अशोक मिश्र
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बात की थी अनुशीलन समिति की। अनुशीलन समिति हिंदुस्तान के क्रांतिकारियों का एक ऐसा संगठन था जिसकी भूमिका हिंदुस्तान के स्वाधीनता संग्राम बहुत अधिक रही। हिंदुस्तान के ज्यादातर क्रांतिकारियों ने अनुशीलन समिति से प्रेरणा लेकर स्वाधीनता की अलख जगाई, शहीद हुए, कालापानी भेजे गए। अंग्रेजों की असहनीय यातनाएं झेली। अगर हिंदुस्तान के स्वाधीनता संग्राम से अनुशीलन समिति वाला हिस्सा निकाल दें, तो जो बचता है, वह संपूर्ण इतिहास का दस-बीस प्रतिशत ही बचता है।
अनुशीलन समिति के गठन की प्रेरणा स्वामी विवेकानंद ने दी थी। आप याद करें, जिन दिनों भारत गुलाम था, उस गुलामी के दौर में कठोपनिषद के श्लोक ‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।’ (उठो, जागो, और जानकार श्रेष्ठ पुरुषों के सान्निध्य में ज्ञान प्राप्त करो। विद्वान् मनीषी जनों का कहना है कि ज्ञान प्राप्ति का मार्ग उसी प्रकार दुर्गम है जिस प्रकार छुरे के पैना किये गये धार पर चलना।) उठो, जागो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो कहने वाले स्वामी विवेकानंद ने भले ही सक्रिय रूप से आजादी की लड़ाई में भाग न लिया हो, लेकिन विचारों, कर्म और आचरण से वे क्रांतिकारियों के हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे।
कठोपनिषद के इस श्लोक ने कि उठो! जागो और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो की उक्ति ने बंगाल के युवाओं को काफी प्रभावित किया। बंगाल के क्रांतिकारियों को संगठित और एकत्रित करने का महत्वपूर्ण कार्य स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से भगिनी निवेदिता, बैरिस्टर प्रमथनाथ मित्र और पुलिन बिहारी दास ने किया। स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा, भगिनी निवेदिता के संयोजन और बैरिस्टर प्रमथनाथ मित्र और पुलिन बिहारी दास के नेतृत्व में महान क्रांतिकारी दल अनुशीलन समिति का गठन किया गया।
इस दल का लक्ष्य और उद्देश्य मनुष्य में मनुष्यत्व का विकास करना था। चूंकि गुलामी में मनुष्यत्व का विकास करना संभव नहीं होता है, इसलिए तात्कालिक लक्ष्य राष्ट्रीय जन क्रांति और ब्रिटिश साम्राज्यावादी गुलामी की जंजीर को तोड़ फेंकना बनाया गया। अनुशीलन समिति के सदस्यों का मानना था कि मनुष्य का शरीर और मन ही संपूर्ण मनुष्य होता है। मनुष्य की शारीरिक और मानसिक वृत्तियों का पूर्ण विकास ही मनुष्यत्व है जिसे अनुशीलन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
बैरिस्टर प्रमथनाथ मित्र और पुलिन बिहारी दास के साथ-साथ यतींद्रनाथ मुखर्जी (जो बाघा जतिन के नाम से प्रसिद्ध थे), रास बिहारी बोस, तारक नाथ दास, नानी गोपाल सेनगुप्त, नरेंद्र भट्टाचार्य (मानवेंद्र नाथ राय के नाम से विख्यात) आदि की अनुशीलन समिति के गठन और संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका रही। अनुशीलन समिति का गठन कलकत्ता और ढाका में हुआ। बाद में इसका प्रसार बंगाल के गांवों तक हुआ। उन दिनों क्रांतिकारियों की पूरे बंगाल में दो संगठन प्रमुख रूप से सक्रिय थे। अनुशीलन समिति और युगांतर। दोनों एक दूसरे से स्वतंत्र रूप से सक्रिय थे। युगांतर के गठन में सबसे बड़ी भूमिका वारींद्रनाथ घोष (बारीन घोष नाम से विख्यात) और भूपेंद्र नाथ दत्त रही है। वारींद्र नाथ घोष के बड़े भाई प्रसिद्ध आध्यात्मवादी अरविंद घोष थे।
वहीं भूपेंद्र नाथ दत्त के बड़े भाई स्वामी विवेकानंद थे। बारीन घोष ने युगांतर नाम से बंगाल में एक अखबार भी निकाला था। युगांतर संगठन का बाद में कांग्रेस में विलय हो गया था। सन 1905 में जब लार्ड कर्जन ने बंग भंग की घोषणा की, तो पूरे बंगाल को अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने और जागरूक करने में अनुशीलन समिति और युगांतर की बहुत बड़ी भूमिका रही। बाद में मजबूर होकर लार्ड कर्जन को बंग-भंग योजना को वापस लेना पड़ा।
यह बात भी सही है कि अनुशीलन समिति ने बंगाल से बाहर किसी भी क्रांतिकारी गतिविधि को अंजाम नहीं दिया। लेकिन उसके सदस्य किसी न किसी रूप में बंगाल से बाहर बिहार, उत्तर प्रदेश (तब संयुक्त प्रांत), पंजाब आदि लगभग सभी प्रदेशों में सक्रिय रहे। अनुशीलन समिति ने ही संयुक्त प्रांत में शचींद्र नाथ सान्याल, योगेश चंद्र चटर्जी और केशव प्रसाद शर्मा को भेजा था। शचींद्र नाथ सान्याल और योगेश चंद्र चटर्जी के ही विप्लवी प्रयास से अनुशीलन समिति की एक शाखा के रूप में हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (एचआरए) का गठन 1924 में हुआ था।
एचआरए के गठन से पहले इसका फैसला त्रिपुरा जिले (अब बांग्लादेश में) ब्रह्मबेरिया सब डिवीजन के भोलचन्ना गांव में अनुशीलन समिति के नेताओं नरेद्र मोहन सेन, शचींद्र नाथ सान्याल, प्रतुल गांगुली और त्रैलोक्य नाथ चक्रवर्ती ‘महाराज’ की सहमति से लिया गया था। बाद में जब प्रख्यात क्रांतिकारी और शहीद चंद्रशेखर आजाद और शहीदे आजम सरदार भगत सिंह के नेतृत्व में जब एचआरए को एचएसआरए (हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक आर्मी) के रूप में रूपांतरित किया गया, तो इसमें अनुशीलन समिति की सहमति रही। अनुशीलन समिति ने अपने तमाम नेताओं को एचएसआरए में भेजकर क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया और संगठन खड़ा किया। आजाद हिंद फौज का गठन करने वाले रास बिहारी बोस भी अनुशीलन समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे थे।
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