बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
वैसे तो यूरोप और मध्य एशिया में फिलिप नाम के कई राजा हुए हैं। फ्रांस के राजा फिलिप चतुर्थ, स्पेन के राजा फिलिप द्वितीय और मेटाकोमेट के राजा फिलिप आदि प्रमुख हैं। मकदूनिया के राजा और सिकंदर के पिता फिलिप द्वितीय भी काफी प्रसिद्ध राजा हुए हैं।
जब भी बिना किसी संदर्भ के बात किसी फिलिप राजा की चलती है, तो यह तय करना बहुत मुश्किल हो जाता है। यह कथा शायद सिकंदर के पिता और मकदूनिया के राजा फिलिप की है। कहा जाता है कि फिलिप अपने दरबार में बैठे एक मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें झपकी आ गई। एक पक्ष अपनी बात रख रहा था। उस समय पक्षकार ने अपने समर्थन में क्या तर्क दिया, यह वह सुन नहीं पाए।
जब वह जागे, तो दूसरे पक्ष को अपनी बात रखने की बारी आ गई। दूसरे पक्ष ने बहुत जोरदार ढंग से अपनी बात राजा फिलिप के समक्ष रखी। उसकी बात सुनकर राजा फिलिप बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने दूसरे पक्ष के पक्ष में फैसला सुना दिया और पहले पक्ष को सजा सुना दी। यह सुनकर पहले पक्ष के व्यक्ति ने राजा से कहा कि महाराज! मैं आपके सामने पुनर्विचार की मांग करता हूं।
राजा ने कहा कि तुम्हें मेरे फैसले पर विश्वास नहीं है। तब उस व्यक्ति ने कहा कि महाराज! मैं सोए हुए राजा के खिलाफ जागे हुए राजा के समक्ष पुनर्विचार की मांग रख रहा हूं। यह सुनकर लोग दंग रह गए। लोगों ने सोचा कि राजा फिलिप उसे कड़ी सजा देंगे, लेकिन राजा ने उसकी बात स्वीकार कर ली।
उस व्यक्ति ने अपना पक्ष रखा, तो वह समझ गए कि दूसरा पक्ष दोषी है। उन्होंने पहले पक्ष को बरी करते हुए दूसरे पक्ष को सजा सुनाई। राजा फिलिप ने पुनर्विचार की मांग करने वाले व्यक्ति की खूब प्रशंसा की जिसने गलत फैसला देने से उन्हें बचा लिया था।
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