अशोक मिश्र
हैदर अली आतिश की गजल का एक शे’र है-बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का/जो चीरा तो इक कतरा-ए-खूँ न निकला। यह शे’र कल रात टेलीफोन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच लगभग नब्बे मिनट हुई बातचीत पर काफी सटीक बैठता है। दुनियाभर में बड़ा हल्ला था पुतिन और ट्रंप के बीच होने वाली टेलीफोनिक बातचीत का। पूरी दुनिया में हवा ऐसी बनाई गई मानो इधर पुतिन और ट्रंप के बीच बातचीत हुई और उधर यूक्रेन-रूस युद्ध का खात्मा ही समझो। पुतिन ने ट्रंप को बस यह कहने लायक छोड़ा है कि रूस इस बात को मान गया है कि वह आगामी तीस दिनों तक यूक्रेन के ऊर्जा केंद्रों पर हमला नहीं करेगा।
लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि रूस यूक्रेन को लेकर किसी प्रकार की नर्मी बरतेगा। वह अपना कहर पिछले तीन साल की तरह ही जारी रखेगा। कल रात टेलीफोन पर ट्रंप से बातचीत करके रूस अब अग्रिम पंक्ति में आ खड़ा हुआ है। वह पिछले तीन साल से यूरोप और अमेरिका के विभिन्न प्रकार के प्रतिबंधों को झेल रहा है। लेकिन वार्ता से पहले ट्रंप को एक घंटे का इंतजार कराकर पुतिन ने यह साबित कर दिया है कि अब भी खेल के असली खिलाड़ी वही हैं। नियत समय पर बातचीत इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि उस समय पर पुतिन उपलब्ध नहीं थे। वह मास्को में उद्योगपतियों और व्यापारियों को संबोधित कर रहे थे। उनका यह कार्यक्रम ट्रंप से बातचीत का फैसला होने के बाद तय हुआ था। इस दौरान मॉस्को में भाषण देते हुए पुतिन ने जी-7 का न केवल मजाक उड़ाया, बल्कि यह भी कहा कि पश्चिमी देश रूस पर 28 हजार से ज्यादा प्रतिबंध लगाकर भी रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा पाए।
बातचीत के दौरान पुतिन ने यह साफ कर दिया कि वह युद्ध विराम तब तक नहीं करेंगे, जब तक अमेरिका और यूरोपीय देश यूक्रेन को हथियार और सूचनाएं देना बंद नहीं करते हैं। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध रोकने की पहल करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि पुतिन उनकी युद्ध विराम वाली बात नहीं मानेंगे। पिछले सप्ताह मंगलवार को जब जेद्दा में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल से बातचीत हुई थी तो अमेरिका ने यूक्रेन पर दबाव डालकर इस बात के लिए राजी कर लिया था कि वह तीस दिन के लिए तत्काल युद्ध विराम करेगा। यूक्रेन रूसी क्षेत्र में हवा, जमीन और समुद्र पर हमले नहीं करेगा।
इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को लगा कि वह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की ही तरह पुतिन पर दबाव डालने में सफल हो जाएंगे। लेकिन पुतिन बातचीत के दौरान सिर्फ ऊर्जा केंद्रों पर हमला न करने की बात पर राजी हुए और उन्होंने बाकी बातें मानने से इनकार कर दिया। हालांकि अमेरिका और रूस की वार्ता का क्रम अभी तक टूटा नहीं है। आगे भी बातचीत चलती रहेगी।रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अब तक पुतिन यूक्रेन के चार पूर्वी प्रांतों डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन को रूस में शामिल कर चुके हैं।
यूक्रेन ने रूस के कुर्स्कइलाके के छोटे से हिस्से पर कब्जा किया था, जिसे पिछले दिनों रूस ने वापस ले लिया है। इस स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि पुतिन इस युद्ध में विजेता की तरह हैं। कई दशकों तक एक प्रतिद्वंद्वी की तरह व्यवहार करने वाला अमेरिका अब रूस से सीधी बातचीत का इच्छुक है, यह पुतिन के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है। हाल ही में सऊदी अरब में यूक्रेनी अधिकारियों के साथ ट्रंप की टीम ने जो महीने भर के पूर्ण संघर्ष विराम की योजना तैयार की थी, उस पर हस्ताक्षर करने से पुतिन ने मना करके यह जता दिया है कि वह अमेरिका के किसी दबाव को मानने वाले नहीं हैं।
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