Monday, June 2, 2025

केंद्र और राज्य सरकार ने दिया प्राकृतिक खेती का संदेश

अशोक मिश्र

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान पानीपत जिले के सिवाह गांव पहुंचे। 31 मई को सिवाह गांव पहुंचने पर उन्होंने कुछ किसानों से बातचीत भी की। उनसे खेती और फसल उत्पादन के संबंध में बातचीत भी की। बातचीत के दौरान प्राकृतिक खेती पर भी विचार विमर्श किया गया। प्रगतिशील किसान राम प्रताप शर्मा से प्राकृतिक खेती के संबंध में बातचीत करके उन्होंने प्रदेश के प्रत्येक किसान को संदेश देने का प्रयास किया कि यदि वह प्राकृतिक खेती में रुचि लेते हैं, तो उनकी आय वर्तमान से ज्यादा हो सकती है। 

प्राकृतिक रूप से उपजाई गई फसलों की कीमत रासायनिक खाद का उपयोग करके उपजाई गई फसलों से कहीं ज्यादा होता है। प्राकृतिक खेती काफी मुनाफा देती है। केंद्र और प्रदेश सरकार पिछले कई वर्षों से किसानों को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि प्राकृतिक खेती करने से एक तो मुनाफा बढ़ेगा और स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाली समस्याओं से भी निजात मिलेगी।

 रासायनिक खादों का उपयोग करने से फसल में ऐसे रसायन भी चले जाते हैं, जो कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनते हैं। कैंसर, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसे घातक रोगों का कारण फसलों के माध्यम से शरीर में पहुंचा रसायन है। इसके सुखद परिणाम भी देखने को मिल रहा है। प्रदेश के किसान अब प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। राज्य के एक बड़े भूभाग पर अब प्राकृतिक खेती होने लगी है। कुछ सप्ताह पहले ही यह तय किया गया है कि कैथल में 54  एकड़ पंचायती जमीन पर प्राकृतिक खेती की जाएगी। इसके लिए सरकार ने जमीन भी चिन्हित कर ली है। 

सैनी सरकार ने तय किया है कि अगले दो वर्षों में प्राकृतिक खेती मिशन को राज्य के इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15 हजार समूहों में लागू किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रदेश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ से परिचय कराया जाएगा। प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए आगामी पांच जून को एक कार्यक्रम रखा गया है। हमारे देश में प्राचीनकाल में प्राकृतिक खेती ही की जाती थी। 

खेत की जुताई के बाद फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए खरपतवार को सड़ा-गलाकर बनाई गई खाद और पशुओं का गोबर का उपयोग किया जाने लगा था। खरपतवार और गोबर का उपयोग सदियों से होता आ रहा है, लेकिन जब बीसवीं सदी में रासायनिक खादों  का उत्पादन शुरू हुआ, तो प्राकृतिक खेती का रकबा कम होता गया। नतीजा यह हुआ कि रासायनिक खाद का उपयोग करके अधिक से अधिक अन्न उत्पादन की लालसा किसानों में पैदा होने लगी। इसका नतीजा यह हुआ कि इंसानों में कई तरह की बीमारियां फैलने लगीं।

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