अशोक मिश्र
हरियाणा में लगभग जीत हुआा विधानसभा चुनाव हारने के बाद लगा था कि अब कांग्रेसी अपनी गलतियों से सबक सीखेंगे और एकजुट होकर काम करेंगे, ताकि भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल हो सके। हालांकि अगले विधानसभा चुनाव में अभी लगभग चार साल बाकी हैं। यदि कांग्रेस एकजुट होकर प्रयास करे, तो इस बार की पराजय को अगली बार विजय में तब्दील हो सकती है। लेकिन एकजुटता और अनुशासन शायद हरियाणा कांग्रेस के नेताओं ने सीखा ही नहीं है या फिर इनका अहं पार्टी के अस्तित्व से भी कहीं ज्यादा अहमियत रखता है।तभी तो हरियाणा के नेता अपनी जिद और अहंकार को पार्टी से भी ऊपर रखते हैं। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की बार-बार की चेतावनी को दरकिनार करते हुए हरियाणा के नेता बार-बार एक दूसरे से टकरा रहे हैं। इससे परेशान होकर कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी का गठन किया था। कमेटी की आज पहले चरण की बैठक अंबाला में होनी है।
बैठक के नतीजे तो अभी सामने नहीं आए हैं, लेकिन डर यह है कि कहीं यह अनुशासनात्मक कार्रवाई कमेटी भी गुटबाजी का अड्डा बनकर न रह जाए। प्रदेश में गुटबाजी इस कदर व्याप्त है कि जिस सांसद, विधायक या प्रदेश स्तरीय नेता के इलाके में कोई कार्यक्रम होता है, तो वह अपने गुट के हिसाब से ही पोस्टर, होर्गिंग्स या बैनर पर नेताओं के फोटो लगवाता है। 18 नवंबर को जब हिसार में वोट चोर, गद्दी छोड़ अभियान चलाया गया, तो उसके पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स से कुमारी शैलजा की तस्वीर गायब थी। कुमारी शैलजा कांग्रेस की सांसद हैं और दलित नेताओं में एक बड़ा चेहरा हैं।
हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह यह बात बिल्कुल साफ कर चुके हैं कि पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स पर राष्ट्रीय नेताओं के अलावा राज्य के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं की तस्वीरें जरूर लगाई जाएंगी। इसके बावजूद कई जगहों पर पोस्टरों में नेताओं की तस्वीरें गायब दिखाई देती हैं। अंबाला में अनुशासन कमेटी की बैठक के बाद हो सकता है कि कुछ कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा होता है, तो निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक अच्छा कदम होगा।
इससे उन लोगों को संदेश मिलेगा, जो पार्टी लाइन से अलग हटकर काम कर रहे हैं। किसी भी पार्टी की लोकप्रियता इस बात पर निर्भर करती है कि वह लोगों से कितनी जुड़कर काम करती है। उसके नेता किस तरह अनुशासित होकर काम करते हैं। उस पार्टी में कोई आंतरिक कलह है या नहीं। एक ही पार्टी के दो या तीन नेता जब आपस में लड़ रहे हों, तो वह प्रदेश की जनता को संयुक्त होकर लड़ने की सलाह किस मुंह से दे सकते हैं।


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