Saturday, December 20, 2025

कानूनों का बेजा लाभ उठाने वाली महिलाओं को मिले कठोर सजा

अशोक मिश्र

दुष्कर्म किसी भी महिला के साथ किया गया सबसे जघन्य अपराध है। दुराचार का दंश उसे जीवन भर सालता रहता है। समाज भी उसी को दोषी मान बैठता है। हालांकि यह भी सही है कि समाज के बहुसंख्यक लोग पीड़िता को निर्दोष मानते हैं, लेकिन वह आरोपी के खिलाफ डटकर खड़े होने का साहस नहीं दिखा पाते हैं। यदि ऐसा हो, तो कोई भी किसी भी महिला या बच्ची के साथ छेड़छाड़, दुराचार या उसको ब्लैकमेल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगा। हमारे देश में ऐसे मामलों में पीड़िता को न्याय दिलाने केलिए कई सख्त कानून बनाए गए हैं। न्यायपालिका भी पीड़िता से सहानुभूति रखते हुए भी सबूत और गवाहों के बयान की रोशनी में न्याय करती है। 

लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि महिलाएं सख्त कानून का बेजा फायदा उठाने की कोशिश करती हैं। वह दुराचार का आरोप लगाकर निर्दोष व्यक्ति को भी सलाखों के पीछे भिजवा देती हैं। कई साल मुकदमा चलने और आरोपी के जेल में रहने के बाद पता चलता है कि महिला ने झूठा आरोप लगाया था। आरोपी तो निर्दोष था। इस प्रक्रिया में निर्दोष व्यक्ति कुछ साल तक जेल की सजा भुगतता है और समाज में उसकी बदनामी होती है, वह अलग। 

ऐसे ही दो मामले फरीदाबाद में सामने आए हैं। फरीदाबाद के जवाहर कालोनी में रहने वाली एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए अपने दोस्त पर चालीस बार विभिन्न होटलों में ले जाकर दुराचार करने का आरोप लगाया। ढाई साल तक चले मुकदमे में आरोपी युवक को जेल में ही रहना पड़ा। अदालत में महिला अपने साथ हुए दुराचार को साबित नहीं कर पाई। अदालत ने भी 14 लोगों की गवाही सुनने के बाद पाया कि पूरा मामला बेबुनियाद और फर्जी है। यहां तक कि लड़की की मां ने कथित पीड़िता के खिलाफ बयान दिया। ऐसा ही एक दूसरा मामला भी सामने आया। 

एक महिला ने एक युवक पर नशीला पदार्थ खिलाकर कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अदालत में जब मामला गया, तो महिला अपने बयान से मुकर गई। अदालत ने युवक को आरोपों से बरी कर दिया। इस तरह की घटनाएं साबित करती हैं कि कानून का फायदा उठाकर कुछ महिलाएं पुुरुषों को बेवजह जेल भिजवा देती हैं। नारियों की सुरक्षा और उनके सम्मान की रक्षा के लिए बनाए गए कानूनों का फायदा उठाकर किसी निर्दोष को जेल भिजवाने वाली महिलाओं को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि कोई ऐसा करने का साहस न करे। 

जो वास्तव में पीड़िताएं हैं, उनको जल्दी से जल्दी न्याय मिले, इसके लिए जरूरी है कि अदालतों में इस तरह के झूठे मामले न पहुंचें। अदालत पर ऐसे झूठे मुकदमे एक बोझ की तरह हैं और वास्तविक पीड़िताओं को न्याय मिलने मे ंदेरी का कारण बनते हैं।

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