बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
अमेरिका के ओहियो प्रांत में सन 1907 में पैदा हुए जोशुआ लोथ लिबमैन को बेस्ट सेलर पुस्तक ‘पीस आफ माइंड’ के लिए जाना जाता है। सन 1946 में लिबमैन की यह पुस्तक न्यूयार्क टाइम्स की नान फिक्शन बुक श्रेणी में एक साल से अधिक समय तक सेलिंग के मामले में नंबर वन रही। लिबमैन ने 19 साल की उम्र में ही सिनसिनाटी विश्वविद्यालय से स्नातक कर लिया था। वह एक सुधारवादी रब्बी यानी यहूदी धर्म के आध्यात्मिक शिक्षक भी थे। लिबमैन की पुस्तक ‘पीस आफ माइंड’लिखे जाने के संदर्भ में एक प्रसंग बहुत चर्चित है।कहते हैं कि जब उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की तो यह सोचने लगे कि उन्हें सुख से जीवन गुजारने के लिए क्या-क्या चाहिए। उन्होंने कई दिनों की मेहनत करके एक सूची बनाई जिसमें धन, संपत्ति, यश, उत्तम स्वास्थ्य, शक्ति आदि को शामिल किया। इसके बाद वे अपनी सूची के मुताबिक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जुट गए। कुछ साल बाद उनकी समझ में आया कि इन सब को हासिल करने में तो पूरा जीवन बीत जाएगा। वह इनका सुख कब उठाएंगे?
इससे परेशान लिबमैन एक दिन अपनी सूची को लेकर एक बुजुर्ग के पास पहुंचे और अपनी समस्या बताई। सूची को देखकर बुजुर्ग मुस्कुराए और बोले, तुमने यह जो सूची बनाई है, वह बहुत अच्छी है। लेकिन इसमें तीन शब्द वाले एक चीज की कमी है। उस बुजुर्ग ने पेन्सिल उठाई और सूची में सबसे नीचे लिखा-मन की शांति। बुजुर्ग ने कहा कि जब तक मन में शांति नहीं होगी, तब तक इन उपलब्धियों का आनंद नहीं मिलेगा।
बस फिर क्या था? उन्होंने अथक परिश्रम करके ‘पीस आफ माइंड’ पुस्तक लिखा जो दुनिया भर में खूब बिकी। लेकिन हार्ट अटैक से 9 जून 1948 को 41 साल की उम्र में लिबमैन की मृत्यु हो गई।
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