Friday, June 13, 2025

अब्राहम लिंकन की सज्जनता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अब्राहम लिंकन अमेरिका के बारहवें राष्ट्रपति थे। वह बहुत गरीब परिवा से उठकर अमेरिका के राष्ट्रपति पद तक पहुंचे थे। उन्होंने वकालत पास की थी और जब भी मौका मिलता था, तो वह गरीबों का मुकदमा बिना फीस लिए लड़ते थे। अमेरिका में दास प्रथा को खत्म करने का श्रेय अब्राहम लिंकन को ही दिया जाता है। अमेरिका से दास प्रथा को खत्म करने के लिए उन्हें बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था। अमेरिका का संप्रभु वर्ग अपने गुलामों के साथ बहुत ज्यादा अत्याचार किया करता था। 

बात तब की है, जब वह अमेरिका के राष्ट्रपति थे। एक बार वह अपनी पत्नी के साथ घूमने निकले। अमेरिका की सड़कों पर राष्ट्रपति को देखकर लोग उनका अभिवादन करते और उन्हें अपनी समस्याएं सुनाते। लोग अपनी समस्याएं बताते समय उसे दूर करने का अनुरोध करते। 

लिंकन सबसे मिलते-जुलते हुए आगे बढ़ रहे थे। लोगों की भीड़ थी कि वह बिना किसी प्रकार का संकोच किए उनके पास पहुंच रही थी और उनसे बात कर रही थी। लिंकन की लोकप्रियता भी काफी थी। आगे जाने पर उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग किसान अपने सिर पर अनाज की बोरी लिए चला जा रहा है। 

उसने अपने देश के राष्ट्रपति की ओर नहीं देखा। जब उसने राष्ट्रपति को देखा ही नहीं, तो अभिवादन करने का सवाल ही नहीं था। यह देखकर लिंकन की पत्नी को बहुत बुरा लगा। उन्होंने कहा कि इस बूढ़े को देखो, कितना अभिमानी है। उसने हमारा अभिवादन तक नहीं किया। 

तब लिंकन ने कहा कि उसका हमें अभिवादन करना चाहिए क्योंकि उसकी मेहनत पर ही हमें खाना मिलता है। इसके लिंकन दंपति वापस लौटे और उस किसान का उचित सम्मान करते हुए अभिवादन किया। उसके घर लौटने की व्यवस्था की।

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