Thursday, December 11, 2025

मानवता को शर्मसार करने वाले लोग मानव समाज के लिए खतरा


अशोक मिश्र

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं जिससे मानवता भी शर्मसार हो उठती है। आसपास रहने वाला व्यक्ति कब किसी मासूम बच्ची के लिए हैवान साबित हो, कोई नहीं कह सकता है। अंकल..अंकल कहकर आगे पीछे घूमने वाली बच्चियां अंकल की दरिंदगी का शिकार हो जाएं, नहीं कहा जा सकता है। ऐसा ही हुआ बीतों दिनों फरीदाबाद में। फरीदाबाद के पल्ला थाना की हरकेश नगर कालोनी में रहने वाले एक व्यक्ति ने पांच साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने का लालच दिया और उसे अपने साथ ले जाकर एक झाड़ी में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। 

कालोनी में एक व्यक्ति ने पच्चीस कमरे बनवाकर उसे किराये पर उठा रखा है। इसी एक कमरे में आरोपी भी रहता है। बच्ची उस आरोपी को अंकल कहती थी। रोज मिलना जुलना था। बस, इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने बच्ची को फुसलाया और झाड़ी में ले जाकर गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं, जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं आई, तो नराधम लोगों के साथ मिलकर उसे खोजने का नाटक भी करता रहा। बच्ची के मां-बाप को दिलासा भी देता रहा कि जल्दी ही बच्ची मिल जाएगी। 

यहीं कहीं खेल रही होगी। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने टीमें बनाकर बड़े पैमाने पर खोजबीन शुरू की, लोगों के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को चेक किया, तब जाकर पता लगा कि कौन उस बच्ची को साथ ले गया था। पुलिस ने शराब के नशे में धुत आरोपी को कमरे में सोते हुए पकड़ा। पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि हैवान ने उस बच्ची से दुष्कर्म किया है या नहीं। 

मानवता को शर्मसार करने वाली दूसरी घटना महेंद्रगढ़ के बचीनी गांव घटी। यह पांच साल की मासूम बच्ची घर से लस्सी लेने निकली थी। रास्ते में उसे कैंटर ने कुचल दिया। घायल बच्ची जब सड़क पर तड़प रही थी, तो कैंटर चालक ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने का आश्वासन देकर अपने कैंटर में बिठा लिया और पच्चीस किमी दूर ले जाकर उसे झाड़ियों में फेंक दिया। बच्ची की मौत झाड़ियों में फेंके जाने से पहले हो गई थी। बाद में सीसीटीवी फुटेज और जीपीएस के सहारे आरोपी चालक गिरफ्तार किया गया। 

समाज में शराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हुए हैवान कब किसी बच्ची, महिला या बच्चे को अपना शिकार बना लें, कहा नहीं जा सकता है। इन सभी घटनाओं को देखते हुए ही अब किसी पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। पड़ोसी तो क्या, अब लोग अपने नाते-रिश्तेदारों पर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि समाज में सभी बुरे हैं। लेकिन इसी समाज में  कोई ऐसा भी हो सकता है जो विश्वास लायक न हो। सौ इंसानों में से अगर दस लोग भी दूषित मानसिकता के हों, तो वह नब्बे लोगों के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं।

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