Tuesday, May 27, 2025

दोहान और कृष्णावती नदी को फिर से जिंदा करने का सराहनीय प्रयास

अशोक मिश्र

पूरी दुनिया पेयजल संकट के दौर से गुजर रही है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है। पेयजल के उपभोक्ता बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन पेयजल की मात्रा घटती जा रही है। अब तो लोग कहने लगे हैं कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। यह बात किसी हद तक सही साबित हो रही है। भारत में ही कई प्रांत एक दूसरे से नदी जल के बंटवारे को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। 

हरियाणा और पंजाब का सबसे नया उदाहरण है। रावी-ब्यास नदी जल बंटवारे को लेकर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान आमने-सामने हैं। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड पर दबाव डालकर पंजाब ने हरियाणा के हिस्से का चार हजार क्यूसेक पानी रोक लिया है। वह हरियाणा के हिस्से का साढ़े आठ हजार क्यूसेक पानी देने को तैयार नहीं है। ठीक इसी तरह कावेरी नदी के जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी आपस में काफी वर्षों से लड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, कृष्णा नदी जल विवाद चार राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के बीच काफी समय से सुलझ नहीं पाया है। 

नर्मदा नदी के जल को लेकर गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र आपस में लड़ रहे हैं। गोदावरी के पानी को लेकर महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच चल रहे विवाद को अब तक सुलझाया नहीं जा सका है। महादेई नदी के पानी के बंटवारे को लेकर तीन राज्य कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र आपस में लड़ रहे हैं। आंध्र प्रदेश और ओडीसा के बीच पिछले कई वर्षों से वंशधारा नदी जल को लेकर चल रहा विवाद आज तक नहीं सुलझ पाया है। इतना ही नहीं, तीस्ता नदी के जल बंटवारे को लेकर दो देश भारत और बांग्लादेश आपस में कई प्रकार के समझौते कर चुके हैं, लेकिन उसका मुकम्मल हल नहीं निकल पाया है। 

हरियाणा ने पंजाब के पानी रोक देने के बाद से दक्षिण हरियाणा को होने वाले जल संकट से बचाने के लिए लगभग विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई दो नदियों को पुनर्जीवित करने जा रहा है। जल संकट की समस्या का स्थायी निदान यही है कि जो नदियां सूख गई हैं या जिनकी जलधारा संकुचित हो गई है, उनको बचाने का हर संभव प्रयास किया जाए। लोग नदी क्षेत्र में घर बना लेते हैं जिसकी वजह से नदियों को स्वाभाविक प्रवाह नहीं मिल पाता है।

 हरियाणा सिंचाई विभाग ने 45 साल पहले बंद हो गई दो नदियों दोहान और कृष्णावती को जवाहर लाल नेहरू नहर से जोड़कर उसे पुनर्जीवित करने की ठान ली है। इसके लिए जेएलएन नहर से 1600 एमएम की पाइप डालकर दोनों नदियों को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।


प्रतीकात्मक चित्र

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