हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है कि संघे शक्ति कलयुगे। कलयुग में एकता में ही शक्ति निहित है। यदि इंसान मिलकर काम करे, तो वह विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल बना सकता है। मिलकर रहने से अपने साथ-साथ दूसरों के विकास का भी मौका मिलता है। लेकिन अपनी क्षुद्रताओं में फंसा हुआ व्यक्ति इन सब बातों पर कहां गौर कर पाता है। यही वजह है कि उसे जीवन में वह स्थान हासिल नहीं होता है, जो उसे मिलना चाहिए।
इस संबंध में एक बड़ी रोचक कथा है। एक राजा के मन में यह विचार आया कि वह अपने राज्य के प्रतिभाशाली लोगों की पहचान करे। राजा काफी दयालु और प्रजापालक था। वह प्रतिभावान लोगों की मदद भी बहुत करता था। उसने अपनी इच्छा जब अपने मंत्री को बताई, तो मंत्री ने कहा कि वैसे तो अपने राज्य में प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है, लेकिन वह एक दूसरे की टांग खींचते हैं जिससे कोई सफल नहीं होता है।
राजा ने इस बात पर असहमति जताई तो मंत्री ने कहा कि वह साबित कर देगा। मंत्री ने अगले दिन एक बड़े से मैदान में बहुत बड़ा गड्ढा खुदवाया और उसमें बीस प्रतिभावान लोगों को उतार दिया। मंत्री ने घोषणा की कि इन बीस लोगों में से जो बाहर आ जाएगा, उसे आधा राज्य दे दिया जाएगा। प्रतियोगिता शुरू हुए सुबह से शाम हो गई, लेकिन कोई बाहर नहीं आ पाया। राजा उस कौतुक को देखकर आश्चर्य चकित हुआ।
बाद में सीढ़ी लगाकर सबको बाहर निकाला गया। तब मंत्री ने कहा कि देखा महाराज! ऐसा ही होता है। जैसे ही कोई बाहर आने को होता था, बाकी उन्नीस लोग उसकी टांग पकड़कर गड्ढे में खींच लेते थे। यदि यह लोग चाहते तो आपस में सलाह करके किसी एक को बाहर आने दे सकते थे और पुरस्कार आपस में बांट सकते थे। राजा अपने मंत्री की बात मान गया। उसने किसी को पुरस्कार नहीं दिया और सबको लौटा दिया।
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