Tuesday, December 9, 2025

जीसस क्राइस्ट की तरह थे स्वामी विवेकानंद

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्रांस में 15 अगस्त 1858 में जन्मी एमा काल्वे ओपेरा सोप्रानो थीं जिसकी वजह से वह पूरी दुनिया में मशहूर थीं। वह नृत्य नाटिका में संगीत पर गाती थीं
। वह एक अच्छी नर्तकी भी थीं। वह स्वामी विवेकानंद से बहुत प्रभावित थीं। वह उन्हें धर्म पुरुष मानती थीं। काल्वे ने अपने शुरुआती जीवन के कई साल स्पेन में बिताए थे। उनके पिता जस्टिन कैल्वेट स्पेन में एक सिविल इंजीनियर थे। उनका वास्तविक नाम रोजा एम्मा कैल्वेट था। 

वह न्यूयॉर्क के मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस और लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस में नियमित रूप से गाती थीं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में कई देशों की यात्राएं की थीं। वह तुर्की, मिस्र और यूनान भी गए थे। स्वामी विवेकानंद शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारतीय दर्शन और धर्म का पक्ष रखने से पूरी दुनिया में मशहूर हो गए थे। तीन देशों की यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद के दल में एमा काल्वे भी शामिल हो गईं। 

जब स्वामी जी चलते थे, तो सबसे आगे काल्वे नाचती गाती हुई चलती थीं। स्वामी जी की मृत्यु का समाचार सुनने के बाद काल्वे अपने को भारत आने से नहीं रोक सकीं। वह स्वामी विवेकानंद की समाधि की खोज में भारत आई थीं। स्वामी विवेकानंद से जुड़े स्थानों और तीर्थ स्थलों तक जाकर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट की। विवेकानंद सोसायटी के सदस्यों ने काल्वे को दक्षिणेश्वर और वैलूर मठ के दर्शन का प्रस्ताव  रखा। 

सोसायटी के सदस्यों ने उन्हें स्वामी रामकृष्ण परमहंस और विवेकानंद की तस्वीर भेंट की, तो परमहंस की तस्वीर को माथे से लगाने के बाद स्वामी विवेकानंद की तस्वीर सीने से लगाते हुए कहा कि स्वामी जी, जीसस क्राइस्ट की तरह थे।

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