Saturday, March 29, 2025

 हमास के खिलाफ सड़कों पर उतरी युद्ध से थकी हारी फिलिस्तानी जनता

अशोक मिश्र
गाजा में तीन जगहों पर मंगलवार को हमास के खिलाफ प्रदर्शन हुए। हजारों लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया। इस प्रदर्शन में भाग लेने वालों के चेहरे पर गुस्सा था, दुख था, युद्ध के दौरान अपनों के मारे जाने का दर्द साफ बयां हो रहा था। आंखें अपने परिजनों को खोज रही थीं। गाजा में पिछले लगभग डेढ़ साल से चल रहे युद्ध से लोग अब थक चुके हैं। उनमें अब इतना भी साहस नहीं बचा है कि वह और अपने किसी को खोने का दुख बर्दाश्त कर सकें। यही वजह है कि मंगलवाल यानी 25 मार्च को उनके सब्र का बांध टूट पड़ा और वे सड़कों पर उतर आए। अब उन्हें हमास आतंकवादी संगठन लगने लगा है। 7 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया था, तब यही वह लोग थे जिन्होंने हमास के हमले का खुलकर विरोध नहीं किया था। यदि उन्होंने तब यह साहस दिखाया होता, तो शायद यह नौबत नहीं आती।
पिछले डेढ़ साल में गाजा में अरबों डॉलर की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। संकट इतना गहरा गया है कि पूरे इलाके में न तो ढंग का कोई अस्पताल बचा है, न खाने को अन्न मिल रहा है, न पीने को पानी। ऊपर से सिर पर पता नहीं कब मिसाइल आकर दग जाने का खतरा मंडराया करता है। वैसे इजरायल को भी कम नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन उसे अमेरिका सहित यूरोपीय देशों की हर तरह से मदद मिल रही है। आर्थिक मदद के साथ हथियार और खाद्यान्न उपलब्ध हो रहा है। गाजा में जो सहायता संयुक्त राष्ट्र की ओर से भेजी जा रही है, वह भी कई बार बाधित हो जाती है जिसकी वजह से गाजा में भुखमरी जैसे हालात हैं। दवाएं, खाद्यान्न और रहने के लिए टेंट आदि की सुविधाएं लोगों को हासिल नहीं हैं। अब तक हुए युद्ध 46 हजार से ज्यादा फिलिस्तीन मारे जा चुके है। एक अनुमान के मुताबिक 96 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। बीस लाख लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है। कई लाख लोग पड़ोसी देशों में शरण लिए हुए हैं जहां उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर है।
सात अक्टूबर 2023 को हमास ने जब इजरायल के खिलाफ युद्ध शुरू किया था, तब फतह मूवमेंट से जुड़े लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन हमास ने उनके विरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया था। तब फिलिस्तीनी जनता ने भी मूवमेंट के साथ खड़ा होना उचित नहीं समझा था। लेकिन जैसे-जैसे गाजा के हालात बेकाबू होते गए, फतह मूवमेंट की बात लोगों की समझ में आने लगी। 25 मार्च को फतह मूवमेंट द्वारा आयोजित ‘हमास आउट’ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, उससे यह उम्मीद अब पैदा होने लगी है कि अपने ही नागरिकों के बढ़ते विरोध को देखकर शायद हमास मजबूर स्थायी युद्ध विराम करने को मजबूर हो जाए। युद्ध किसी भी समस्या का स्थायी हल नहीं होत है, यह बात अब फिलिस्तीनी जनता समझ चुकी है। तभी तो 25 मार्च को उत्तरी गजा के बेत लोहिया में हुए प्रदर्शन में शामिल लोग कह रहे थे कि हम युद्ध से तंग आ चुके हैं।
इन दिनों फिलिस्तीन कहे जाने वाले क्षेत्र में सत्ता के दो केंद्र हैं। सन 2006 में जब फिलिस्तीन में संसदीय चुनाव हुए थे, तब हमास को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ था। हमास ने कभी फिलिस्तीनियों का दुनिया में प्रतिनिधित्व करने वाले फिलिस्तीनी एथारिटी (पीए) के वफादारों को या तो चुप बैठने पर मजबूर कर दिया था या फिर गजा क्षेत्र से बाहर कर दिया था। कहा जा रहा है कि पिछले मंगलवार को बेत लोहिया में जो हजारों लोग जमा हुए थे, इसके पीछे फतह मूवमेंट चलाने वाली फिलिस्तीनी एथारिटी का हाथ था। फतह मूवमेंट के पीछे इसी पीए का हाथ है। इसी ने सोशल मीडिया पर ‘हमास आउट’ का मैसेज देकर लोगों को इकट्ठा किया था। वहीं दूसरी ओर ज्यादातर लोग मानते है ं कि यह स्वत:स्फूर्त विरोध प्रदर्शन था। इसके कर्ताधर्ताओं में वे युवा हैं जो अभी किसी राजनीतिक गुट नहीं जुड़े हैं। यह फिलहाल हमास को हटाकर अपने देश को युद्ध में बरबाद होने से रोकना चाहते हैं।भविष्य में गजा में वे कैसा शासन चाहते हैं, इसकी कोई रूपरेखा तय नहीं है।

No comments:

Post a Comment