कुछ महीने पहले सुप्रीमकोर्ट ने आवारा कुत्तों के संदर्भ में विभिन्न राज्यों सहित दिल्ली सरकार के लिए आदेश जारी किया था कि रैबीज वाले कुत्तों सहित सभी कुत्तों को शहर के बाहर छोड़ दिया जाए। इन कुत्तों की नसबंदी की जाए, ताकि इनकी लगातार बढ़ती जनसंख्या को काबू किया जा सके। सुप्रीमकोर्ट के फैसले को लेकर कुछ संगठनों ने तब बहुत हायतौबा मचाई थी।
मजबूरन सुप्रीमकोर्ट को अपना संशोधित आदेश जारी करना पड़ा। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि टीकाकरण और नसबंदी के बाद कुत्तों को उनके उसी स्थल पर छोड़ा जाए, जहां से उन्हें उठाया गया था। कुत्तों की सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग पर भी रोक लगा दी गई। यह आदेश दिल्ली-एनसीआर के अलावा पूरे देश में लागू होगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में अपना अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश का कितना पालन हुआ या नहीं, यह तो अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है।
फिरोजपुर झिरका में स्थानीय निकाय के अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा पांच बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। फिरोजपुर झिरका में एक पागल कुत्ते ने पांच बच्चों को बुरी तरह नोच डाला है। पागल कुत्ते का शिकार हुए बच्चे डेढ़ से सात साल की आयु के हैं। हरियाणा के कई जिलों में पागल कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। अकसर देखने में यह आता है कि सड़कों पर आवारा घूमने वाले कुत्ते स्कूल से आते-जाते बच्चों पर हमला करके उन्हें घायल कर देते हैं। कई बार तो यह झुंड बनाकर राहगीरों पर हमला कर देते हैं। उन्हें घायल कर देते हैं। आवारा कुत्तों का शिकार हुए लोग सरकारी और निजी अस्पतालों का चक्कर काटने पर मजबूर हो जाते हैं।
बात अगर फिरोजपुर झिरका वाले में ही की जाए, तो काफी समय से एक कुत्ते के पागल हो जाने की खबरें स्थानीय निकाय के अधिकारियों को मिल रही थी, लेकिन उचित कार्रवाई करने की कोशिश नहीं की गई। फिरोजपुर झिरका के एसडीएम लक्ष्मी नारायण का कहना है कि नगर पालिका सचिव को कई बार पत्र लिखकर आवारा कुत्तों के बारे में चेताया गया था, लेकिन सचिव ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसकी वजह से पांच बच्चों को एक पागल कुत्ते के काटने का शिकार होना पड़ा।
यदि सचिव ने उचित समय पर कार्रवाई की होती, तो पांच बच्चों को यह पीड़ा नहीं झेलनी पड़ती। हरियाणा के लगभग सभी जिलों का यही हाल है। हर शहर और गांव में आवारा कुत्ते जरूर दिखाई पड़ जाते हैं। शाम ढलते ही यह कुत्ते राह चलते लोगों के लिए परेशानी का कारण बन जाते हैं। लोग सड़कों पर पैदल चलते हुए डरते हैं। यदि सरकार इन आवारा कुत्तों की नसबंदी करके छोड़ दे, तो इनकी संख्या में भारी कमी आ सकती है और लोगों को ऐसी परिस्थितियों से छुटकारा मिल जाता।
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