अशोक मिश्र
हरियाणा में कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक हर दो घंटे में एक कैंसर रोगी की मौत हो रही है। पुरुष में मुंह और महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर प्रमुख है। सबसे चिंताजनक बात यह पता चला है कि बच्चों में भी कैंसर पाया जाने लगा है। कैंसर पीड़ित बच्चों में रोग का पता तब चलता है, जब वह खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है।
आमतौर पर लोगों में यह धारणा फैली हुई है कि बच्चों को कैंसर जैसी घातक बीमारी नहीं होती है। अपनी इसी गलत धारणा के चलते वह बच्चे का वजन घटने, पेट में दर्द होने जैसी कई तरह की समस्याओं को मामूली समझकर टालते रहते हैं। बच्चे का गंभीरता से जांच नहीं करवाते हैं। ऐसी स्थिति में जब रोग गंभीर हो जाता है, तब वह डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। ऐसी स्थिति में रोगी का उपचार बहुत कठिन हो जाता है। हरियाणा में सबसे ज्यादा कैंसर रोगी बच्चे और वयस्क मेवात क्षेत्र में पाए जा रहे हैं।
इसमें भी सबसे ज्यादा बच्चे और वयस्क ब्लड कैंसर यानी ल्यूकेमिया के पाए गए हैं। इस तरह के रोगियों में लगातार बुखार, एनीमिया, शरीर में गांठें उभरना, अचानक वजन का घटने जैसे लक्षण उभरते हैं। लोग बच्चों और वयस्कों में इस तरह के लक्षण उभरने पर गंभीरता से नहीं लेते हैं। दरअसल, हरियाणा में सबसे ज्यादा कैंसर रोगियों के मिलने के पीछे जल और वायु प्रदूषण प्रमुख कारण हैं।
राज्य में सबसे ज्यादा कैंसर रोगी यमुना नदी बेल्ट में पाए गए हैं। फरीदाबाद और घग्गर नदी बेल्ट के सिरसा, फतेहाबाद, कैथल, नूंह और अंबाला जिलों में यह बीमारी तेजी से फैल रही है। पिछली फरवरी में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर एक टास्क फोर्स गठित किया गया था। फोर्स ने यमुना और घग्गर नदी में जगह-जगह सैंपल लिए थे। इन सैंपलों की जांच करने पर टास्क फोर्स ने नदी जल में जहरीले तत्व पाए थे। यह जहरीले तत्व इंसान की सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।
नदियों में औद्योगिक घरानों से डाला गया केमिकल लोगों को जीवन पर भारी पड़ता जा रहा है। कल-कारखाने अपने यहां से निकलने वाला औद्योगिक कचरा सीधे नदियों में डाल रहे हैं। नदियों का पानी ही फसलों की सिंचाई से लेकर पीने में उपयोग किया जा रहा है। शोधित करने के बावजूद कुछ न कुछ विषैला केमिकल पानी में रह ही जाता है। यही विषैला पानी लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहा है। इससे अलावा लोगों की अव्यवस्थित जीवनशैली, पर्यावरण की समस्याएं और जागरूकता की कमी के कारण भी पांच में से एक पुरुष और आठ में से एक महिला को कैंसर का खतरा है। तंबाकू का सेवन (धूम्रपान या गुटखा) कैंसर का सबसे प्रमुख कारण है, जो लगभग 40 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है।
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