Thursday, November 13, 2025

पेट पालने के लिए कुछ तो करना होगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराष्ट्र के महान संत तुकाराम का जन्म पुणे में हुआ था। इनकी माता  कनकाई और पिता बहेबा (बोहोल्बा) अपने बच्चे को बहुत प्यार करते थे। दुर्भाग्य से इनकी माता और पिता का निधन तब हो गया, जब तुकाराम 19 साल के थे। कहते हैं कि इनकी पहली पत्नी जीजाबाई बहुत सरल हृदय और पति परायण थी। 

यह भी कहा जाता है कि इनकी पत्नी और बेटे की अकाल के दौरान भूख से हो गई थी। दूसरी पत्नी बहुत झगड़ालु थी। एक बार की बात है। यह तीर्थयात्रा पर गए, तो इनकी दुकान से सारा सामान चोरों ने चुरा लिया। लौटकर आए तो देखा दुकान से सारा सामान गायब है। इनकी पत्नी ने इन्हें अपने गहने देते हुए कहा कि आप सामान खरीद कर दोबारा दुकान शुरू करें। 

पत्नी के गहने लेकर जब यह सामान खरीदने गए, तो उन्होंने कुछ साधुओं को बड़ी बुरी दशा में देखा। उन्होंने सारा पैसा उन साधुओं की सेवा में लगा दिया और खाली हाथ घर लौट आए। जब उनकी पत्नी ने उन्हें खाली हाथ घर लौटे देखा, तो सारा माजरा समझ गई। उसी दिन से जीजाबाई ने मजदूरी करनी शुरू कर दी। एक दिन तुकाराम ने उनसे पूछा कि कहां जा रही हो? 

तो पत्नी ने जवाब दिया कि पेट पालने के लिए कुछ तो करना होगा। यह सुनकर तुकाराम ने कहा कि मैं काम करूंगा। संयोग से उन्हें खेत में रखवाली का काम मिल गया। खेत में रखवाली करते समय वह जानवरों और पक्षियों को अनाज खाने से नहीं रोकते थे। वह बाकी समय बिट्ठल का स्मरण करते थे। 

खेत की यह हालत देखकर खेत के मालिक ने इनकी शिकायत राजा से करने की बात कही, तो तुकाराम ने क्षमा मांगते हुए कहा कि राजा शिवाजी से इसकी शिकायत मत करो। वह मेरे शिष्य हैं। आपका जो नुकसान हुआ है, वह मैं दूसरी जगह से काम करके चुकता कर दूंगा। यह सुनकर किसान चकित रह गया।

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