Sunday, November 23, 2025

सच्चे मन से प्रयास करने वाला सफल होता है

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

रामकृष्ण परमहंस काली माता के भक्त थे। उनकी मां काली पर अगाध श्रद्धा थी। वह सर्वधर्म समभाव के हिमायती थे। उनका कहना था कि एक लक्ष्य तक पहुंचने के लिए जिस तरह कई रास्ते हो सकते हैं। ठीक उसी तरह अपने आराध्य तक पहुंचने में वेदांत के साथ-साथ ईसाई और मुस्लिम धर्म सहायक हो सकते हैं। 

रामकृष्ण परमहंस के ही शिष्य थे स्वामी विवेकानंद जिन्होंने अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में सनातन धर्म की पताका लहराई थी। एक बार की बात है। परमहंस अपने शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि कुछ मछुआरे जाल डालकर मछली पकड़ रहे हैं। 

परमहंस कुछ पल रुककर यह क्रिया देखने लगे। फिर उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि जाल में फंसी मछलियों को देखो और फिर बताओ कि यह मछलियां जाल में फंसने के बाद क्या कर रही हैं? सभी शिष्यों ने ध्यान से देखा और फिर एक शिष्य बोला कि गुरु जी! कुछ मछलियां तो चुपचाप पड़ी हैं। कुछ छटपटा रही हैं और कुछ जाल से निकलने का प्रयास कर रही हैं। 

कुछ तो निकल भी गई हैं। यह सुनकर परमहंस ने कहा कि इन मछलियों की तरह इंसान भी तीन तरह के होते हैं। जब कोई विपदा आ जाती है, तो शांत पड़ी मछलियों की तरह वे लोग हार मान लेते हैं। वहीं कुछ लोग उछलने वाली मछलियों की तरह प्रयास तो करते हैं, लेकिन वे पूरे मन से प्रयास नहीं करते हैं। कुछ लोग तो बाहर निकल जाने वाली मछलियों की तरह तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ते हैं, जब तक कि वह अपने प्रयास में सफल नहीं हो जाते हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि मनुष्य तीन तरह के होते हैं। जो सच्चे मन से प्रयास करता है, वही सफल होता है।

1 comment:

  1. रामकृष्ण परमहंस की रोचक तथा प्रेरणापद कथा

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