संपत्ति को लेकर परिवार में विवाद होना आम बात है। देश के गांव से लेकर शहर तक संपत्ति विवाद के हजारों-लाखों मामले विभिन्न अदालतों में या तो विचाराधीन हैं या फिर उन पर सुनवाई हो रही है। कई बार तो संपत्ति के लिए भाई-भाई में झगड़े हो जाते हैं। कई बार तो यह झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि एक भाई दूसरे की हत्या तक कर देता है। संपत्ति का विवाद कई बार बहुत भयानक रुख अख्तियार कर लेता है। लेकिन हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से अपनी पार्टी के पोस्टर में पिता की तस्वीर लगाने को लेकर दो भाई आपस में लड़ रहे हैं। जननायक जनता पार्टी और इडियन नेशनल लोकदल दोनों हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो के पूर्व प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला की तस्वीर अपनी पार्टी के कार्यक्रमों में लगाने की जिद पर अड़े हुए हैं।
जजपा अध्यक्ष डॉ. अजय सिंह चौटाला और इनेलो अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला दोनों पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र हैं यानी दोनों सगे भाई हैं। ओम प्रकाश चौटाला भी पूर्व उप प्रधानमंत्री और किसानों के सबसे बड़े नेता चौधरी देवी लाल के सबसे बड़े पुत्र थे। ओम प्रकाश चौटाला के छोटे भाई रंजीत सिंह चौटाला, प्रताप सिंह चौटाला और जगदीश सिंह चौटाला हैं।
पिछले दिनों रोहतक में जजपा अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला ने घोषणा की थी कि वे अपनी पार्टी के कार्यक्रमों में अपने स्वर्गीय पिता ओम प्रकाश चौटाला की तस्वीर लगाएंगे। बस, पिता की तस्वीर के उपयोग के अधिकार को लेकर दोनों भाइयों में विवाद पैदा हो गया। दोनों ओर से बयानबाजी शुरू हो गई और इस बयानबाजी ने भाई-भाई के बीच की मर्यादा को भी छिन्न भिन्न कर दिया।
अभय चौटाला की घोषणा के बाद डॉ. अजय चौटाला ने कहा कि ये लोग इनेलो के गद्दार हैं। मेरे पैर में जूता है। इन्हें ओम प्रकाश चौटाला की तस्वीर लगाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। बात इतने पर ही नहीं खत्म हुई। अभय चौटाला इससे भी आगे बढ़ गए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग भले ही आठ अंगुल का जूता पहनते हों, लेकिन मेरे पैर में तेरह नंबर का जूता है। यह संवाद दो सगे भाइयों के बीच का है। दोनों भाइयों ने न केवल अपने पिता द्वारा स्थापित सामाजिक मर्यादा को तार-तार किया, बल्कि राजनीतिक स्तर को काफी नीचे गिरा दिया।
जब दो दलों के नेता एक दूसरे पर किसी प्रकार का आरोप लगाते हैं या तंज कसते हैं, तो थोड़ी बहुत राजनीतिक मर्यादा का पालन करते हैं। कोई भी बात ऐसी नहीं कहते हैं जिससे किसी का व्यक्तिगत अपमान हो। लेकिन पिछले एक दशक से देश का राजनीतिक माहौल काफी गंदा हो गया है। एक नेता दूसरे नेता को खुलेआम अपशब्द कह रहा है और उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।
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