बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
कहते हैं कि अभिमान व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। अभिमानी व्यक्ति को अपने कामकाज से पूरी संतुष्टि भी नहीं मिलती है। यही वजह है कि अभिमानी व्यक्ति कभी संतुष्ट नहीं रहता है। इस संदर्भ में एक रोचक कथा है। किसी राज्य का राजा पिछले काफी दिनों से अपने राजकाज से संतुष्ट नहीं हो पा रहा था। उसे हर काम अधूरा सा लगता था।पता नहीं क्यों, कुछ दिनों से उसे अपने राज्य और धन पर अभिमान होने लगा था। वह अहंकारी होता जा रहा था। वैसे तो राजा बहुत ज्ञानवान था। वह अपने भीतर घर करने वाली इन बुरी भावनाओं को लेकर सचेत था, लेकिन अहंकार को वह अपने से दूर नहीं कर पा रहा था। यही बात उसे परेशान किए हुए थी। वह इस समस्या से छुटकारा पाना चाहता था। एक दिन उसने अपने गुरु से अपनी समस्या बताते हुए समाधान बताने को कहा।
उसकी बात सुनकर उसके गुरुदेव कुछ देर तक मौन रहे। फिर बोले, राजन! तुम मेरी तीन बातों पर अमल करोगे, तो सुखी रहोगे। राजा ने कहा, बताइए गुरुदेव। मैं आपकी बात हर हालत में मानूंगा। गुरुदेव ने कहा कि पहली बात यह है कि तुम रात में मजबूत किले में रहना। दूसरी बात, स्वादिष्ट भोजना करना। और तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि सदा मुलायम बिस्तर पर सोना।
यह सुनकर राजा ने कहा कि ऐसे तो मैं और भी अहंकारी हो जाऊंगा। गुरु ने कहा कि तुम मेरी बात समझ नहीं पाए। पहली बात का अर्थ है कि तुम सदा अपने गुरु के साथ रहकर चरित्रवान बने रहना। दूसरी बात, कभी भरपेट भोजन मत करना, जो मिल जाए, उसे खा लेना। तीसरी बात, जैसा भी बिस्तर मिल जाए, उसी पर सोना, वह तुम्हें मुलायम लगेगी। यह सुनकर राजा ने वैसा ही करने का संकल्प लिया और कुछ दिनों बाद उसकी समस्या भी दूर हो गई।

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