अशोक मिश्र
उभय भारती जिन्हें देवी भारती भी कहा जाता है, का विवाह मंडन मिश्र से हुआ था। उभय भारती का जन्म मिथिला क्षेत्र के भटपुरा गांव में एक मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। देवी भारती की बड़ी बहन का नाम मंदना मिश्रा बताया जाता है, जो कुमारिला भट्ट की शिष्या थीं।
कुमारिला भट्ट की यह दोनों बहनें भतीजी या बहन बताई जाती हैं। कुमारिला भट्ट ने ही देवी भारती का विवाह महिषी गांव के मंडन मिश्र से करवाया था। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र का बिहार के सहरसा जिले के महिषी गांव में एक बार शास्त्रार्थ हुआ था। यह शायद आठवीं शताब्दी की घटना है। शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिनों तक शास्त्रार्थ चला।
इस दौरान अद्वैत सिद्धांत पर दोनों में से कोई हार मानने को तैयार नहीं था। अपने ज्ञान और विद्वता की वजह से देवी भारती को इस शास्त्रार्थ का निर्णायक बनाया गया था। इसी बीच किसी काम से देवी भारती को किसी काम से जाना पड़ा। अब जब निर्णायक ही न हो, तो शास्त्रार्थ कैसे चलेगा।
देवी भारती ने इसका भी उपाय निकाला। उन्होंने दो मालाएं मंगवाई और एक-एक दोनों को पहनाने के बाद कहा कि हार-जीत का फैसला यह माला करेगी। इसके बाद देवी भारती चली गईं। काफी देर बाद जब लौटकर आईं तो उन्होंने दोनों मालाओं का निरीक्षण किया और शंकराचार्य को विजेता घोषित कर दिया। लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ।
उन्होंने कहा कि मंडन मिश्र के गले की माला सूख गई थी, इसका मतलब जब यह हारने लगे थे, तो इनको क्रोध आ गया था। इस वजह से माला सूख गई। हालांकि बाद में भारती ने भी शंकराचार्य से शास्त्रार्थ किया और कामशास्त्र पर सवाल पूछे। शंकराचार्य ने परकाया प्रवेश के जरिये कामशास्त्र पर ज्ञान प्राप्त किया और भारती को भी हराया।
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