अशोक मिश्र
हरियाणा में दुनिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी बनाने के सपने को विराम लग गया है। गुरुग्राम में छह हजार और नूंह में चार हजार एकड़ में बनने वाली जंगल सफारी का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। पांच सेवानिवृत्त वन अधिकारी और पीपुल फॉर अरावली जैसे पर्यावरण समूह ने जंगल सफारी के निर्माण पर आपत्ति जताई है। इन याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यदि जंगल सफारी के निर्माण की इजाजत दी गई, तो इससे संवेदनशील पारिस्थतिकी तंत्र को भारी नुकसान पहुंचेगा।
लोगों का आवागमन बढ़ने से अरावली क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतुओं का प्राकृतिक रहन-सहन बाधित होगा और उनके स्वाभाविक आवास भी नष्ट हो जाएंगे। इंसानों की भीड़ की वजह से अरावली क्षेत्र में रहने वाले जीवों को प्राकृतिक वातावरण नहीं मिलेगा, इससे उनके जैविक विकास को क्षति पहुंच सकती है। अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान और गुजरात के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। करीब 790 किमी लंबी पर्वत शृंखला जहां हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि यदि जंगल सफारी परियोजना को मंजूरी दी गई तो अरावली के पर्यावरण में बहुत ज्यादा नकारात्मक बदलाव आएगा जिसकी वजह से पारिस्थितिकी तंत्र में कमजोर होगा।
सुप्रीमकोर्ट में मामला चले जाने की वजह से पांच साल से चल रहे काम को रोक दिया गया है। परियोजना के खिलाफ याचिका दायर होने के बाद वन विभाग और वन्य जीव विभाग ने काम आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। वैसे जंगल सफारी परियोजना का उद्देश्य अरावली क्षेत्र में पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा देना था। इसके अलावा यह भी सही है कि जंगल सफारी शुरू होने पर प्रदेश के काफी लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार भी मुहैया होता। इससे लोगों की आय में वृद्धि होती।
राज्य सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होती। परियोजना पर फिलहाल रोक लग जाने से लोगों के रोजगार हासिल होने और राजस्व प्राप्त होने के सपने फिलहाल धक्का लगा है। प्रदेश सरकार ने कोर्ट में यह भी कहा था कि वह सफारी को तीन हजार एकड़ में ही बनाने को तैयार है, लेकिन कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज करते हुए फैसला होने तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है।
यह भी सही है कि अरावली क्षेत्र में लोगों का हस्तक्षेप पिछले कुछ वर्षों में बहुत अधिक बढ़ गया था। अरावली के प्रतिबंधित क्षेत्र में भी कुछ लोगों ने अवैध रिसार्ट, मैरिज प्वाइंट आदि बना लिए थे। छह महीने पहले ही सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर काफी संख्या में अवैध निर्माण को हटा गया है। यही नहीं, अरावली क्षेत्र को खनन माफियाओं ने बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया है।

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