अशोक मिश्र
जर्मनी के महान संगीतकार और पियानो वादक थे लुडविग वान बीथोवन। बीथोवन का जन्म 17 दिसंबर 1770 में हुआ था। वह जीवन भर स्वभावगत समस्याओं से जूझते रहे। जीवन भर अत्यंत शराब पीने की वजह से वह बुढ़ापे में लिवर सिरोसिस जैसी बीमारी से पीड़ित हो गए थे। उनका लिवर सिकुड़कर चौथाई रह गया था। कहा जाता है कि उनका पूरा परिवार शराब पीने के लिए काफी मशहूर था।
उनकी दादी भी खूब शराब पीती थीं। उनके पिता की तो ख्याति ही शराबी के रूप में थी। इसके साथ-साथ उन्हें जवानी में ही बहरेपन की बीमारी हो गई थी। बीथोवन की मृत्यु 26 मार्च 1827 में हो गई थी। कहा जाता है कि उनके अंतिम संस्कार के समय दस हजार लोग उपस्थित थे। जिनमें अपने समय के प्रसिद्ध संगीतकार, लेखक और गणमान्य लोग शामिल थे। एक बार की बात है।
वह कहीं जा रहे थे। रास्ते में एक झोपड़ी से एक लड़की उनकी बनाई धुन पर अभ्यास कर रही थी। वह लड़की दृष्टिहीन थी। सामने उसका पिता बैठा हुआ था। उस लड़की ने थोड़ी देर बात कहा कि पिता जी, कितना अच्छा होता कि इस धुन को बजाना सिखाने के लिए कोई संगीतकार होता। लड़की के पिता ने कहा कि हम गरीबों को कौन संगीतकार सिखाएगा। तब लड़की ने कहा कि पिताजी, मैं वायदा करती हूं कि एक दिन इस धुन को अच्छी तरह से बजाना सीख लूंगी।
बीथोवन ने झोपड़ी में घुसकर कहा, हटो, मैं तुम्हें यह धुन बजाना सिखाता हूं। उन्होंने एक घंटे तक धुन बजाई और उस लड़की को सिखाया। लड़की ने कहा कि इतना अच्छा बजाना तो वह संगीतकार भी नहीं सिखा सकता था जिसने यह धुन बनाई है। बीथोवन ने कहा कि यह मेरी धुन है जिसे तुम बजा रही थी। यह सुनकर लड़की की आंखों में आंसू आ गए।
No comments:
Post a Comment