अशोक मिश्र
राजा कृष्ण देव राय का जन्म 17 जनवरी 1471 ईस्वी में हुआ था। वह विजयनगर के सबसे चर्चित महाराज थे। वह स्वयं कवि और ज्ञानी पुरुष थे, लेकिन उनके दरबार में विद्वानों को बहुत ज्यादा संरक्षण प्राप्त था। तेलुगू भाषा के आठ कवि इनके दरबार की शोभा बढ़ते थे जिन्हें अष्टदिग्गज कहा जाता है। स्वयं कृष्णदेवराय खुद आंध्रभोज के नाम से प्रसिद्ध थे। इनकी भी प्रतिभा अद्वितीय थी।
उनके शासनकाल में विजयनगर की प्रजा बहुत खुशहाल और समृद्ध रही थी। जिस समय राजा कृष्णदेव राय ने सिंहासन संभाला था, उस समय राज्य की दशा बहुत डांवाडोल थी। पड़ोसी राजा इनके राज्य को हड़पने की फिराक में रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे कृष्ण देव राय ने अपने शासन को न केवल मजबूत किया, बल्कि शत्रुओं का दमन भी किया। एक बार की कथा है।
राजा कृष्णदेव राय अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाह हो गए। इसका नतीजा यह हुआ कि वह थोड़े मोटे होने लगे। राजवैद्य ने उनको बढ़ते वजन को लेकर चेताया भी, लेकिन वैद्य की सलाह का उल्लंघन करने लगे। वैद्य ने उन्हें कई तरह से अच्छा-बुरा समझाया, लेकिन वह नहीं माने। आखिर में वैद्य ने यह बात तेनालीराम को बताई तो उन्होंने एक उपाय बताया। एक दिन एक ज्योतिषी राज दरबार में आया और उसने कहा कि राजा की मौत एक महीने में हो जाएगी।
राजा ने उस ज्योतिषी को कारागार में डालने का आदेश सुनाया ताकि भविष्यवाणी गलत साबित होने पर मौत की सजा दी जाए। महीना भर बीतने के बाद राजा ने ज्योतिषी को दरबार में बुलाया। तब ज्योतिषी ने कहा कि महाराज! अपना चेहरा देखिए। राजा ने आईना देखा, तो वह काफी दुबले हो गए थे। तब राजवैद्य ने सारी हकीकत बताई। तब राजा ने ज्योतिषी को विदा करने के साथ लापरवाही न करने की शपथ ली।
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