Sunday, June 1, 2025

हजारों बेटों को बचाने के लिए दी बेटे की बलि

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

स्पेन के राजा अल्फांसो का जन्म 17 मई 1886 को मैड्रिड में हुआ था। इनके पिता की मौत सत्ताइस वर्ष की अल्प आयु में हो गई थी। पिता की मौत के बाद इनका जन्म हुआ था। अल्फांसो का पालन पोषण मां मारिया क्रिस्टीना ने किया था। जब यह सोलह साल के हुए, तो इनको विधिवत राजा के अधिकार सौंपे गए। राजा अल्फांसो अपने को उदारवादी शासक मानते थे। राजा अल्फांसो की मृत्यु 28 फरवरी 1941 को इटली में हुई थी। 

एक बार की बात है। स्पेन के पड़ोसी राजा ने अल्फांसो के राज्य पर हमला कर दिया। दोनों ओर की सेनाएं बड़ी बहादुरी से लड़ीं। दोनों एक दूसरे को हराने के लिए जी जान से लगे हुए थे। अल्फांसो भी एक वीर पुरुष थे और उन्होंने कभी किसी युद्ध में हार नहीं मानी थी। लेकिन इसी बीच हुआ यह कि शत्रु देश के राजा ने अल्फांसो के बेटे को धोखे से बंदी बना लिया। 

स्पेन पर हमला करने वाले राजा ने सोचा कि इससे अल्फांसों का मनोबल टूट जाएगा। यह सोचकर वह राजा अल्फांसो के बेटे को फांसी चढ़ाने के लिए एक ऊंची पहाड़ी पर ले गया। उसने बेटे को फांसी चढ़ाने से पहले अल्फांसो के पास एक संदेश भिजवाया कि उसके पास अब केवल दो ही रास्ते बचें हैं। पहला यह कि वह आत्म समर्पण कर दे और अपने बेटे को बचा ले। 

दूसरा यह कि वह अपने बेटे को मरने दे और जंग करे। जब शुत्र राजा का दूत अल्फांसो के पास यह संदेश लेकर गया, तो अल्फांसो ने तत्काल निर्णय लेते हुए कहा कि वह अपने राज्य के हजारों बेटों की जान बचाने के लिए अपने बेटे की बलि दे सकता है। अल्फांसो का यह जवाब सुनकर लोग और शत्रु राजा आश्चर्यचकित रह गए। शत्रु राजा ने तत्काल उनके बेटे को जीवन दान दे दिया और जंग खत्म करके अपने राज्य लौट गया।

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