अशोक मिश्र
अंग्रेजों ने हमारे देश पर लगभग दो सौ साल तक शासन किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पर निर्मम अत्याचार किए। लोगों के घर, मकान,जमीन जायदाद तक कुर्ककरके नीलाम कर दिए। अंग्रेजी शासन का विरोध करने वालों को फांसी और आजीवन कारावास जैसी सजाएं दी गईं। खेती और व्यापार पर अत्यधिक टैक्स लगाकर उन्हें बरबाद करने की कोशिश की गई ताकि लंदन से आया हुआ माल बिके। इसके बावजूद भारतीय लोग अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। बात 1928 की है।
उन दिनों अंग्रेजों का अत्याचार चरम सीमा पर था। अंग्रेज देश के क्रांतिकारियों को पकड़कर जेल में डाल रहे थे, उन्हें मौत की सजाएं दे रहे थे और किसानों पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लाद रहे थे ताकि वे क्रांतिकारियों की मदद करने की हिम्मत न जुटा सकें। गुजरात के सूरत जिले में बारडोली जैसे कस्बे में किसानों से अंग्रेजों का यह अन्याय सहन नहीं हुआ। उन्होंने अंग्रेजों के खि
लाफ हल्ला बोल दिया क्योंकि गुजरात में उस साल सूखा पड़ा था और फसलें बरबाद हो गई थीं।
उसके बावजूद अंग्रेजों ने खेतों के लगान में 22 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी। नतीजा यह हुआ कि किसानों ने अंग्रेजों को लगान देना बंद कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को जब यह जानकारी मिली, तो वह बारडोली पहुंचे और किसानों का उत्साह बढ़ाया। वह किसानों के बीच रोज जाते थे। इस पर अंग्रेजों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल से कहा कि आप किसानों को भड़का रहे हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि किसान अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। अन्याय के खिलाफ खड़े होना अगर कानून तोड़ना है, तो मैं कानून तोड़ रहा है। इसके बाद अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और लगान को माफ करना पड़ा।
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