हरियाणा के जींद जिले का एक गांव है बीबीपुर। बीबीपुर के लोगों और गांव के सरपंच ने प्रदेशवासियों के सामने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जिसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। प्रदेश की सरकारों ने वैसे तो कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। हरियाणा में बिगड़ते लिंगानुपात को सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास किया है और आज भी किया जा रहा है।
सैनी सरकार ने तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को बिगड़ते लिंगानुपात को सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास करने का सख्त निर्देश दिया है। इसके लिए जो भी जरूरी अधिकार और संसाधन चाहिए, वह सब कुछ उपलब्ध करा रखा है। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को दंडित करने का प्रावधान कर रखा है, लेकिन बीबीपुर गांव की पंचायत ने जो कुछ किया, उससे प्रदेश की सभी पंचायतों को सीखने की जरूरत है। बीबीपुर गांव की तस्वीर तब बदलनी शुरू हुई, जब सन 2010 में इस गांव के सरपंच बने सुनील जागलान। उन्होंने सबसे पहले अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली महिलाओं की दशा का अध्ययन किया।
महिलाओं की दशा कैसे सुधारी जा सकती है, इस पर गंभीरता से विचार किया। महिलाओं को कन्या भ्रूण हत्या के बारे में कैसे जागरूक किया जाए, इसके लिए भी काफी मंथन किया। इसके बाद सुनील जागलान की शुरू हुईं योजनाएं। उन्होंने अपने गांव की महिलाओं को सबसे पहले उनके अधिकारों को लेकर जागरूक किया। गांव की तस्वीर बदलने के लिए सबसे पहले पंचायत को डिजिटल बनाया।
उन्होंने महिला खाप पंचायत का आयोजन किया। हालांकि कुछ लोगों को महिला खाप पंचायत का आयोजन अच्छा नहीं लगा, लेकिन आसपास के गांवों से जब पंचायत में शामिल होने के लिए हजारों महिलाएं इकट्ठी हुईं, तो धीरे-धीरे सबको मानना पड़ा कि महिलाएं अगर आगे आ जाती हैं, तो इससे परिवार और समाज का भला ही होगा। सरपंच जागलान की पहल का नतीजा यह हुआ कि महिला पंचायत में जुटी महिलाओं ने कन्याभ्रूण हत्या के खिलाफ आवाज बुलंद की। महिलाओं को उनकी महत्ता जताने के लिए उन्होंने दादी-पोती को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने घर की चहारदिवारी में बंद रहने वाली महिलाओं को लाकर समाज के बीच खड़ा कर दिया और उनके हाथों में बदलाव की कमान थमा दी।
यह एक अच्छी पहल थी। नतीजा यह हुआ कि बीबीपुर और उसके आसपास के गांवों में नेम प्लेट बेटियों के नाम पर लगने लगे। अब बीबीपुर गांव के इस बदलाव को आईसीएससी बोर्ड ने अपने आठवीं के बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया है। यह बीबीपुर गांव की एक बड़ी उपलब्धि है।
No comments:
Post a Comment