कमी आई है। वैसे भी अब खेतों में पराली रह भी नहीं गई है क्योंकि पराली का निस्तारण करके अब गेहूं की बुआई हो चुकी है, लेकिन इतना होने के बाद भी कभी-कभार पराली जलाने की घटनाएं प्रकाश में आ ही जाती हैं। सड़कों का कूड़ा जलाना हर मौसम में प्रतिबंधित रहा है, लेकिन वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाने के बावजूद कूड़ा जलाया जा रहा है। 

स्थानीय निकाय के कर्मचारी या जिन कंपनियों को कूड़ा उठाने का ठेका दिया गया है, कूड़े को जला देने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं। वे यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि इससे पर्यावरण प्रदूषित होगा और वे भी इसकी चपेट में आएंगे। इसके बावजूद वे लापरवाही करते हैं। विभिन्न शहरों में कबाड़ का काम करने वाले लोग शाम बीत जाने के बाद सड़क किनारे या किसी खाली जगह पर कबाड़ ले जाकर उसे आग के हवाले कर देते हैं। इसके बाद मौके से वह गायब  हो जाते हैं ताकि कानून की गिरफ्त में न आ सकें। प्रदूषण की स्थिति में सड़कों पर पानी के छिड़काव का नियम बनाया गया है, लेकिन कुछ ही शहरों में इस नियम का पालन किया जाता है।

Monday, December 15, 2025

वैशाली के सेनापति का सर्वोच्च बलिदान

 


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

बिहार में स्थित वैशाली को दुनिया के पहले गणतंत्र का जन्मदाता माना जाता है। कहते हैं कि महाभारत काल में इस नगर को विशाल नामक राजा ने बसाया था, जिसे कालांतर में वैशाली के नाम से जाना गया। इस नगर का संबंध जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर स्वामी महावीर और महात्मा बुद्ध से भी है। स्वामी महावीर का यहीं जन्म हुआ था और महात्मा बुद्ध ने यहां अपने जीवन का अंतिम प्रवचन दिया था और अपने निर्वाण की घोषणा की थी। 

एक बार की बात है। प्राचीन काल में वैशाली महानगर में पूरे उत्साह के साथ राज्य महोत्सव मनाया जा रहा था। राजा से लेकर प्रजा तक महोत्सव में भाग ले रही थी। उसी समय पड़ोसी राज्य के सेनापति ने वैशाली पर आक्रमण कर दिया। अचानक हुए हमले की वजह से वैशाली वालों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। वह हार गए। शुत्र सेनापति ने वैशाली की प्रजा पर जुल्म करना शुरू कर दिया। 

इसे देखकर वैशाली का सेनापति बहुत विचलित था। वह शत्रु सेनापति के पास जाकर बोला कि आप हमारी प्रजा पर जुल्म करना बंद कर दीजिए। शत्रु सेनापति ने सामने बह रही नदी की ओर संकेत करते हुए कहा कि नदी में जितनी देर तक आपका सिर डूबा रहेगा, तब तक प्रजा पर कोई अत्याचार नहीं होगा। वैशाली का सेनापति नदी में कूद गया। काफी देर हो गई, सेनापति बाहर नहीं आया। 

तब तक प्रजा पर अत्याचार रुका रहा। शत्रु सेनापति ने गोताखोरों को पानी में उतारा। गोताखोरों ने लौटकर बताया कि सेनापति ने नदी तल में एक बड़े से चट्टान को अपनी बाहों से जकड़ रखा है। अपनी प्रजा के प्रति इतना समर्पण देखकर शत्रु सेनापति का हृदय द्रवित हो गया। वह तुरंत अपने राज्य वापस लौट गया।

छाने लगा कोहरा, तेज रफ्तार गाड़ी चलाने से बचने में भलाई



अशोक मिश्र

उत्तर भारत में अब कोहरे की चादर छाने लगी है। रविवार की सुबह कोहरे की वजह से दृश्यता दस मीटर से भी काफी कम रही। इसका नतीजा यह हुआ कि पूरे हरियाणा में पचास से अधिक वाहन आपस में टकरा गए। इन हादसों में दो लोगों की मौत हो गई। अकेले रोहतक में ही अलग-अलग जगहों पर चालीस वाहन आपस में टकराए हैं। वायु प्रदूषण की वजह से दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर पूरी जनवरी तक मौसम खराब रहता है। कभी घना कोहरा छाया रहता है, तो कभी पाला गिरने लगता है। ऐसी स्थिति में सड़कों पर वाहन चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। 

रास्ता ठीक से दिखाई न देने की वजह से वाहनों में आमने-सामने टक्कर हो जाती है। कई बार तो वाहन सड़क छोड़ देते हैं जिसकी वजह से हादसे हो जाते हैं। सड़क में किनारे चलने वाले लोग भी हादसे का शिकार हो जात्ो हैं। आमतौर पर यह भी देखने में आता है कि कोहरा और धुंध के बावजूद कुछ वाहन चालक धीमी गाड़ी चलाना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। पिछले साल भी सर्दियों में हरियाणा में कई ऐसी घटनाएं वाहनों की तेज रफ्तार की वजह से हुई थीं। इस तरह के हादसों ने कई लोगों की जान ले ली थी। 

जब वातावरण में कोहरा और स्माग छाया हो, तो वाहन चालकों को सावधानी बरतनी चाहिए। मौसम में बदलाव के दौरान धुंध के कारण कई बार छोटे-बड़े सड़क हादसे घटित होते हैं, जिन्हें केवल थोड़ी सी सावधानी से रोका जा सकता है। वे यातायात नियमों का पालन करें और पूरी सतर्कता के साथ वाहन चलाएँ। कोहरे में वाहन चलाते समय सबसे महत्वपूर्ण है कि वाहन चालक सड़क के बाएं किनारे को ध्यान में रखते हुए वाहन को नियंत्रित गति में चलाएं। कोहरे में दृश्यता कम हो जाती है, इसलिए आगे चल रहे वाहन से उचित दूरी बनाए रखना आवश्यक है। 

चालक को चाहिए कि वह हाई बीम का प्रयोग कतई न करें, क्योंकि इससे रोशनी कोहरे में बिखर जाती है और दृश्यता और भी कम हो जाती है। इस कारण सामने से आने वाले वाहन चालक को परेशानी होती है और उसे सामने देखने में परेशानी हो सकती है। इसके स्थान पर लो बीम पर हेडलाइट रखना चाहिए जिससे आगे का रास्ता बेहतर दिखाई दे। सामने वाले वाहन चालक को भी आपकी गाड़ी स्पष्ट दिख सकेगी। 

अगर वाहन हाईवे पर चल रहा है, तो चालक को चाहिए कि वह फीली लाइन को फॉलो करे ताकि वह सड़क दिशा न भटके। यदि सामने मोड़ हो, तो चालक को बहुत पहले से ही इंटीकेशन देना चाहिए ताकि सामने से आने वाला समझ जाए कि आप भी अपनी साइड में मोड़ने वाले हैं। कोहरे के दौरान जरूरत न होने पर दूसरे वाहन को ओवरटेक करने से बचना चाहिए। इससे हादसे की आशंका बनी रहती है।

Sunday, December 14, 2025

जब चींटी सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सफलता का कोई निश्चित सूत्र या फार्मूला नहीं होता है। लेकिन यह तय है कि यदि व्यक्ति में लगन और हिम्मत हो, तो वह कठिन से कठिन काम करने में सफल हो सकता है। भले ही उसे सफलता मिलने में कुछ समय लगे। यह प्रसंग एक मूर्तिकार की सफलता से जुड़ा हुआ है। प्रसंग यह है कि किसी राज्य का एक दिन शिकार के लिए निकला।

 जंगल में उसे एक हिरन दिखा, तो वह उसका शिकार करने के लिए उसकी ओर चला गया। हिरन को भी राजा के आने की आहट मिल गई तो वह जंगल की ओर भागा। राजा ने हिरन का पीछा किया। हिरन का पीछा करते-करते राजा पहाड़ियों के नजदीक जा पहुंचा। 

वहां पहुंचने पर उसने देखा कि एक मूर्तिकाल पत्थर की मूर्तियां बना रहा था। उसने मूर्तियां बहुत अच्छी बनाई थीं। राजा ने उस मूर्तिकार से कहा कि मेरी भी एक अच्छी सी मूर्ति बना दो। मूर्तिकार ने विनम्रता से कहा कि आपकी मूर्ति बनाना मेरा सौभाग्य होगा, लेकिन कई दिन लग जाएंगे। राजा तैयार हो गया। मूर्तिकार राजा की मूर्ति बनाता, लेकिन अगले ही दिन तोड़ देता। वह कहा करता था कि मूर्ति अच्छी नहीं बनी है। इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन निराश होकर मूर्तिकार अपनी मूर्तियों के पास बैठ गया। 

उसने देखा कि एक चींटी अनाज का एक दाना लेकर दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही है। वह बार-बार गिरती है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ती है। कई बार के प्रयास के बाद चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ने में सफल हो गई। मूर्तिकार ने सोचा कि जब यह छोटी सी चींटी कई बार के प्रयास में सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं सफल हो सकता हूं। फिर उसने राजा की लगन से बहुत अच्छी मूर्ति बनाई जिसे देखकर राजा बहुत खुश हुआ।

लालची प्रवृत्ति के कारण लोग साइबर ठगी का होते हैं शिकार


अशोक मिश्र

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है,  लोगों का जीवन सरल होता जा रहा है। यह सही है कि टेक्नोलॉजी से देश और समाज को बहुत फायदे हैं। जीवन में सरलता और ठहराव आता जा रहा है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। जब से नई-नई टेक्नोलॉजी के चलते बैंकिंग प्रणाली आसान हुई है, लोगों को अब छोटे-मोटे कामों के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं, वहीं, कुछ चालाक लोगों ने टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर अपराध भी करना शुरू कर दिया है। 

साइबर ठगी भी इसका सबसे आसान तरीका है। देश के विभिन्न इलाकों में छिपे बैठे साइबर ठग किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। पिछले दिनों ही हरियाणा पुलिस ने पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह लोग ह्वाट्सएप पर लोगों से संपर्क करके उन्हें एक ऐप डाउनलोड करने को कहते थे। ऐप डाउनलोड होने के बाद साइबर अपराधी अपने शिकार को शेयर बाजार में पूंजी निवेश करने के लिए उकसाते हैं। शिकार जब अपराधियों पर विश्वास करने लगता है, तो पहले छोटी-छोटी रकम पूंजीनिवेश करने को कहते हैं। ऐप पर मुनाफा होता हुआ भी दिखाते हैं। जब उनका टारगेट यानी शिकार पूरी तरह मुट्ठी में आ जाता है, तब वह भारी भरकम रकम निवेश करने के लिए कहते हैं। 

जब पूंजी निवेश हो जाता है, तो मुनाफा दिखाने वाला ऐप बंद हो जाता है और साइबर ठग अपने मोबाइल स्विच आफ करके बैठ जाते हैं या फिर सिम ही बदल लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी तरह साइबर ठगों के संपर्कमें आ जाए, तो वह उसे धमकाते भी हैं। हरियाणा में साइबर ठगी के मामले पिछले कई वर्षों से बढ़ते ही जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन इन पर लगाम लगाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन बार-बार लोगों को साइबर ठगों के मामले में जागरूक कर रही है, लेकिन उसका लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि लोग बिना मेहनत किए ढेर सारा पैसा कमाने के फेर में पड़ जाते हैं। अपनी लालची प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के चंगुल में फंसते हैं। 

जब अपनी जमा पूंजी लुटा चुके होते हैं, तब वह पुलिस की शरण में भागते हैं। वैसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर पुलिस प्रशासन साइबर अपराधियों सहित सभी प्रकार के अपराधियों को गिरफ्तार करने में पूरे मन से लगी हुई है। यही वजह है कि हरियाणा पुलिस को 2024 में साइबर धोखाधड़ी रोकने के मामले में देश में पहला स्थान मिला था। हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों से लगभग 268.40 करोड़ रुपये बचाए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 76.85 करोड़ रुपये था। यह राशि 2023 की तुलना में 2024 में बचाई गई राशि तीन गुना और 2022 की तुलना में पांच गुना अधिक है।

Saturday, December 13, 2025

तानपुरा ही खराब हुआ है, तेरे सुर तो ठीक हैं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगर इंसान में लगन हो, तो वह अपनी प्रतिभा और लगन से वह सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही जीवन प्रसिद्ध संगीत साधिका गंगूबाई हंगल का रहा। गंगूबाई हंगल का जन्म कर्नाटक राज्य में 5 मार्च 1913 को एक केवट परिवार में हुआ था। उनके परिवार में देवदासी परंपरा थी। बचपन में गंगूबाई हंगल ने बहुत जातीय अपमान सहा। 

लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे। गरीबी अलग ही उनकी परीक्षा ले रही थी, लेकिन संगीत ने उन्हें समाज द्वारा किए गए अपमान से लड़ने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भरपूर सहायता की। शुरुआत में जब उन्होंने गायिकी शुरू की, तब समाज के लोगों ने गाने वाली कहकर ताने मारे, उपहास किया। एक बार की बात है, जब वह बचपन में तानपुरे पर गाने का अभ्यास कर रही थीं, तो तानपुरा बरसात में भीग जाने की वजह से खराब हो गया। नया तानपुरा खरीदने के पैसे भी नहीं थे। 


उन्होंने अपनी मां अंबाबाई से कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, रियाज कैसे करूं। अंबाबाई ने समझाते हुए कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, तो क्या हुआ। तेरा सुर तो ठीक है। इसके बाद गंगूबाई हंगल ने पुराने तानपुरे को किसी तरह ठीक-ठाक करके रियाज किया। धीरे-धीरे गंगूबाई हंगल की ख्याति बढ़ने लगी। लोग उनकी गायकी के मुरीद भी होने लगे। 

समय का फेर देखिए, बचपन में जातीय अपमान सहने वाली गंगूबाई को राजकीय सम्मान से नवाजा जाने लगा। गंगूबाई ने अपनी गायिकी को एक मुकाम तक पहुंचाया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, तानसेन पुरस्कार, कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

प्रदूषण को शिकस्त देने की योजना खरीदी जाएगी पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें

अशोक मिश्र

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। कल ही बल्लभगढ़ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। धुंध और धुएं की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गुरुग्राम में हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं। इन सब स्थितियों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने चार जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला किया है। 

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की वजह से कार्बन का उत्सर्जन पर रोक लगेगी।  इन जिलों की सड़कों पर दौड़ने वाली डीजल संचालित बसें बाहर कर दी जाएंगी। इन बसों की वजह से भी कार्बन उत्सर्जन होता है। पिछले साल नवंबर में सीएम नायब सिंह सैनी ने वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की थी। बैठक के दौरान वर्ल्ड बैंक अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 2498 करोड़ रुपये का ऋण दिया जाएगा। अब वर्ल्ड बैंक ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 305 मिलियन डॉलर यानी 2753 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। इसी राशि में से 1513 करोड़ रुपये खर्च करके प्रदेश के चार जिलों के लिए पांच सौ बसें खरीदी जाएंगी। 

यही नहीं, विभिन्न कार्यों के लिए 564 करोड़ रुपये हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिए जाएंगे ताकि वह राज्य वायु गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को अपग्रेड कर सकें और प्रदेश में 12 मिनी लैब की स्थापना कर सकें। हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इस पैसे का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले कार्योंं में करेगा। हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना से एक उम्मीद पैदा हुई है कि निकट भविष्य में हरियाणा की वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार होगा। जहां तक वर्तमान हालात की बात है। 

हरियाणा धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि अस्पतालों में वायु प्रदूषण के चलते बीमार होने वालों की भरमार होती जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस, हृदय, त्वचा और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग पहुंच रहे हैं। हरियाणा में पहले से बीमार मरीजों की हालत गंभीर होती जा रही है, वहीं ऐसे रोगों से पीड़ित नए मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। 

ऊपर से इन दिनों सरकारी अस्पतालों में डाक्टर हड़ताल पर हैं। इससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार दावा कर रही है कि ग्रैप नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय निकायों को लगा दिया गया है, लेकिन हकीकत उससे जुदा है। प्रदेश के कई जिलों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है। खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। 

Friday, December 12, 2025

नामू! तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराष्ट्र के सतारा जिले के नरसी बामनी गांव में सन 1270 में पैदा हुए नामदेव बचपन से ही बहुत संवेदनशील थे। उनकी मां उन्हें नामू कहकर बुलाती थी। उनके पिता दामाशेटी और मां गोणाई देवी बिट्ठल के परमभक्त थे। माता-पिता की बातों का प्रभाव नामदेव पर भी पड़ा। वह बिट्ठल के भक्त बन गए। 

उनके गुरु महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर थे। उन्होंने बह्मविद्या को लोक सुलभ बनाकर उसका महाराष्ट्र में प्रचार किया तो संत नामदेव जी ने महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक उत्तर भारत में 'हरिनाम' की वर्षा की। नामदेव का उल्लेख गुरुग्रंथ साहिब और कबीरदास के पदों में मिलता है। 

एक बार की बात है। नामदेव बाहर से आए, तो उनकी धोती में खून लगा हुआ था। उनकी मां गोणाई देवी उस खून को देखते ही घबरा उठीं। उन्होंने तत्काल नामदेव से पूछा, नामू, तेरी धोती में यह खून कहां से लग गया? क्या तू कहीं गिर गया था? क्या तुझे कोई चोट लगी है? यह सुनकर नामदेव ने कहा कि मां, मैं कहीं गिरा नहीं था। मैंने अपनी जांघ की खाल खुद उतारी है। तब मां ने कहा कि तू निरा बेवकूफ है। कोई अपनी खाल उतारता है। तेरा यह घाव पक सकता है। 

तब नामदेव ने कहा कि मां कल तूने पेड़ की छाल और टहनियां काटकर लाने को कहा था। मैंने सोचा कि इन पेड़ों में भी जान होती है। इनकी टहनी काटने या छाल छीलने पर इन्हें भी दर्द होता होगा। तो मैंने अपनी जांघ की चमड़ी छीलकर देखा कि कितना दर्द होता है। तब गोणाई देवी ने कहा कि तू तो बात एकदम सही कहता है। आज के बाद तुझे ऐसा काम नहीं सौंपूंगी। तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा। मां का कथन बाद में एकदम साबित हुआ। नामदेव महाराष्ट्र के बहुत बड़े संत बने।

बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए बड़ी राहत है ब्याज माफी योजना

अशोक मिश्र

सैनी सरकार ने किसानों और मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए कई फैसले लिए हैं। इसी साल हरियाणा के कई जिलों
में आई बाढ़ के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ था। दादरी, सिरसा, हिसार और भिवानी जैसे जिलों में बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ था। बाढ़ की वजह से न केवल खड़ी फसल बरबाद हो गई थी, बल्कि खेत में नमी रह जाने की वजह से आगामी फसल भी बोने में काफी दिक्कत आई थी। 

गेहूं आदि फसलों की बुवाई भी काफी पिछड़ गई थी। ऐसी स्थिति में किसानों की आर्थिक दशा काफी खराब हो गई थी। खरीफ सीजन में पांच लाख से अधिक किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 31 लाख एकड़ फसल खराब हो जाने का दावा किया था। हालांकि जब क्षतिपूर्ति पोर्टल पर किए गए दावों की जांच की गई, तो कुल 53821 किसानों की फसल ही  खराब हुई पाई गई। 

बाकी किसानों के खेतों में बाढ़ का पानी भरा जरूर था, लेकिन एकाध दिन बाद ही पानी निकल गया था। ऐसी स्थिति में किसानों ने सोचा कि उनकी फसल बरबाद हो गई है और उन्होंने पोर्टल पर दावा भी कर दिया। राज्य सरकार ने जिन किसानों की फसल बरबाद हुई थी, उन 53 हजार से अधिक किसानों के लिए 116 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी कर दी गई है। यही नहीं, राज्य सरकार ने प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों की ओर से किसानों और मजदूरों पर बकाया कर्ज के निपटारे के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की है। अभी तक प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों का किसानों और मजदूरों पर 3400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 

इस योजना के तहत छह लाख 81 हजार से अधिक किसानों और मजदूरों का 2,266 करोड़ रुपये ब्याज माफ किया जाएगा। अगर प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से कर्ज लेने वाले किसान और मजदूर 31 मार्च 2026 तक कर्ज की मूल राशि एकमुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका ब्याज माफ कर दिया जाएगा। पैक्स यानी प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से किसानों ने फसली ऋण, काश्तकार ऋण और दुकानदारी के लिए ऋण ले रखे हैं। प्रदेश में 2.25 लाख किसानों की कर्ज लेने के बाद  मौत हो गई है। ऐसे किसानों के वारिस अगर कर्ज की राशि एक मुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका भी ब्याज माफ कर दिया जाएगा।

 कर्ज लेने के बाद मर जाने वाले किसानों पर नौ सौ करोड़ रुपये बकाया है। पैक्स का ऋण चुकाने के एक महीने बाद किसान और मजदूर नई फसल या दुकान के लिए तीन किस्तों में कर्ज ले सकते हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश के बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोलकर बहुत बड़ी राहत प्रदान की है। यह राहत किसानों को दोबारा उठ खड़े होने में काफी सहायक होगी। बाढ़ के चलते बरबाद हो चुके किसानों के लिए नया जीवनदान की तरह है ब्याज माफी योजाना।

Thursday, December 11, 2025

मैं तो घुमक्कड़ हूं, मुझे संगीत से क्या लेना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

चीन में महान संगीतकार शी कुआंग का जन्म लगभग 572 ईसा पूर्व माना जाता है। वह चीन के जिन शासक के शासनकाल के सबसे महान संगीतकारों में गिने जाते थे। उन्होंने चीन के दस सर्वश्रेष्ठ टुकड़ों में से एक ‘ह्वाइट स्नो इन अर्ली मार्निंग’ की रचना की थी। उनके बारे में कई तरह की कहानियां चीन में प्रचलित हैं। 

शी कुआंग के बारे में कहा जाता है कि जब तक वह जिन शासक के मुख्यमंत्री रहे, तब तक शासन बहुत अच्छी तरह से चलता रहा। संगीतकार शी कुआंग के ही समकालीन थे महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस। उस समय दर्शन में कन्फ्यूशियस की पूरे चीन में धूम मची हुई थी। लोग कन्फ्यूशियस का बड़ा आदर करते थे। 

एक बार की बात है। एक व्यक्ति ने कन्फ्यूशियस से कहा कि मैं आपको शी कुआंग से मिलवाना चाहता हूं। वह चीन के बहुत बड़े संगीतकार हैं। उनका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है। उस व्यक्ति की बात सुनकर कन्फ्यूशियस हंसे और बोले, मैं उनसे मिलकर क्या करूंगा। मैं तो एक घुमक्कड़ प्रवृत्ति का आदमी हूं। मैं एक जगह पर टिकता ही नहीं हूं और वैसे भी मेरी संगीत में कोई रुचि भी नहीं है। 

लेकिन कन्फ्यूशियस उस व्यक्ति की बात टाल नहीं पाए। वह शी कुआंग से मिलने को तैयार हो गए। अपने-अपने क्षेत्र में महान शख्सियतों की मुलाकात हुई तो दोनों एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए। शी कुआंग ने उन्हें चीन का पवित्र संगीत शाओ सिखाया। अब तो कन्फ्यूशियस की दिनचर्या ही बदल गए। वह हर समय संगीत में ही रमे रहते थे। अब तो संगीत उनके सिर चढ़कर बोलने लगा। एक दिन वह अपने अनुयायी से बोले, मुझे नहीं मालूम था कि संगीत में इतनी शक्ति होती है।

मानवता को शर्मसार करने वाले लोग मानव समाज के लिए खतरा


अशोक मिश्र

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं जिससे मानवता भी शर्मसार हो उठती है। आसपास रहने वाला व्यक्ति कब किसी मासूम बच्ची के लिए हैवान साबित हो, कोई नहीं कह सकता है। अंकल..अंकल कहकर आगे पीछे घूमने वाली बच्चियां अंकल की दरिंदगी का शिकार हो जाएं, नहीं कहा जा सकता है। ऐसा ही हुआ बीतों दिनों फरीदाबाद में। फरीदाबाद के पल्ला थाना की हरकेश नगर कालोनी में रहने वाले एक व्यक्ति ने पांच साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने का लालच दिया और उसे अपने साथ ले जाकर एक झाड़ी में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। 

कालोनी में एक व्यक्ति ने पच्चीस कमरे बनवाकर उसे किराये पर उठा रखा है। इसी एक कमरे में आरोपी भी रहता है। बच्ची उस आरोपी को अंकल कहती थी। रोज मिलना जुलना था। बस, इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने बच्ची को फुसलाया और झाड़ी में ले जाकर गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं, जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं आई, तो नराधम लोगों के साथ मिलकर उसे खोजने का नाटक भी करता रहा। बच्ची के मां-बाप को दिलासा भी देता रहा कि जल्दी ही बच्ची मिल जाएगी। 

यहीं कहीं खेल रही होगी। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने टीमें बनाकर बड़े पैमाने पर खोजबीन शुरू की, लोगों के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को चेक किया, तब जाकर पता लगा कि कौन उस बच्ची को साथ ले गया था। पुलिस ने शराब के नशे में धुत आरोपी को कमरे में सोते हुए पकड़ा। पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि हैवान ने उस बच्ची से दुष्कर्म किया है या नहीं। 

मानवता को शर्मसार करने वाली दूसरी घटना महेंद्रगढ़ के बचीनी गांव घटी। यह पांच साल की मासूम बच्ची घर से लस्सी लेने निकली थी। रास्ते में उसे कैंटर ने कुचल दिया। घायल बच्ची जब सड़क पर तड़प रही थी, तो कैंटर चालक ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने का आश्वासन देकर अपने कैंटर में बिठा लिया और पच्चीस किमी दूर ले जाकर उसे झाड़ियों में फेंक दिया। बच्ची की मौत झाड़ियों में फेंके जाने से पहले हो गई थी। बाद में सीसीटीवी फुटेज और जीपीएस के सहारे आरोपी चालक गिरफ्तार किया गया। 

समाज में शराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हुए हैवान कब किसी बच्ची, महिला या बच्चे को अपना शिकार बना लें, कहा नहीं जा सकता है। इन सभी घटनाओं को देखते हुए ही अब किसी पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। पड़ोसी तो क्या, अब लोग अपने नाते-रिश्तेदारों पर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि समाज में सभी बुरे हैं। लेकिन इसी समाज में  कोई ऐसा भी हो सकता है जो विश्वास लायक न हो। सौ इंसानों में से अगर दस लोग भी दूषित मानसिकता के हों, तो वह नब्बे लोगों के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं।

Wednesday, December 10, 2025

राजन! मुझे विनम्रता और सुई दे दो

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अहंकार व्यक्ति की गरिमा और व्यक्तित्व का विनाश करता है। अहंकारी व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता है। अगर राजा या कोई वरिष्ठ पदाधिकारी भी अहंकारी हो जाए, तो लोग भले ही उसके सामने कुछ न कहें, लेकिन पीठ पीछे उसकी बुराई ही करते हैं। किसी राज्य का राजा बहुत अहंकारी था। वह अपने आगे किसी को गिनता नहीं था। एक बार उसके राज्य में एक संत आया। 

उस संत की ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थी। जो भी एक बार संत से मिलता वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था। राजा तक उसकी ख्याति पहुंची, तो राजा ने संत को प्रभावित करने के लिए एक कीमती तलवार उपहार के रूप में लिया और संत से मिलने पहुंच गया। संत के पास पहुंचने पर राजा ने कहा कि यह भेंट मैं आपके लिए लेकर आया हूं। 

संत ने राजा का उपहार देखकर कहा कि राजन! मैं इस उपहार को लेकर क्या करूंगा? यह मेरे किसी काम की नहीं है। मैं तो संत हूं। मेरे लिए इस उपहार की कोई उपयोगिता नहीं है। पलभर सांस लेने के बाद संत ने आगे कहा कि यदि राजन, मुझे कुछ देना ही चाहते हैं, तो मुझे सुई के साथ विनम्रता दे दें। राजा आश्चर्यचकित
होकर बोला कि भला सुई और विनम्रता तलवार का मुकाबला कैसे कर सकते हैं। 

संत ने कहा कि सुई जोड़ने का काम करती है। विनम्रता से व्यक्ति अजेय व्यक्ति को भी जीत सकता है। तलवार का काम तो काटना या जीवन लेना है, लेकिन सुई हो या विनम्रता सबको एक साथ जोड़ने का काम करती हैं। राजा समझदार था। उसने संत से कहा कि मैं समझ गया। अब से मैं अहंकार का त्याग करता हूं। इसके बाद उसने प्रजा की भलाई के लिए बहुत सारे कार्य किए और प्रजा में लोकप्रिय हो गया।

हड़ताली डॉक्टरों की वजह से मरीजों को उठानी पड़ी परेशानी


अशोक मिश्र

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को सोमवार और मंगलवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश भर के डॉक्टर दो दिन हड़ताल पर रहे। एसोसिएशन ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आज यानी मंगलवार देर रात तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

प्रदेश सरकार ने एसएमओ की सीधी भर्ती करने का फैसला किया है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के पदाधिकारी सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने इसका विरोध करते हुए अपनी बात सरकार के सामने रखी, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि एसएमओ की सीधी भर्ती से पहले से ही सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों के प्रमोशन और मेरिट पर सीधा असर पड़ेगा। इस मामले में डॉक्टरों के अपने तर्कहैं, तो सरकार के अपने। इन दोनों के बीच मामला सुलझ नहीं पाने की वजह से बीच में मरीजों को पिसना पड़ रहा है। 

यमुनानगर में सीनियर मेडिकल आॅफिसर की भर्ती के खिलाफ प्रदेश भर के डॉक्टरों ने मोर्चा खोल रखा है। डॉक्टरों की दो दिवसीय हड़ताल को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहले से ही कुछ व्यवस्थाएं कर रखी थीं। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेजों में अध्ययनरत मेडिकल छात्र-छात्राओं और एनएचएम स्टाफ की सहायता से हालात को संभालने की कोशिश की, लेकिन चिकित्सा सेवा पर प्रभाव  पड़ना स्वाभाविक है। राज्य के कुछ जिलों में तो सीएचसी और पीएचसी से स्टाफ को बुलाना पड़ा, ताकि छोटी-मोटी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा सके।  कुछ जिलों में तो हालात लगभग सामान्य रहे, लेकिन कई जिले ऐसे भी हैं, जब गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों को इधर उधर भटकना पड़ा। 

कुछ गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का आपरेशन आदि भी टालना पड़ा। कुछ मरीजों ने हालात की गंभीरता को समझते हुए निजी अस्पतालों की शरण लेने में ही भलाई समझी। डॉक्टरों ने इमरजेंसी, एमएलआर और पोस्टमार्टम जैसे महत्वपूर्ण कामों का बहिष्कार कर रखा था। कुछ जिलों में गंभीर रोगियों को उन जिलों में ट्रांसफर किया गया जहां हालात सामान्य से दिखे थे। इमरजेंसी और ओपीडी में जांच या इलाज के लिए डॉक्टर नहीं मिले। मेडिकल करवाने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल के संबंध में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि हम हड़ताल को उचित नहीं मानते हैं, लेकिन मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा। दो महीने से सरकार से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है।

Tuesday, December 9, 2025

जीसस क्राइस्ट की तरह थे स्वामी विवेकानंद

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्रांस में 15 अगस्त 1858 में जन्मी एमा काल्वे ओपेरा सोप्रानो थीं जिसकी वजह से वह पूरी दुनिया में मशहूर थीं। वह नृत्य नाटिका में संगीत पर गाती थीं
। वह एक अच्छी नर्तकी भी थीं। वह स्वामी विवेकानंद से बहुत प्रभावित थीं। वह उन्हें धर्म पुरुष मानती थीं। काल्वे ने अपने शुरुआती जीवन के कई साल स्पेन में बिताए थे। उनके पिता जस्टिन कैल्वेट स्पेन में एक सिविल इंजीनियर थे। उनका वास्तविक नाम रोजा एम्मा कैल्वेट था। 

वह न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस और लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस में नियमित रूप से गाती थीं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में कई देशों की यात्राएं की थीं। वह तुर्की, मिस्र और यूनान भी गए थे। स्वामी विवेकानंद शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारतीय दर्शन और धर्म का पक्ष रखने से पूरी दुनिया में मशहूर हो गए थे। तीन देशों की यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद के दल में एमा काल्वे भी शामिल हो गईं। 

जब स्वामी जी चलते थे, तो सबसे आगे काल्वे नाचती गाती हुई चलती थीं। स्वामी जी की मृत्यु का समाचार सुनने के बाद काल्वे अपने को भारत आने से नहीं रोक सकीं। वह स्वामी विवेकानंद की समाधि की खोज में भारत आई थीं। स्वामी विवेकानंद से जुड़े स्थानों और तीर्थ स्थलों तक जाकर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट की। विवेकानंद सोसायटी के सदस्यों ने काल्वे को दक्षिणेश्वर और वैलूर मठ के दर्शन का प्रस्ताव  रखा। 

सोसायटी के सदस्यों ने उन्हें स्वामी रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की तस्वीर भेंट की, तो परमहंस की तस्वीर को माथे से लगाने के बाद स्वामी विवेकानंद की तस्वीर सीने से लगाते हुए कहा कि स्वामी जी, जीसस क्राइस्ट की तरह थे।

हरियाणा की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दूर करेगा गुड़-चना

अशोक मिश्र

एनीमिया हमारे देश की एक अहम समस्या है। इसके कारण भी कई हैं। गरीबी, भुखमरी और कुपोषण जैसे तमाम कारणों से देश की आधी आबादी यानी महिलाएं और कुछ पुरुष एनीमिया से पीड़ित पाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा कुछ और बढ़ जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि पांच में से एक गर्भवती महिला खून की कमी का शिकार होती है। यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है। खून की कमी की वजह से गर्भस्थ शिशु और महिला को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है। कई बार खून की कमी की वजह से गर्भवती महिला या बच्चे की मौत भी हो जाती है। हालांकि ऐसी घटनाएं हरियाणा नगण्य हैं, लेकिन राज्य में इस तरह का खतरा पूरी तरह दूर नहीं हुआ है। वैसे राहत की बात यह है कि तीन महीने पहले राष्ट्रीय स्तर पर जारी किए गए आंकड़ों में हरियाणा ने 2025-26 की पहली तिमाही में एनीमिया मुक्त अभियान में 85.2 अंक प्राप्त कर देश में दूसरा स्थान हासिल किया है। पहले नंबर पर आंध्र प्रदेश है जिसने 88 अंक हासिल किए हैं। राज्य की इस सफलता के पीछे आयरन और फोलिक एसिड की भरपूर खुराक गर्भवती महिलाओं और सामान्य महिलाओं और लड़कियों को उपलब्ध कराना रहा है।  हरियाणा के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय लक्षित समूहों में आयरन और फोलिक एसिड के मजबूत कवरेज को जाता है। 

रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा ने छह महीने से पांच साल तक के बच्चों में 90.5 फीसदी, 10 से 19 साल के आयु वर्ग और गर्भवती महिलाओं के कवरेज में 95 फीसदी लक्ष्य को हासिल किया। मगर स्तनपान कराने वाली माताओं में यह 65.9 फीसदी तक सीमित रहा। दरअसल, महिलाओं, बच्चियों और गर्भवती महिलाओं में खून की कमी का प्रमुख कारण पौष्टिक आहार का न मिलना माना जाता है, जो कि सही भी है। कुपोषण के चलते महिलाओं और लड़कियों में खून की कमी पाई जाती है, लेकिन यह भी सही है कि मध्यम आयवर्ग और अमीर घरों की महिलाओं में भी खून की कमी पाई जाती है। इसका कारण आधुनिक खानपान और जंकफूड का सेवन करना है। 

आधुनिक जीवन शैली अपनाने की वजह से लड़कियां और महिलाएं जंकफूड पर ज्यादा निर्भर रहने लगी हैं जिसकी वजह से वह एनीमिया की शिकार हो रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने गर्भवती महिलाओं महीने में तीन दिन 9, 10, 23 और माह के अंतिम दिन गुड़ और चना बांटने का फैसला किया है। गुड़ और चना शरीर में रक्त आपूर्ति का बेहतरीन माध्यम माना जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुड़ और चना वितरण का फैसला लिया है। राज्य सरकार की यह एक अच्छी पहल है। सामान्य और गर्भवती महिलाओं को वैसे भी गुड़-चने का सेवन करना चाहिए?