अशोक मिश्र
हिंदी और उर्दू के सबसे लोकप्रिय साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। हिंदी साहित्य में कथा सम्राट कहकर उन्हें बड़े आदर के साथ याद किया जाता है। प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। प्रेमचंद को प्रगतिशील साहित्यकार माना जाता है। उनकी कई कहानियां और उपन्यास तात्कालिक समाज का आईना हैं। उन्होंने जीवन में कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
यही वजह है कि वह आजीवन कष्ट का सामना करते रहे। प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों का एक बहुत बड़ा पाठक समुदाय था। उनकी इस लोकप्रियता को भुनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर विलियम मैल्कम हेली ने उन्हें राय साहब की उपाधि से विभूषित करने का फैसला किया। गवर्नर हेली ने इसके लिए बाकायदा एक पत्र मुंशी प्रेमचंद को भेजा।
पत्र पाने के बाद भी मुंशी प्रेमचंद इसकी किसी से चर्चा नहीं की। यह बात किसी तरह उनकी पत्नी को पता चल गई। उन्होंने प्रेमचंद से पूछा कि रायसाहबी के बदले कुछ देंगे भी कि खाली तमगा पकड़ा देंगे। प्रेमचंद की पत्नी का मतलब धन से था। प्रेमचंद अपनी पत्नी की बात सुनकर सारा माजरा समझ गए, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं यह उपाधि नहीं ले सकता हूं।
प्रेमचंद ने गवर्नर हेली को पत्र का जवाब देते हुए लिखा कि मैं यह उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता हूं क्योंकि मैं जनता की रायसाहबी तो स्वीकार कर चुका हूं तो ब्रिटिश हुकूमत की रायसाहबी कैसे स्वीकार कर सकता हूं। उनका यह जवाब सुनकर गवर्नर विलियम मैल्कम हेली आश्चर्यचकित रह गए। एक बार मिलने पर हेली ने मुंशी प्रेमचंद को सादर नमन किया।
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