Thursday, October 9, 2025

हरियाणा ने कायम की सबसे कम पराली जलाने की मिसाल

अशोक मिश्र

हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में जैसे-जैसे ठंड बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जाती है। पिछले कई वर्षों का अनुभव बताता है कि जब प्रदेश में कोहरा गिरने लगता है, तब प्रदूषण की समस्या और गहरा जाती है। ठंड के दिनों में हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरा उत्तर भारत प्रदूषण की चपेट में आ जाता है। अभी राज्य में प्रदूषण की स्थिति अन्य वर्षों की अपेक्षा संतोषजनक कही जा सकती है, लेकिन भविष्य में हालात ऐसे ही रहेंगे, ऐसी उम्मीद कम ही है। 

इसी आशंका को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के कृषि एवं कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि वह इस बार भी पराली जलाने के मामले में पूरी निगरानी रखें और पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। यदि कोई किसान अपने खेत में पराली जलाता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। 

इतना ही नहीं, उसको मंडियों में दो सीजन अनाज बेचने के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। इस स्थिति से बचने के लिए मंत्री राणा ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पूरे प्रदेश 9036 नोडल अधिकारियों को तैनात किए हैं। यह नोडल अधिकारी गांवों में तैनात किए गए हैं जो गांव के किसानों पर अपनी नजर रखेंगे। यदि कोई किसान पराली जलाता पाया गया, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करेंगे। प्रत्येक नोडल अधिकारी के जिम्मे गांव के पचास किसान होंगे। यदि किसान और संबंधित अधिकारी समन्वय स्थापित करके काम करें, तो न केवल वायु की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, बल्कि किसानों को भी फायदा पहुंचाया जा सकता है। 

प्रदेश सरकार ने पराली न जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ अच्छी खासी रकम देने का भी प्रावधान किया है। प्रदेश सरकार ने किसानों को धान की सीधी बिजाई के लिए आठ हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान देने का भी प्रावधान कर रखा है। सीधी बिजाई वाली धान की फसल पर बीमारी का प्रकोप भी कम होता है। किसान को लाभ भी अच्छा होता है। फसल अवशेष प्रबंधन भी सहजता से हो सकता है। वैसे संतोष की बात यह है कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल पराली जलाने की घटना में 95 प्रतिशत की कमी आई है। 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल अक्टूबर में पूरे राज्य में पराली जलाने की 150 घटनाएं प्रकाश में आई थीं, लेकिन इस बार अक्टूबर के पहले हफ्ते में केवल सात घटनाएं पराली जलाने की पता चली हैं। हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रदेशों में पिछले साल और इस साल भी सबसे कम पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं। यह एक अच्छी मिसाल कायम की है हरियाणा ने।

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