Monday, June 2, 2025

फकीर से कराया राजकुमारी का विवाह

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

ईरान का पुराना नाम फारस है। भारत और फारस के बीच संबंध बहुत पुराना है। भारतीय और फारसी व्यापारी ईसा से कई सौ साल पहले से ही एक दूसरे के देश में आने जाने लगे थे। यह भी माना जाता है कि भारत में  आने वाले आर्य वास्तव में ईरानी ही थे। 

कुछ इतिहासकार आर्यों को भारत का ही मूल निवासी बताते हैं। सच क्या है? यह शोध का विषय है। ईरान से ही जुड़ा एक प्रसंग है। कहा जाता है कि ईरान का शासक शाह जूसा बहुत ही दयालु और सूफी प्रवृत्ति का था। वह अपनी प्रजा का बहुत ख्याल रखता था। उसकी पुत्री भी संत प्रवृत्ति की थी। राजकुमारी बहुत सुंदर थी। ऐसे में आसपड़ोस के राजाओं के विवाह के लिए प्रस्ताव बहुत आए, लेकिन राजा ने सभी प्रस्तावों को यह कहकर मना कर दिया कि मेरी बेटी किसी संत पुरुष से विवाह करना चाहती है। 

राजा शाह जूसा ने कई फकीरों को देखा, लेकिन उसे एक युवा फकीर पसंद आया। राजा ने फकीर के सामने जब विवाह का प्रस्ताव रखा, तो वह बहुत चकित हुआ। उसने कहा कि मैं विवाह तो करना चाहता हूं, लेकिन मुझ गरीब फकीर को अपनी बेटी कौन देगा? 

राजा ने कहा कि मेरी बेटी से विवाह करोगे? फकीर ने उत्तर दिया कि कहां आप ईरान के राजा और कहां मैं एक फकीर। मुझ से राजकुमारी क्यों विवाह करेगी। राजा ने बड़ी सादगी से उस फकीर का अपनी बेटी से विवाह करा दिया। जब राजकुमारी विवाह के बाद फकीर की झोपड़ी में पहुंची तो वहां रोटियां का ढेर देखकर बोली, क्या आपको कल पर भरोसा नहीं है? 

फकीर ने कहा कि कुछ रोटियां बच रही थीं, तो मैंने सोचा कि कल के लिए रख लूं। तब राजकुमारी ने कहा कि तुम कैसे फकीर हो? तुम्हें कल पर भरोसा नहीं है। यह सुनकर फकीर ने रोटियां जानवरों को खिला दी और दोनों सुख से रहने लगे।

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