Saturday, December 13, 2025

तानपुरा ही खराब हुआ है, तेरे सुर तो ठीक हैं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगर इंसान में लगन हो, तो वह अपनी प्रतिभा और लगन से वह सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही जीवन प्रसिद्ध संगीत साधिका गंगूबाई हंगल का रहा। गंगूबाई हंगल का जन्म कर्नाटक राज्य में 5 मार्च 1913 को एक केवट परिवार में हुआ था। उनके परिवार में देवदासी परंपरा थी। बचपन में गंगूबाई हंगल ने बहुत जातीय अपमान सहा। 

लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे। गरीबी अलग ही उनकी परीक्षा ले रही थी, लेकिन संगीत ने उन्हें समाज द्वारा किए गए अपमान से लड़ने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भरपूर सहायता की। शुरुआत में जब उन्होंने गायिकी शुरू की, तब समाज के लोगों ने गाने वाली कहकर ताने मारे, उपहास किया। एक बार की बात है, जब वह बचपन में तानपुरे पर गाने का अभ्यास कर रही थीं, तो तानपुरा बरसात में भीग जाने की वजह से खराब हो गया। नया तानपुरा खरीदने के पैसे भी नहीं थे। 


उन्होंने अपनी मां अंबाबाई से कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, रियाज कैसे करूं। अंबाबाई ने समझाते हुए कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, तो क्या हुआ। तेरा सुर तो ठीक है। इसके बाद गंगूबाई हंगल ने पुराने तानपुरे को किसी तरह ठीक-ठाक करके रियाज किया। धीरे-धीरे गंगूबाई हंगल की ख्याति बढ़ने लगी। लोग उनकी गायकी के मुरीद भी होने लगे। 

समय का फेर देखिए, बचपन में जातीय अपमान सहने वाली गंगूबाई को राजकीय सम्मान से नवाजा जाने लगा। गंगूबाई ने अपनी गायिकी को एक मुकाम तक पहुंचाया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, तानसेन पुरस्कार, कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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