Saturday, August 9, 2025

रक्षाबंधन पर्व पर घर पर बनी मिठाइयां ही भाइयों को खिलाएं

अशोक मिश्र

आज रक्षाबंधन है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनके लंबे जीवन की कामना करेंगी। भाई और उसका परिवार हमेशा सुखी, समृद्ध और स्वस्थ रहे, यही हर बहन की कामना होती है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई का टीका करने और रक्षासूत्र बांधने के बाद मिठाई खिलाती हैं। भाई-बहन के इस पवित्र प्रेम के पर्व को बाजार भुनाने की कोशिश करता है। रक्षाबंधन सदियों से हमारे देश में मनाया जा रहा है। यह सनातन धर्म का एक प्रसिद्ध पर्व है, लेकिन पिछले दो-तीन दशक में बाजार ने कुछ इस तरह घुसपैठ की है कि इसका मूल स्वरूप ही बदलता जा रहा है। 

पहले बहनें अपने भाई की कलाई पर पतले धागे के रूप में रक्षा सूत्र बांधती थीं, लेकिन अब महंगी-महंगी राखियों का चलन हो गया है। विभिन्न धातुओं और प्लास्टिक के मेल से बनी राखियां हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। हरियाणा का पर्यावरण पहले से ही काफी खराब हो चुका है। ऐसी स्थिति में महंगी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली राखियों के बदले यदि बहनें अपने भाइयों की कलाई पर हमारी पुरातन पहचान रक्षा सूत्र बांधने को प्रमुखता दें, तो बहुत ही अच्छा होगा। 

इस अवसर पर बाजार से खरीदी गई मिठाइयों को उपहार के रूप में देने का भी चलन हो गया है। पहले रक्षाबंधन के अवसर पर विवाहित बहनें अपनी ससुराल से घर पर ही मिठाइयां बनाकर लाती थीं। अविवाहित बहनें भी घर पर ही मिठाई बना लिया करती थीं। इसी मिठाई का उपयोग भाई का मुंह मीठा करने में होता था। घर में बनी मिठाई की शुद्धता परखने की जरूरत ही नहीं होती थी। कुछ किस्म की मिठाइयां जल्दी खराब हो जाती हैं, तो कुछ दिनों तक टिकती हैं। इसी हिसाब से मिठाइयों का सेवन किया जाता था कि मिठाई खराब न होने पाए। लेकिन अब सब कुछ बाजार पर निर्भर हो गया है। 

बाजार ने इस मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। कई दिनों पहले बनी मिठाइयों को आकर्षक डिब्बों और पैकिंग में सजाकर रख दिया जाता है। इन मिठाइयों को बनाने में स्वच्छता का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। मिठाइयों में मक्खी, मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े गिर जाते हैं, तो उन्हें निकालकर मिठाई बेच दी जाती है। कई दिनों की बासी मिठाई को ताजी बताकर दुकानदार बेच देते हैं। 

ऐसी मिठाइयां खाकर लोग बीमार पड़ जाते हैं। मिठाइयों पर सिल्वर फॉयल के नाम पर एल्यूमिनियम फॉयल लगा दी जाती है जिससे कई तरह के गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में जरूरी यह है कि मिठाइयों की खरीदारी करते समय सावधानी बरती जाए। बासी और रसायनों से बनी मिठाइयों को खरीदने से परहेज किया जाए। बेहतर होगा कि घर पर बनी मिठाइयों का ही सेवन किया जाए।

1 comment:

  1. सच हमारे पर्व त्यौहार पर ये बाजारवाद इस तरह हावी हो गया है कि हम अपने पर्व त्यौहारों के पीछे छिपे स्नेह शुचिता के मूल उद्देश्य को ही भूला दिए जा रहे है ।

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