Wednesday, January 14, 2015

बेशर्म और मक्कार हैं पाकिस्तान के नेता

अशोक मिश्र

पाकिस्तान के राजनीतिज्ञ निहायत ही बेशर्म, झूठे, मक्कार और मानवता विरोधी हैं। इनकी बेशर्मी और मक्कारी की सजा वहां की आम जनता को भुगतनी पड़ रही है। कई बार वैश्विक मंचों पर यह साबित हो चुका है कि पाकिस्तान ही एशिया महाद्वीप में फैले आतंकवादियों का पनाहगाह है। वहां आंतकवादियों को न केवल पनाह दिया जाता है, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है, उन्हें हथियार और आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है। भारत भी न जाने कितनी बार भारत में होने वाली आतंकी घटनाओं में शामिल होने वाले पाक आतंकियों के बारे में पुख्ता सुबूत सौंप चुका है, लेकिन बेशर्म और झूठा पाकिस्तान उसे मानने को तैयार ही नहीं है। पाकिस्तान के बेशर्म राजनेताओं की पोल अमेरिका द्वारा पाक को आतंकवाद के खिलाफ मुहिम चलाने के मामले में पाक साफ करार दिए जाने के दावे में खुल चुकी है। पाकिस्तान के नेताओं ने दावा यह किया था कि अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने पाकिस्तान को आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रशंसा करते हुए कैरी-लुगार बिल के तहत तीन हजार करोड़ रुपये (५३२ मिलियन डॉलर) असैन्य सहायता देने का प्रस्ताव अमेरिकी सरकार को भेजा है। पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर क्लीन चिट मिलने की खबर मिलते ही जब भारत ने अमेरिका के सामने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की, तो अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि ऐसी कोई क्लीनचिट पाकिस्तान को नहीं दी गई है। हालांकि यह भी सही है कि अमेरिका पाकिस्तान को गाहे-बगाहे आर्थिक मदद करता रहा है, आगे भी करता रहेगा। एशिया महाद्वीप पर निगाह रखने के लिए अपने सैनिकों को तैनात करने का सबसे बढिय़ा ठिकाना पाकिस्तान के अलावा कोई दूसरा अमेरिका को नहीं मिलने वाला है। यही वजह है कि अमेरिका तमात विसंगतियों के बावजूद पाकिस्तान का साथ नहीं छोड़ता है। पाकिस्तान के राजनीतिज्ञों की गलत नीतियों के चलते वहां की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, वह एक विफल राष्ट्र घोषित किए जाने के कगार पर है। ऐसी हालत में उसे अगर अमेरिकी आर्थिक सहायता न प्राप्त हो, तो वह बरबाद हो जाएगा। आर्थिक मदद देने वाले अमेरिका द्वारा बेइज्जत होने और घुड़की मिलने के बावजूद पाकिस्तान के राजनीतिज्ञ, सेना और खुफिया अधिकारियों में कोई तब्दीली आती हुई नहीं दिख रही है।
पाकिस्तान अपने शेखचिल्लीपने के चलते कई बार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुंह की खा चुका है, इसके बावजूद वह सुधरने को तैयार नहीं है। पाकिस्तानी नेताओं, सत्ताधीशों की बचकानी हरकतों का खामियाजा वहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है। गरीबी, बेकारी, आतंकवाद, भुखमरी, अशिक्षा और धार्मिक अज्ञानता जैसी बेडिय़ों में जकड़ी पाकिस्तानी जनता कराह रही है, अपने भाग्यविधाताओं को  कोस रही है। वैसे तो पाकिस्तान में आजादी के बाद से ज्यादातर सैनिक शासन ही रहा है, लेकिन जब भी चुनाव हुए हैं, उसने बड़ी आशा से अपना नेता चुना है, ताकि उनके जीवन में नया सूर्योदय हो। अफसोस तो इस बात का है कि हर बार पाकिस्तानी जनता को निराशा ही हाथ लगी है। भारत के खिलाफ आम जनता में विष वमन करके सत्ता हथियाने वाले पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ छल-प्रपंचों का सहारा बहुत पहले से ही लेते रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के नाम पर किया गया यह छल-प्रपंच सिर्फ एक कड़ी भर ही है। पाकिस्तान अपनी दुर्गति के बावजूद बाज नहीं आ रहा है। वह भारत के खिलाफ जहर उगलने का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों का हर संभव उपयोग करता है। हालांकि वह हर बार अपने उस कुत्सित प्रयास में विफल ही रहता है। पाकिस्तान ने अमेरिकी विदेश मंंत्री जॉन कैरी के नाम पर क्लीन चिट दिए जाने की अफवाह इसलिए फैलाई क्योंकि गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आ रहे हैं। यह पाकिस्तानी नेताओं को बर्दाश्त नहीं हो रहा है। वे चाहते हैं कि किसी भी तरह भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों को दूरियों में बदल दिया जाए। यह अफवाह शायद इसी प्रयास का एक हिस्सा भर है।

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