पिछले दिनों मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसका प्रभाव पंजाब की राजनीति में पड़ना अवश्यंभावी माना जा रहा है। सन 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे। देश में एक बड़ी संख्या में उन्मादी भीड़ ने सिख परिवारों को अपना शिकार बनाया था। काफी संख्या में सिख इन दंगों में मारे गए थे। हरियाणा भी इससे अछूता नहीं रहा था। कई दिनों तक जलती रही सांप्रदायिकता की आग में हरियाणा के 121 सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इसके अलावा काफी संपत्ति का नुकसान हुआ था। उन्मादियों ने मकान और दुकान फूंक दिए थे।
मुख्यमंत्री सैनी ने अब उन 121 परिवारों के एक सदस्य को उनकी सहमति से प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने की घोषणा की है। पीएम सैनी के इस फैसले को पंजाबी मतदाताओं को रिझाने की एक कोशिश माना जा रहा है। पंजाब में भाजपा की अभी तक अपनी जड़ें नहीं जमा पाई है। पिछले कई दशकों से जब भी उसे सत्ता में भागीदार होने का मौका मिला, तब उसे शिरोमणि अकाली दल के साथ समझौता करना पड़ा। अब शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के रास्ते अलग अलग हैं।
पंजाब में सन 2027 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। शिअद से अलग हो जाने के बाद भाजपा के लिए पिछली सीटों से अधिक सीटें जीतना आसान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में पंजाब के फिरोजपुर, मुक्तसर, मानसा, बठिंडा, संगरूर, पटियाला और मोहाली जैसे शहरों में हरियाणा की गतिविधियों का प्रभाव पड़ता है। यह सभी शहर हरियाणा से सटे हुए हैं। यही वजह है कि इन शहरों में भाजपा को अपनी जड़ें जमाने में सहायता प्रदान करने के लिए 84 के दंगा पीड़ित परिवारों को नौकरी देने का फैसला किया है। इससे उम्मीद है कि पंजाब के सिख भाजपा से जुड़ेंगे।
यही नहीं, सीएम सैनी ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें शहीदी दिवस को हरियाणा में गरिमापूर्ण ढंग से मनाने का फैसला किया है। गुरु साहिब अपनी विभिन्न यात्राओं के दौरान कुरुक्षेत्र, पिहोवा, कैथल, जींद, अंबाला, चीका और रोहतक आए थे। यहां उन्होंने संगत को अपनी अमृत वाणी से निहाल किया था। इन स्थानों का ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इन स्थानों पर शहीदी दिवस पर होने वाले आयोजन से भाजपा को हरियाणा और पंजाब में सिख परिवारों को अपने साथ जोड़ने का मौका मिलेगा। इससे दोनों राज्यों में सिख परिवारों के बीच भाजपा की पैठ बढ़ेगी। वैसे भी सन 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पारियां सजानी शुरू कर दी है। सीएम सैनी भी यही कर रहे हैं।
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